Sunday, February 24, 2013

कुछ बातें, कुछ लोग पार्ट- वन


'पोंगा पंडित' ने पाए लाखों और कराए उपद्रव

पहले शॉट में- 

सांध्य दैनिक अग्निबाण, भोपाल, 5 अगस्त, 2005
किसी भी अखबार के फ्रंट पेज पर यह मेरी पहली बाइलाइन न्यूज थी। अखबार था इंदौर से प्रकाशित सांध्य दैनिक अग्निबाण का भोपाल एडीशन। हमारे बॉस थे मध्यप्रदेश के बेहद निडर और तेजतर्रार पत्रकार और संपादक अवधेश बजाज साहब। इस खबर का ‌दिलचस्प पहलू यह है कि संस्कृति विभाग के कई चक्कर काटने के बाद तैयार मेरी स्टोरी काफी लंबी हो गई थी, जिसे बजाज साहब ने खुद पेज पर एडिट करवाई थी। मुझे याद है कि इसकी यह हेडिंग भी उन्होंने ही ‌दी थी।

अब विस्तार से- 
अग्निबाण में मुझे आर्ट एंड कल्चर की रिपोर्टिंग का जिम्मा मिला था। यानी कला संवाददाता का। पत्रकारिता का यह मेरा चौथा संस्‍थान था। इससे पहले लोकमत समाचार छिंदवाड़ा, भोपाल से प्रकाशित स्वदेश न्यूज पेपर और एक साहित्यिक मैगजीन में काम करने का तर्जुबा था। भोपाल में अग्निबाण के शुरुआत से ही मैं इससे जुड़ा हुआ था। मशहूर रंगकर्मी हबीब तनवीर के इस नाटक 'पोंगा पंडित' पर स्टोरी का आइडिया मेरे वरिष्ठ साथी गौरव चतुर्वेदी ने दिया था। इस स्टोरी के दौरान मुझे पता नहीं था कि इसका प्लेसमेंट कहां और कैसे होगा। स्टोरी काफी लंबी लिख डाली थी, सो पहले पेज पर लगाने के दौरान हमारे बॉस ने ही इसे छोटी करवाई। मैं उस दौरान पीछे ही खड़ा था। उस समय वहां की रिपोर्टिंग टीम में गीत दीक्षित, गौरव चतुर्वेदी, विनोद उपाध्याय, आरती शर्मा, जुबेर कुरैशी, जितेंद्र सूर्यवंशी, हरीश बाबू आदि थे।

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