Monday, December 12, 2022
Rachna Dairy : मेरी कविता - खबरों का नशा
Sunday, December 11, 2022
Naidunia Raipur : नईदुनिया, नवदुनिया और जागरण के देशभर के संस्करणों में प्रकाशित - मेरा हौसला बड़ा है... स्टोरी
Wednesday, November 23, 2022
दिल्ली- नोएडा डायरी 2022 : आदरणीय देवप्रिय अवस्थी Devpriya Awasthi सर से आत्मीय मुलाकात ...
Monday, November 14, 2022
पिताजी की पुण्यतिथि : काश आप आज हमारे बीच होते...
Tuesday, June 21, 2022
Gust Writer : गुजरातियों के छत्तीसगढ और मध्य प्रान्त में आने की कहानी
Tuesday, May 3, 2022
Women Journalist : भास्कर समूह के ऐलान से महिला पत्रकारों में नई उम्मीदें
"महिलाएं काम के मामले में बहुत सिंसियर, ईमानदार होती है। वे हर टास्क को सिंसेरली पूरा करती है। जबकि पुरुष वर्ग के कई साथी हमेशा लापरवाही करते नजर आते हैं।" -
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हिंदी के एक बड़े समाचार पत्र समूह ने ऐलान किया है कि अगले 1 वर्ष में प्रिंट और डिजिटल के लिए 50 महिला पत्रकारों की नियुक्ति करेगा। पत्रकारिता में महिला की स्थिति बाकी फील्ड की तरह ही है। मतलब उंगलियों पर गिनने लायक नाम। और कुछ जगह तो एक बड़ा शून्य…।
लगभग दो दशक के अपने पत्रकारिता सफर के आधार पर ही इस पर चर्चा करता हूं। 2003-04 में आकाशवाणी छिंदवाड़ा के इंटरव्यू के दौरान का किस्सा है। वहां एनाउंसर, कंपेयर के रूप सबसे ज्यादा महिलाओं का ही सलेक्शन हुआ था। यह अच्छा संकेत माना जा सकता है कि लगभग 40 नियुक्तियों में 36 महिलाएं थी।
जब मैंने 2003 में लोकमत समाचार छिंदवाड़ा ज्वाइन किया। वहां पर भी कोई महिला पत्रकार नहीं थीं। लोकमत ब्यूरो में लगभग 8-10 लोगों का स्टाफ था। भोपाल के स्वदेश समाचार पत्र में भी साल 2004 के दौरान कोई महिला पत्रकार नहीं थीं। अगले संस्थान सांध्य दैनिक अग्निबाण में जरूर एकमात्र महिला पत्रकार आरती शर्मा थीं।
इसके बाद मेरे अगले संस्थान 'राज्य की नई दुनिया भोपाल' में एक महिला पत्रकार स्नेहा खरे की एंट्री हुई, इसमें छोटी सी भूमिका मेरी भी रही। मुझसे कहा गया था कि एक महिला पत्रकार चाहिए। उस वक्त स्नेहा किसी छोटे अखबार या मैग्जीन में थीं। इन दिनों वे मध्यप्रदेश के किसी सरकारी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर है। सबसे बड़े समाचार पत्र दैनिक भास्कर में उन दिनों दो महिला पत्रकार काफी सीनियर थीं, जिनमें नीलम शर्मा और रानी शर्मा का नाम है। इसके अलावा दिव्याज्योति पाल जैसे और भी कुछ नाम है। साल 2007 में मैंने अमर उजाला नोएडा ज्वाइन किया। यहां कुछ साल बाद दिव्याज्योति पाल ने भी ज्वाइन किया था। इस बड़े संस्थान में आधा दर्जन के करीब महिला पत्रकार रही होगी। इधर दैनिक भास्कर रायपुर में फिलहाल एक महिला पत्रकार लक्ष्मी कुमार है, जो कि सिटी भास्कर में कार्यरत है। और मेरे नए संस्थान में कोई महिला पत्रकार नहीं है।।
