'पोंगा पंडित' ने पाए लाखों और कराए उपद्रव
पहले शॉट में-
सांध्य दैनिक अग्निबाण, भोपाल, 5 अगस्त, 2005 |
अब विस्तार से-
अग्निबाण
में मुझे आर्ट एंड कल्चर की रिपोर्टिंग का जिम्मा मिला था। यानी कला
संवाददाता का। पत्रकारिता का यह मेरा चौथा संस्थान था। इससे पहले लोकमत
समाचार छिंदवाड़ा, भोपाल से प्रकाशित स्वदेश न्यूज पेपर और एक साहित्यिक
मैगजीन में काम करने का तर्जुबा था। भोपाल में अग्निबाण के शुरुआत से ही
मैं इससे जुड़ा हुआ था। मशहूर रंगकर्मी हबीब तनवीर के इस नाटक 'पोंगा
पंडित' पर स्टोरी का आइडिया मेरे वरिष्ठ साथी गौरव चतुर्वेदी ने दिया था।
इस स्टोरी के दौरान मुझे पता नहीं था कि इसका प्लेसमेंट कहां और कैसे होगा।
स्टोरी काफी लंबी लिख डाली थी, सो पहले पेज पर लगाने के दौरान हमारे बॉस
ने ही इसे छोटी करवाई। मैं उस दौरान पीछे ही खड़ा था। उस समय वहां की
रिपोर्टिंग टीम में गीत दीक्षित, गौरव चतुर्वेदी, विनोद उपाध्याय, आरती
शर्मा, जुबेर कुरैशी, जितेंद्र सूर्यवंशी, हरीश बाबू आदि थे।
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