Please call... प्लीज कॉल...
मीडिया के साथियों को आने वाले फोन कॉल और ऐसे मैसेज कई बार किसी की कितनी मदद कर सकते हैं. इसका अंदाजा नहीं लगा सकते. अगर आपने समय पर उनका रिप्लाई कर दिया या उनसे बात कर ली तो....
📝 पत्रकार रामकृष्ण डोंगरे की कलम से...
आज इस कहानी को शेयर कर रहा हूं. उसकी शुरुआत होती है 17 अप्रैल 2022 को जब मेरे एक परिचित का लगातार मेरे पास कॉल आ रहा था. जब मैं बात नहीं कर पाया तो मैंने व्हाट्सएप पर मैसेज छोड़ा कि... प्लीज व्हाट्सएप कीजिए... फिर 2 दिन बाद उनका फिर मैसेज आता है. क्या मैं बात कर सकता हूं. और इसी के साथ उनका एक टेक्स्ट मैसेज भी आ गया...
मैसेज ये था...
नमस्ते।
हमारे सोसाइटी में एक फैमिली है, जिसमें एक लड़का अपने रिलेटिव के साथ रहता है, उसकी मां कभी कभी आती, पर सब उसको बहुत मारते है और खाने भी नहीं देते, और भी बहुत तकलीफ देते है। उसको बाहर से ताला लगा के जाते है और कई बार बाथरूम में बंद रखते है, सोसाइटी के बच्चे उसकी मदद कर रहे , child abuse कॉल सेन्टर में कांटेक्ट किये थे पर मदद नहीं मिली।
कृपया मदद के लिए कोई NGO या कोई मदद करने वाले मिले तो बच्चे को निकाला जा सकता है। बच्चे ने बताया कि वो ऐसा पिछले 10 साल से झेल रहा है।
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मामले की गंभीरता को समझते हुए मैंने तत्काल क्राइम रिपोर्टर साथी @deepak Shukla दीपक शुक्ला जी को इसे फॉरवर्ड किया। उन्होंने भी बच्चे का मामला देख कर सीधे पुलिस अफसरों और संबंधित एजेंसी से संपर्क किया। आखिर एक-दो दिन की मेहनत के बाद बच्चे को गुरुवार को रेस्क्यू किया गया।
जो कहानी सामने आई वह आपकी आंखों में आंसू ला सकती है....
उस नाबालिग बच्चे ने 4 पेज का एक पत्र लिखा था, सोसाइटी के बच्चों के नाम। जिसमें उसने अपने आपको छुड़ाने के लिए गुहार लगाई थी। पत्र बेहद मार्मिक है....
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कहानी बहुत लंबी है. इस कहानी की शुरुआत एक हंसते खेलते परिवार से होती है। जहां एक बच्चा है उसके माता-पिता है। लेकिन उनके खराब रिश्तों की वजह से बच्चा पिछले 8 साल से अपने ही रिश्तेदारों की कैद में था। जहां उसे मारा पीटा जाता था। और हर तरह की तकलीफ दी जाती थी। इसमें उसकी सगी मां और उसके संबंधी शामिल थे।
शादी के कुछ समय बाद मां-बाप के खराब रिश्तों का खामियाजा इस बच्चे को भुगतना पड़ा। पिता ओडिशा चले गए। और मां ने भी बच्चे को यूं ही छोड़कर किसी और से शादी कर ली।
बच्चे से संपर्क रखा जरूर। लेकिन दूसरों को सौंप दिया गया। बच्चे को जिस तरह की यातना झेलनी पड़ी है, वह एक मार्मिक कहानी है। इससे सबक लिया जाना चाहिए। अगर हम अपने बच्चों को इस तरह से तकलीफ देंगे तो उनके मन में रिश्तों के प्रति क्या छवि बनेगी। वह अपने ही मां-बाप को लेकर क्या सोचेगा।
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राजधानी रायपुर की सोलस हाइट्स सोसायटी के जागरूक बच्चों और वहां के जागरूक रहवासियों को धन्यवाद और बधाई। उनके प्रयासों से ही इस बच्चे को कैद से आजाद कराया जा सका।
.... ऐसा ही उदाहरण हमें पेश करना चाहिए। दूसरों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। और सभी अपार्टमेंट रहवासियों के लिए यह कहानी एक सबब भी है कि जब किसी को फ्लैट या मकान किराए पर देते हैं तो पुलिस वेरिफिकेशन जरूर करवाएं। इसके अलावा तमाम जांच पड़ताल के बाद ही किसी को फ्लैट मकान किराए पर दें वरना आप किसी भी तरह की मुसीबत में फंस सकते हैं।
©® रामकृष्ण डोंगरे, पत्रकार, रायपुर
THANKS to Satish Pandey Rajkumar Dhar Dwivedi deepak shukla
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