Tuesday, July 27, 2021

आप 'स्वर' साधने में यकीन करते हैं या 'सुर' ....

साधना कितनी जरूरी है... 

और आप 'स्वर' साधने में यकीन करते हैं या 'सुर' .... 

स्वर और व्यंजन.... जीवन में संतुलन के लिए कुछ लोग स्वर साधते हैं. स्वर की साधना करते हैं। इससे उन्हें 'व्यंजन' मिलता है। कुछ लोग सुर की साधना करते हैं। यह साधना कुछ ज्यादा कठिन होती है। 

जीवन में संतुलन, बैलेंस बनाना, कितना जरूरी होता है। इस बात का अंदाजा आप इससे भी लगा सकते है कि कुछ लोग जीवनभर साधते ही रहते हैं। इन्हें उसका फल भी मिलता है। रिजल्ट भी मिलता है। लेकिन जरूरी नहीं कि सभी को मिले। 

अगर आप एक मामूली-सा 100-500 शब्द का आर्टिकल भी पढ़े तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि लेखक ने अपने आर्टिकल में जोरदार प्रहार किया है। तीखा प्रहार किया है। या बैलेंस बनाया है। तो जो लोग जीवन में बैलेंस बनाकर चलते हैं। क्या वे लोग ज्यादा कामयाब होते हैं। या वे लोग ज्यादा सफल होते हैं जो हमेशा तीखा प्रहार करते हैं। कड़ी आलोचना करते हैं।

आपका अनुभव क्या कहता है। 

जहां तक मेरी बात की जाए तो मैं लगभग बैलेंस बनाकर चलता हूं। लेकिन यह भी है कि मुझे इसका बहुत ज्यादा फायदा जीवन में नहीं मिला है। मेरे बारे में कई लोगों की राय है कि मैं किसी से भी भिड़ जाता है। या मुझे ठीक ढंग से लोगों को साधना नहीं आता। तो जनाब मैं जैसा हूं वैसा ही रहूंगा। न बेवजह किसी को तवज्जो नहीं देता। न बेवजह किसी से उलझता हूं। 

कुछ लोग बैलेंस बनाने में इतने काबिल होते हैं कि उनके लिए एक नया शब्द गढ़ा गया है। छोड़िए...। 

लेकिन स्वर की साधना जरूरी है या सुर की साधना...। बड़ा सवाल तो है। 'व्यंजन' आपको ज्यादा मात्रा में स्वर की साधना से ही मिलता है। सुर की साधना से कम। 

ऐसा मेरा आकलन है। आप क्या सोचते हैं...

©® ब्लॉगर और पत्रकार *रामकृष्ण डोंगरे*

Tuesday, July 13, 2021

फेसबुक पोस्ट : दूसरों की मदद कीजिए

जब आप दूसरों के लिए कुछ करते हैं,
उसी पल खुशी की शुरुआत हो जाती हैं।

किसी की मदद करने के लिए धन ही जरूरी नहीं होता।
सिर्फ मन, वचन और कर्म से भी आप दूसरों की मदद कर सकते हो।

मैंने अपने जीवन में किसी की भी बहुत बड़ी आर्थिक सहायता की हो। ऐसा मुझे याद नहीं आता। लेकिन किसी भी जरूरतमंद को नौकरी दिलाने में भरपुर मदद करता हूं। मैं पत्रकारिता के पेशे में हूँ और देशभर में जहां भी संभव होता है। वहां लोगों की मदद करने की पूरी कोशिश करता हूं।

कुछ नहीं तो अब तक आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को नौकरी दिला चुका हूं। और दर्जनों लोगों के लिए अपने स्तर पर लगातार प्रयास करते रहता हूं।

मेरा मानना है कि हम सिर्फ एक माध्यम है, जिन्हें ईश्वर ने चुना है किसी की मदद करने के लिए। बाकी योग्य व्यक्ति अपनी जगह और अपना भविष्य खुद बनाता है। उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं होती। सहारा तो कमजोर लोगों को दिया जाता है।

पत्रकारिता हो या कोई भी फील्ड हो। मुझे लगता है कि जो भी लोग अगर उस मुकाम पर हो कि आप किसी की मदद कर सकते हो। तो जरूर करना चाहिए। आपको करना भी क्या है। मार्गदर्शन। ईमेल आईडी। राइट पर्सन का नाम बताना। या वहां तक सीधे जरूरतमंद को पहुंचाना है। बस। इतना ही तो करना होता है।

क्या आप इतना भी नहीं कर सकते।

याद रखें, अगर आप दूसरों की मदद करते है
तो ईश्वर भी कभी आपकी मदद जरूर करेगा।

©® रामकृष्ण डोंगरे 
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