… तो महिला पत्रकारों की संख्या मीडिया में, खासकर प्रिंट मीडिया में काफी कम है। जब उन्हें मौका ही नहीं दिया जाएगा तो उनकी तादाद कैसे बढ़ेगी। महिला पत्रकारों को हमेशा हेल्थ बीट, एजुकेशन बीट या लाइफस्टाइल या आर्ट एंड कल्चर कवर करने के लिए ही कहा जाता है। बहुत कम नाम ऐसे होते हैं छोटे शहरों में, जिन्हें क्राइम बीट या पॉलिटिकल बीट या बड़ी और बीट भी दी जाती हो।
दूसरा उन्हें समय-समय पर प्रमोशन भी नहीं मिलता। अगर वह देर तक काम करने को खुद तैयार हैं तो उन्हें इसकी भी इजाजत नहीं दी जाती। जबकि हम समानता की बात करते हैं तो आज के समय में महिला - पुरुष में कोई अंतर नहीं है। जितना श्रम पुरुष करते हैं, उतना ही श्रम महिलाएं भी कर सकती है। और करती ही है। अमर उजाला नोएडा में हम जब 2:30 बजे रात को ऑफिस से घर के लिए निकलते थे, तो हमारे साथ दो-तीन महिला पत्रकार हुआ करती थीं। बकायदा उनको सबसे पहले ड्रॉप किया जाता था।
महिलाओं का ख्याल रखना। या महिलाओं की सुरक्षा का ध्यान रखना, यह सब तो जरूरी है ही लेकिन उन्हें अवसर प्रदान करना और उनकी योग्यता का यथोचित सम्मान करते हुए उन्हें आगे बढ़ाना भी जिम्मेदारी बनती है सभी संस्थानों की। लेकिन पत्रकारिता फील्ड ही क्यों, सभी सेक्टर इसमें पीछे ही रहते है। महिलाओं को पुरुषों के समान वेतन भी नहीं दिया जाता। और मौके तो क्या ही दिए जाएंगे।
महिलाओं के नाम से कुछ सीनियर्स को 'डर' भी लगता है। इस वजह से भी उन्हें मौके नहीं दिए जाते। दूसरा महिलाओं पर इस तरह के आरोप भी लगाए जाते हैं कि वे आगे बढ़ने के लिए 'दूसरे' रास्ते अपनाती है। जबकि यह अपवाद ही होगा। आगे बढ़ना तो हर व्यक्ति चाहता है। लेकिन हम यह नहीं कह सकते कि कौन या सिर्फ महिला गलत रास्ते अपनाती है। पुरुष भी इस मामले में पीछे नहीं हैं, जो कि अपने बॉस, सीनियर्स की 'अनावश्यक तारीफ', चापलूसी, टीटीएम करके अपने नंबर बढ़ाने में लगे रहते हैं। जबकि उनका काम देखा जाए तो 'शून्य' होता है। वहीं महिलाएं काम के मामले में बहुत सिंसियर, ईमानदार होती है। वे हर टास्क को सिंसेरली पूरा करती है। जबकि पुरुष वर्ग के कई साथी हमेशा लापरवाही करते नजर आते हैं।
अब हम मीडिया में हाई लेवल पर महिला पत्रकारों की संख्या गिनते हैं। तो पूरे इंडिया में दो-चार या आधा दर्जन नाम ही होंगे है, जो प्रिंट में संपादक के स्तर पर पहुंचे होंगे। लेकिन हम अगर हिंदी पत्रकारिता के प्रमुख राज्य चाहे वह यूपी-बिहार या मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब देखें तो अभी भी कोई बड़ा नाम हमें नजर नहीं आता। जो संपादक लेवल पर हो। हालांकि दैनिक भास्कर समूह ने अच्छी शुरुआत की है भोपाल में उपमिता वाजपेयी को स्थानीय संपादक बनाकर। अब एक साल में 50 महिला पत्रकारों की नियुक्ति के ऐलान ने नई उम्मीद जगाई है। दैनिक भास्कर समूह की यह बेहतरीन पहल दूसरे पत्रकारिता संस्थानों को भी प्रेरित करेगी कि अपने यहां ज्यादा से ज्यादा महिला पत्रकारों को स्थान दें। साथ ही उन्हें आगे बढ़ाने के लिए अवसर भी प्रदान करें। उन्हें पुरुषों के समान वेतन भी दें।
