(हमारे ये ट्रांसजेंडर साथी समाज की नफरत का परिणाम है। जब यह पैदा होते हैं तो समाज इन्हें नफरत भरी निगाहों से देखता है। और अपने घर से समाज से अलग कर देता है। बचपन से इन्हें प्रेम नहीं मिलता और यही वजह है कि इनके अंदर धीरे धीरे नफरत का गुबार भरते रहता है। और यह गुबार, गुस्सा जब तक सोसायटी के लोगों पर ही फूटते रहता है.)
एक छोटे से वाकये के बाद आज दिल में ये बात उठी कि ट्रांसजेंडर (Transgender) के लीडर से उनकी समस्या पर बात की जाए।
सबसे पहले तो हमसे रूबरू हुए और कंट्रोवर्सी के कारण बने दो ट्रांसजेंडर से पहली बार बात हुई। हालांकि जिस तरह की शिकायत थी। उसके बावजूद यह लोग बेहद शालीनता से पेश आएं।
अब मामला यह था कि क्यों ना इनके सीनियर से बात करके इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सके।
जब इस बारे में ट्रांसजेंडर (Transgender) की भलाई के लिए काम करने वाले उनके लीडर से बात की गई तो इस समस्या का एक अलग ही पहलू सामने आया। बकौल लीडर, ये लोग हमारी बात क्यों मानेंगे। यह भी एक इंसान हैं। अगर यह कुछ गलत कर रहे हैं तो जैसा कि एक आम आदमी गलत करता है तो उसको दूसरा आम आदमी समझाए तो वह नहीं समझता।
उन्होंने भरे गले से कहा कि हम जब इन गलत प्रवृत्ति के ट्रांसजेंडर को समझाते हैं कि आप चंदा मत मांगिए तो यह लोग सबसे पहले हमसे सवाल करते हैं कि हमारा पेट कैसे भरेगा। आप हमें पहले रोजगार दीजिए। फिर हमें समझाइए। हम घर घर से मांगना बंद कर देंगे।
सवाल और जवाब दोनों ही बड़े हैं। अब असली वजह क्या है इन ट्रांसजेंडर की।
उन्होंने बताया कि
हमारे ये ट्रांसजेंडर साथी समाज की नफरत का परिणाम है। जब यह पैदा होते हैं तो समाज इन्हें नफरत भरी निगाहों से देखता है। और अपने घर से समाज से अलग कर देता है। बचपन से इन्हें प्रेम नहीं मिलता और यही वजह है कि इनके अंदर धीरे धीरे नफरत का गुबार भरते रहता है। और यह गुबार, गुस्सा जब तक सोसायटी के लोगों पर ही फूटते रहता है.
हर जगह अच्छे और बुरे लोग होते हैं. ट्रांसजेंडर में भी कुछ अच्छे लोग होते हैं तो कुछ बुरे भी होते हैं.
अब हमें मंथन करना चाहिए और समाज से अलग-थलग पड़े इन ट्रांसजेंडर को रोजगार मिले ऐसी पहल करना चाहिए. ताकि ये घर घर पैसे मांगकर लोगों को परेशान और प्रताड़ित ना करें.
©® रामकृष्ण डोंगरे की फेसबुक वॉल से, 11 मार्च 2019
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