Saturday, May 17, 2008

छिंदवाड़ा का बादल भोई tribal म्यूज़ियम




वर्ल्ड म्यूज़ियम डे १८ मई स्पेशल जनजातीय म्यूज़ियम

chhindwara में जनजातीय म्यूज़ियम की शुरूआत 20 april 1954 में हुई थी .
वर्ष 1975 को इसे स्टेट म्यूज़ियम का दर्जा दिया गया .

8 सितम्बर १९९७ को इसका नाम बदलकर श्री बादल भोई tribal म्यूज़ियम कर दिया गया . असल में श्री बादल भोई जिले के क्रन्तिकारी जनजातीय नेता थे . उनका जन्म 1845 में परासिया तहसील के dungria titra गाँव में हुआ था । उनके नेतृत्व में हजारों आदिवासियों ने १९२३ में कलेक्टर के बंगले पर एकत्र होकर प्रदर्शन किया था। इस दौरान उन पर लाठियाँ बरसाई गईं और गिरफ्तार कर लिया गया.
२१ अगस्त १९३० को अंग्रेजों के शासनकाल में उन्हें रामाकोना में वन नियमों का उल्लंघन करने के जुर्म में चन्दा जेल में बंद कर दिया गया था। उन्होने इसी जेल में अंग्रेजों द्वारा जहर दिए जाने के कारण वर्ष १९४० में अपने प्राण गंवा दिए. राष्ट्र कि आजादी में उनके इस बलिदान के कारण traibala म्यूजियम का नाम बदलकर श्री बदल बोई स्टेट traibala म्यूजियम कर दिया गया.

पर्यटकों के लिए १५ अगस्त २००३ से यह म्यूजियम रविवार तक खोला जाता है। जनजातीय सोध संगठन प्रमुख के निर्देश और चपरासियों के सुपुर्द है. इसमें ११ कमरे और ४ गैलारियाँ हैं. इसमें करीब ४५ जनजातीय संस्कृतियों और सभ्यताओं का वर्णन मिलता है.
यह मध्य प्रदेश का सबसे पुराना और बड़ा म्यूजियम है । सितम्बर २००३ से इस म्यूजियम में प्रवेश के लिए २ रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है. इससे पहले इस म्यूजियम में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता था. यहाँ प्रतिदिन १००-१५० लोग आते हैं.

जो स्वतः ही इस म्यूजियम के प्रति लोगों के रुझान की स्पष्ट गवाही देता है।
वर्ष ---- पर्यटक
2000 ---- 9, 518
2001 ---- 82, 582
2002 ---- 96, 477
2003 ---- 75, 857
2004 ---- 36, 553
2005 ---- 35, 612

इस म्यूजियम में जिले की जनजातियों से सम्भंधित इक़ से इक़ अद्भुत चीजें हैं। इसमें घर, कपडे, जेवरात, हथियार, कृषि के साधन, कला, संगीत, नृत्य, त्यौहार, देवी-देवता, धार्मिक गतिविधियाँ, आयुर्वेदिक संग्रह जैसी वस्तुएं के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है. यह म्यूजियम जनजातीय संप्रदाय की उन्नत परम्पराओं और प्राचीन संस्कृति पर प्रकाश डालता है. जिले में गौंड और बैगदो प्रमुख जनजातियाँ थीं. इसमें उन लोगों के परिवार के रहने सहने के ढंग का भी वर्णन मिलता है. इसमें यह भी जानकारी मिलती है कि अगरियाजन्जाती के लोग किस तरह लोहे को मोदते थे. इन बातों को अगर इक़ लाइन में कहा जाए तो यह म्यूजियम जिले की जनजातीय के बारे में जानकारी जुटाने का सर्वथा उपयुक्त साधन है.

म्यूजियम की समय सारिणी और अवकाश
पर्यटकों के लिए घुमाने का समय

१ अप्रेल से ३० जून- सुबह ११:३० से शाम ६:३० बजे तक।
१ जुलाई से ३१ मार्च- सुबह १०:३० से शाम ५ बजे तक

****नोट: रविवार को छोड़कर सभी सरकारी छुट्टियों और सोमवार को म्यूजियम बंद रहता है।
(स्त्रोत: ट्राईबलम्यूजियम, छिंदवाड़ा के शोध अधिकारी)

1 comment:

Udan Tashtari said...

संक्षिप्त किन्तु जरुरी जानकारी दी. आभार.