(लेखक रामकृष्ण डोंगरे करीब दो दशक से प्रिंट मीडिया में सक्रिय है। आपने पत्रकारिता की शुरुआत मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के लोकमत समाचार से की थी। इन रायपुर छत्तीसगढ़ के प्रतिष्ठित अखबार में डीएनई के रूप में कार्यरत है।)
Wednesday, April 27, 2022
Bad Uncle: बैड अंकल से मम्मी को बचाओ, छत्तीसगढ़ महिला आयोग में नाबालिग बच्चियों ने लगाई गुहार
Friday, April 22, 2022
Naidunia Story : मां- बाप के रिश्ते हुए खराब, 17 साल का नाबालिग आठ साल तक रहा अपनों की 'कैद' में
Thursday, March 31, 2022
Goodbye Bhaskar : अलविदा भास्कर... दैनिक भास्कर के साथ अपनी पहली पारी को फिलहाल देता हूं विराम...
दैनिक भास्कर रायपुर में अपने 8 साल से ज्यादा लंबे सफर को फिलहाल विराम दे रहा हूं। सितंबर 2013 में मैंने दैनिक भास्कर रायपुर ज्वाइन किया था। यहां मैं बतौर "सिटी डेस्क हेड" अपनी जिम्मेदारी निभाता रहा।
इस दौरान भास्कर रायपुर में कई चेंजेज हुए, कई बदलाव हुए… *बदलाव, परिवर्तन प्रकृति का नियम है, जिसे शायद ही कोई रोक पाया है।
(परीक्षित त्रिपाठी जी के साथ)जब मैंने ज्वाइन किया था। तब श्री आनंद पांडेय जी, संपादक स्टेट एडिटर हुआ करते थे। उसके बाद श्री राजेश उपाध्याय सर आए और अब श्री शिव दुबे सर के मार्गदर्शन में दैनिक भास्कर रोज नई ऊंचाइयों को छू रहा है।
(विनोद कुमार जी और आकाश धनगर)मेरी ज्वाइनिंग के बाद ही मुझे पता चला था कि श्री नवाब फाजिल सर यहां ज्वाइन कर रहे हैं। या ज्वाइन कर चुके हैं। वे ट्रेनिंग पर गए हुए थे। *नवाब सर चूंकि मेरे बॉस थे। इसलिए उनका मुझे हमेशा सपोर्ट मिला। शुक्रिया नवाब सर।*
हमेशा से आकर्षित करते रहा है भास्कर
मैं मूलतः जिला छिंदवाड़ा मध्यप्रदेश से हूं। बचपन में जरूर नवभारत, नईदुनिया या लोकमत अखबार पढ़ें होंगे। लेकिन जबसे मीडिया से जुड़ा हूं, दैनिक भास्कर हमेशा से आकर्षित करते रहा है। जब सन 2004 में मैं भोपाल पहुंचा तो मेरा भी सपना था दैनिक भास्कर में जॉब करना। उस वक्त दैनिक भास्कर मेरे लिए बहुत दूर की बात थी। मैंने सभी संस्थानों में अपना रिज्यूमे सबमिट किया। अंत में मुझे एक अन्य अखबार में मौका मिल गया। और इस तरह मेरा भोपाल में पत्रकारिता का सफर शुरू हुआ। जो कि लगभग 3 साल तक पार्ट टाइम और फुल टाइम चलता रहा।
अमर उजाला नोएडा में थी 7 साल की पहली लंबी पारी
