प्यार : इक शै के रंग हजार
दोस्ती
इक बस तुमसे दोस्ती हो जाए,
फ़िर चाहे ज़माने से दुश्मनी हो जाए।
...........................
मस्ती
ना दोस्ती कि जाए, ना दुश्मनी कि जाए,
करना है गर कुछ तो बस मस्ती कि जाए।
......................
डर
दर्ज कर ली है मैंने
अपनी सांसों में तुम्हारी खुशबू,
अब मुझे
ख़ुद के वजूद से भी डर लगता है।
......................
जिया
इक मोहब्बत करके देखी मियां।
अब तो बाज आ जा जिया.
.............................................
जिन्दगी
अब सुबह नहीं होगी, अब शाम नहीं होगी।
तेरे बिना जिन्दगी हमारी, अब किसी की गुलाम नहीं होगी।
.............................................................
खफा
कोई ना कोई रिश्ता,
तो जरूर होगा दोस्त।
जो तुम हमसे और
हम तुमसे खफा हो बैठे ।
तृष्णा / भोपाल / 8 जुलाई, 2006
दोस्ती
इक बस तुमसे दोस्ती हो जाए,
फ़िर चाहे ज़माने से दुश्मनी हो जाए।
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मस्ती
ना दोस्ती कि जाए, ना दुश्मनी कि जाए,
करना है गर कुछ तो बस मस्ती कि जाए।
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डर
दर्ज कर ली है मैंने
अपनी सांसों में तुम्हारी खुशबू,
अब मुझे
ख़ुद के वजूद से भी डर लगता है।
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जिया
इक मोहब्बत करके देखी मियां।
अब तो बाज आ जा जिया.
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जिन्दगी
अब सुबह नहीं होगी, अब शाम नहीं होगी।
तेरे बिना जिन्दगी हमारी, अब किसी की गुलाम नहीं होगी।
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खफा
कोई ना कोई रिश्ता,
तो जरूर होगा दोस्त।
जो तुम हमसे और
हम तुमसे खफा हो बैठे ।
तृष्णा / भोपाल / 8 जुलाई, 2006
1 comment:
tansri ji ko badhai
achcha hai lage raho dongre bhai
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