मेरा परिचय शैलेश जी से ब्लॉगिंग के शुरुआती दौर से है। वर्ष 2007 में दैनिक समाचार पत्र अमर उजाला की नौकरी के सिलसिले में दिल्ली पहुंचा था, तब से ही मैं ब्लॉगिंग की दुनिया से जुड़ गया था। उस समय मैंने 'डोंगरे की डायरी', 'छिंदवाड़ा छवि' और और अन्य ब्लॉग बनाए थे।
शैलेश जी के ब्लॉग 'हिंदी युग्म' पर हम तकनीकी आलेख और अन्य रुचिकर सामग्री पढ़ते थे। बाद में शैलेश जी ने अपनी वेबसाइट तैयार की और फिर अपना प्रकाशन शुरू कर दिया है।
इस तरह हमारा परिचय गहरा होता गया। हालांकि, दिल्ली में रहते हुए भी हमारी कभी आमने-सामने मुलाकात नहीं हो पाई।
'हिंदी युग्म' की चर्चा युवा लेखकों के बीच सबसे ज्यादा है, क्योंकि आज की सबसे ज़्यादा चर्चित किताबें उन्हीं के प्रकाशन से प्रकाशित होती हैं। 'हिंदी युग्म' अपनी टैगलाइन 'नई वाली हिंदी' के साथ युवा लेखकों की सबसे अधिक किताबों को प्रकाशित करने के लिए जाना जाता है।
ठीक 18 साल के लंबे अंतराल के बाद, रायपुर में उनसे हमारी मुलाकात कुछ इस तरह हुई: वे बेहद सरल और सहज हृदय वाले हैं। उनसे मिलने के लिए साहित्य प्रेमियों में गजब का उत्साह था। यह उत्साह स्वाभाविक भी था, क्योंकि 'हिंदी युग्म' और शैलेश भारतवासी हिंदी साहित्य जगत में एक-दूसरे के पर्याय बन चुके हैं। यह मुलाकात साहित्यिक, सहज और यादगार रही।
~ रामकृष्ण डोंगरे ~
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