(भाई मनोज व्यास और हम)साल 2007 में देश की राजधानी दिल्ली पहुंचा, जहां एक अन्य प्रतिष्ठित अखबार अमर उजाला दैनिक के साथ मेरी 7 साल की पारी रही। उसके बाद दूसरी सबसे लंबी पारी दैनिक भास्कर रायपुर के साथ ही थी, जो कि 16 सितंबर 2013 से लेकर 31 मार्च 2022 तक थी।
भास्कर में ज्वाइनिंग अटक गई थी साल 2006-07 में
(डीबी स्टार वाले संजय पाठक जी और उनकी टीम)
भास्कर को अलविदा कहते वक्त मैं उन सभी लोगों को याद करना चाहूंगा, जिनमें तमाम वे संपादकगण और सीनियर साथी है, जो आज भास्कर में है या भास्कर छोड़ चुके हैं। जिनसे मुझे कुछ ना कुछ सीखने को मिला। जब 2006-07 में भास्कर भोपाल में मेरी ज्वाइनिंग की प्रक्रिया चल रही थी तब श्री श्रवर्ण गर्ग से मुलाकात हुई थी। श्री देवप्रिय अवस्थी सर से हमेशा सीखने को मिला। हालांकि उस वक्त किन्हीं कारणों से मेरी ज्वाइनिंग नहीं हो पाई थी।
नवनीत सर से पहली मुलाकात रायपुर आफिस में हुई
(पहले सिटी भास्कर और अब डिजिटल के स्टार सुमन पांडेय जी)
श्री नवनीत गुर्जर सर से मेरी पहली मुलाकात श्री आनंद पांडेय जी ने रायपुर आफिस में ही करवाई थी। हालांकि सर का मैंने पहले से ही नाम सुन रखा था। भोपाल या मध्यप्रदेश में कार्यरत सभी सीनियर्स से मेरा थोड़ा या ज्यादा परिचय पहले से ही रहा है।
(सिटी डेस्क का ये कोना अब छूट रहा है... Goodbye)दैनिक भास्कर रायपुर में आने के बाद श्री आनंद पांडेय सर, श्री राजेश उपाध्याय सर, श्री शिव दुबे सर, श्री नवाब फाजिल सर, श्री यशवंत गोहिल जी और तमाम सीनियर्स और साथियों से सीखने और समझने का अवसर मिला। आप सभी का मैं तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूं.
(भाई अभिषेक तिवारी)इसके अलावा और तमाम साथियों जैसे श्री निजामुद्दीन... निजाम भाई और वीरेंद्र शुक्ला जी, यशवंत गोहिल जी, निकष परमार जी, असगर भाई, ठाकुरराम यादव, मेरे दोस्त और भाई जैसे अमिताभ अरुण दुबे जी, पीलूराम साहू जी, प्रमोद साहू, सुधीर उपाध्याय, जॉन राजेश पाल सर, कौशल भाई, मनोज भाई, राकेश पांडेय जी, नीरज मिश्रा, राजीव शुक्ला जी, सतीश चंद्राकर, सुमयकर, फोटो जर्नलिस्ट भूपेश केसरवानी जी, सुधीर सागर मैथिल जी, सिटी भास्कर टीम से तन्मय अग्रवाल, मनीष, अनुराग, लक्ष्मी मैडम, रीजनल से परीक्षित त्रिपाठी जी, अभिषेक, डिजिटल टीम से श्री विश्वेश ठाकरे सर, सुमन पांडेय भाई, मिथिलेश जी और सिटी डेस्क टीम से डिजाइनर तरुण साहू, विजय जी, विनोद कुमार जी, आकाश, गौरव, डिजाइनिंग टीम से युनूस अली, विपिन पांडेय, प्रवीण, हेमंत साव, हेमंत साहू, धर्मेंद्र वर्मा, बब्बू जी तमाम साथियों का मुझे स्नेह मिला। सहयोग मिला। समर्थन मिला।
आप सभी से मुझे जो प्यार-स्नेह और आशीर्वाद मिला है, यही मेरे जीवन की अमूल्य पूंजी है। इसे मैं ताउम्र संजोकर रखूंगा।
Wednesday, March 30, 2022
Mulaqaton ke Silsile : पूर्व वरिष्ठ रेडियो उद्घोषक अवधेश तिवारी जी से एक यादगार मुलाकात
