आपने स्कूल में किस कॉपी में लिखा था?...
सरकारी राशन दुकान में
मिट्टी तेल और शक्कर ही नहीं
कॉपियां भी मिलती थी...
90 के दशक के स्कूल की कॉपियां...
आकाशवाणी अभ्यास पुस्तिका, अनुपम सुपर डीलक्स...
बचपन में नई कॉपी और नई किताबें मिलने पर जो खुशी मिलती थी। उसे बयां नहीं किया जा सकता।
बार-बार देखते थे। उलटते-पलटते थे। नई पुस्तक और कॉपी जिस दिन आती थी, उस दिन तो मजे ही मजे रहते थे। तस्वीर में नजर आ रही नर्मदा नाम की कॉपी तो 90 के दशक में सरकारी राशन की दुकान से मिला करती थी। रियायती दरों पर।
आज के बच्चे इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकते कि उन्हें सरकारी राशन दुकान से कॉपी मिल सकती है.
इसके अलावा आकाशवाणी अभ्यास पुस्तिका, अनुपम सुपर डीलक्स, जनता सुपर, हवा महल इन कॉपियों में भी हमने (1985-1998 तक) प्राइमरी स्कूल, मिडिल स्कूल से लेकर हाईस्कूल तक लिखा है।
ऐसी यादें वाकई हमें बचपन की सैर करा जाती है।
शुरुआत में स्याही वाले (फाउंटेन) पेन से लिखना और निब का खराब हो जाना। निब को बाल डालकर साफ करना। निब का टूट जाना। एक दूसरे के ऊपर स्याही छिड़क देना। फिर झगड़ना। इसी स्याही वाले पेन से लिखने में अंगुली दुखने लगती थी। निशान बन जाता था।
फिर आता है बॉल पेन का जमाना। रोटोमैक, रेनॉल्ड्स, ग्रिफ वाला सेलो का पेन, जेटर पेन, पाइलेट पेन, चार-पांच रिफिल वाले मल्टी कलर चेंजिंग पेन। हरा, पीला, नीला, लाल कलर वाले। जिनसे टिकटॉक जैसी आवाज आती थी। एक पेन में ही अलग, अलग कलर की रिफिल से लिखने का मजा ही कुछ और होता था।
©® *रामकृष्ण डोंगरे*, ब्लॉगर और पत्रकार
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