सेहत के लिए सामाजिक स्थिति जिम्मेदार
पहले शॉट में-
भोपाल के नई दुनिया अखबार में प्रकाशित इस लेख को मैंने एक सेमिनार के दौरान लिखा था। मध्यप्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी में महिला स्वास्थ्य और मीडिया पर तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया था। इस लेख में महिला स्वास्थ्य की अनदेखी को रेखांकित किया गया है।
अब विस्तार से-
हमारे देश और समाज में महिला सुरक्षा की तरह महिला स्वास्थ्य को भी हमेशा नजरअंदाज किया जाता है। मैंने इस आर्टिकल में अपने ही परिवार का उदाहरण सामने रखा था। इस लेख को प्रकाशित कराने के पीछे माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि के प्रोफेसर पुष्पेंद्र पाल सिंह की प्रेरणा रही। इसमें मेरे दोस्त हरीश बाबू और रामसुरेश सिंह का भी सहयोग रहा। जैसा कि लेख का शीर्षक है- सेहत के लिए सामाजिक स्थिति जिम्मेदार...। यानी महिलाओं की सेहत, स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ के लिए हमारी सामाजिक स्थिति और सोच सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। हम स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं होते हैं। महिला खुद अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो जाती है और उसे ऐसा बनाती है, समाज की सोच। गांवों में यह स्थिति ज्यादा देखने को मिलती है।
नई दुनिया, भोपाल, 12 अप्रैल, 2006 |
भोपाल के नई दुनिया अखबार में प्रकाशित इस लेख को मैंने एक सेमिनार के दौरान लिखा था। मध्यप्रदेश के हिल स्टेशन पचमढ़ी में महिला स्वास्थ्य और मीडिया पर तीन दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया था। इस लेख में महिला स्वास्थ्य की अनदेखी को रेखांकित किया गया है।
अब विस्तार से-
हमारे देश और समाज में महिला सुरक्षा की तरह महिला स्वास्थ्य को भी हमेशा नजरअंदाज किया जाता है। मैंने इस आर्टिकल में अपने ही परिवार का उदाहरण सामने रखा था। इस लेख को प्रकाशित कराने के पीछे माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि के प्रोफेसर पुष्पेंद्र पाल सिंह की प्रेरणा रही। इसमें मेरे दोस्त हरीश बाबू और रामसुरेश सिंह का भी सहयोग रहा। जैसा कि लेख का शीर्षक है- सेहत के लिए सामाजिक स्थिति जिम्मेदार...। यानी महिलाओं की सेहत, स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ के लिए हमारी सामाजिक स्थिति और सोच सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। हम स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं होते हैं। महिला खुद अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो जाती है और उसे ऐसा बनाती है, समाज की सोच। गांवों में यह स्थिति ज्यादा देखने को मिलती है।