Thursday, March 24, 2022
'बाबा' श्री संपतराव 'धरणीधर' : कविता में जीवन वृत्त
दस मार्च उन्नीस सौ चौबीस मोहखेड़ में जन्में थे संपतराव धरणीधर।
इन्हें प्रोत्साहित करने वाले थे, पिता इनके श्री बापूराव उर्फ तुकड़ों जी धरणीधर।
मात्र एक वर्ष की आयु में छोड़ गयी थी, माता इनकी अनुसुईया जी धरणीधर।
पढ़ाई के लिए भटके थे आप, कभी मोहखेड़, कभी छिन्दवाड़ा तो कभी नागपुर।
बी.ए. की उपाधि हासिल की थी आपने, उन्नीस सौ पैंसठ में विश्वविद्यालय सागर से।
उब्बीस सौ छियालिस, सेण्ट्रल जेल नागपुर में, 'मुझे फाँसी पे लटका दो...' गाते थे जोर-शोर से।
उल्नीस सौ छियालिस में ही मोहगांव स्कूल में, एक वर्ष अंग्रेजी शिक्षक रहे श्री धरणीधर ।
उन्नीस सौ अइतालिस से तक चौरई हाईस्कूल में, अध्यापन कार्य में लगे रहे श्री धरणीधर ।
उन्नीस सौ पचहत्तर में जुट गये थे पूर्णतः साहित्य साधना में।
स्थानीय कलेक्ट्रेट से क्लर्क के कार्य से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर।
बालक संपत की पहली रचना हुई थी प्रकाशित, 'बालक' श्री संतराम बी. ए. के अखबार में।
तभी से डटे हुए हैं धरणीधर, साहित्य साधना के दरबार में।
इनका नहीं कोई घर-द्वार, फिर भी नहीं करते ये किसी से कोई तकरार |
उन्नीस सौ नब्बे दिल्ली में सम्मानित हुए थे धरणीधर, डॉ. बाबा साहब आम्बेडकर राष्ट्रीय पुरस्कार से।
उन्नीस सौ चौरासी में चुने गये थे धरणीधर, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति की ओर से प्रदेश के साहित्यकार में।
बीते आठ वर्षों से जिला चिकित्सालय छिन्दवाड़ा में डाले अपना डेरा पड़े हैं मझधार में।
आज भी होती है इनकी गिनती, सतपुड़ा के महान साहित्यकार में।
इनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं, 'किस्त-किस्त जिंदगी' और 'महुआ केसर'।
आज भी करते हैं, रचना धरणीधर, ताजा-तरीन है इनकी रचना 'अपनी मौत पर'।
धर्म, साहित्य, कला, राजनीति, या हो कोई अन्य विषय रखते हैं ये अपने विचार, तब गर्व महसूस होता है हमें इनकी सोच पर।
याद रखें इनको हर शख्स कहता है ये 'तृष्णा' क्योंकि इनके जैसा नहीं कोई दूसरा साहित्य जगत का मुरलीधर।
ये है 'बाबा' हमारे श्री संपतराव धरणीधर
©® रामकृष्ण डोंगरे "तृष्णा", कला तृतीय वर्ष, डीडीसी कॉलेज, साल 2002
Friday, March 11, 2022
Transgender : समाज की नफरत का परिणाम है ट्रांसजेंडर की हरकत... जानिए आखिर पूरा सच क्या है...
Monday, March 7, 2022
Family Tree : *डोंगरे की परिवार की वंशावली... 10 पीढ़ियों का इतिहास, नारी शक्ति ही हर पीढ़ी की धुरी रही...*
Saturday, February 19, 2022
भागवत गीता सुनाने वाली अनोखी किताब, जानिए सबकुछ इसके बारे में || talking bhagavad gita
दुनिया की पहली बोलती Talking भागवत गीता... * (संपर्क : 8103689065 वाट्सएप & फोन)*
भागवत गीता...
*अब सिर्फ पढ़े नहीं बल्कि सुने भी...*
11,200 रुपये मूल्य की ये श्रीमद भागवत गीता (Talking Bhagavad Gita with Wisdom Flute) बोलने वाली बांसुरी यानी इलेक्ट्रानिक डिवाइस के साथ आती है।
चिप और सेंसर युक्त इस भागवत में कमाल की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया गया है। ये भागवत गीता संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी के अलावा *मराठी, गुजराती, उड़िया, बांग्ला, तमिल, तेलगू और कन्नड़ समेत 14 भाषाओं में आपको भागवत कथा सुनाती है।* इसमें कई और फीचर है। भगवान श्रीकृष्ण के 108 भजन है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस या Wisdom Flute 30 मिनट की चार्जिंग के बाद 8 घंटे तक चलता है।
*विश्व की अनोखी व पहली इस श्रीमद भागवत कथा को प्राप्त करने के लिए नाम और मोबाइल नंबर लिखकर 8103689065 पर वाट्सएप कीजिए या कॉल करें।*
इस भागवत गीता को कर्मयोगी स्व. कल्याण देव वाधवा की प्रेरणा से डीएमपी डिजिटल टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली ने तैयार किया है। सेफ शॉप कंपनी की तरफ से इसकी मार्केटिंग की जा रही है।
*डिजिटल भागवत गीता*
*बोलती भागवत गीता...*
*आखिर है क्या??*
_पूरी पोस्ट अंत तक जरूर पढ़ें_
*हम आज भारत की बात करें तो हर घर में भागवत गीता है लेकिन ज्ञान की बात कही जाए तो सिर्फ 1% लोगों को ही इसका ज्ञान होगा l*
डिजिटल भागवत गीता उन सभी के लिए वरदान है---
जिनके पास समय नहीं है l
जो देख नहीं सकते l
जो पढ़ नहीं सकते l
अपने माता-पिता के लिए सुन्दर उपहार l
अपने बढ़ते बच्चों के विकास में सहायक l
*क्योंकि आप इसे सुन सकते हैं*
*14 भाषाओं में सुमधुर संगीत के साथ...*
यह एक ग्रंथ नहीं कर्म ग्रंथ है,
जिसकी आवश्यकता आज की दौड़ भाग वाली जिंदगी में बहुत है l
तो अपने घर लाएं
*दुनिया की पहली*
*बोलने वाली* भागवत गीता....
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_दुनिया में पहली बार भागवत गीता को वैज्ञानिक तरीके से बनाया गया है. इलेक्ट्रानिक चिप यानी सेंसर युक्त यह किताब *हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत, मराठी, गुजराती, उडिया, बंगाली, तमिल, तेलुगू, कन्नड़* समेत देश-विदेश की 14 भाषाओं में बोलती है।_
सम्पर्क करें :-
*अधिक जानकारी या श्रीमद् भागवत गीता ग्रंथ को आर्डर करने के लिए कृपया फोन या वाट्सएप करें *8103689065*
*बोलने वाली भागवत गीता...*
#Talking #bhagavad #gita
क्या आप अपने बच्चों को अनूठा गिफ्ट देना चाहते हैं?
क्या आप अपने माता पिता को ऐसा गिफ्ट देना चाहते हैं जो उन्हें धर्म से जोड़ें, गीता का ज्ञान उन तक पहुंचाएं,
वह भी सिर्फ बोलकर।।।
तो *बोलती भागवत गीता* अपने घर लाइए...
ऐसा धर्म ग्रंथ जो हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी के अलावा तमाम भारतीय भाषाओं में आपको भागवत गीता सुनाता है।
*अधिक जानकारी के लिए 8103689065 पर कॉल या वाट्सएप पर संपर्क कीजिए*