Sunday, September 21, 2025

Dongre ki Diary डोंगरे की डायरी के अंश



रामकृष्ण डोंगरे का ब्लॉग "DONGRE की डायरी" (dongretrishna.blogspot.com) उनकी व्यक्तिगत स्मृतियों, पत्रकारिता के अनुभवों और साहित्यिक संस्मरणों का संग्रह है। यह एक डिजिटल डायरी की तरह है, जहाँ वे अपने जीवन के विभिन्न चरणों—जैसे भोपाल के साहित्यिक कार्यालय में काम, आकाशवाणी के दिन और पुरानी यादों को ताजा करने—के बारे में लिखते हैं। ब्लॉग की थीम मुख्य रूप से आत्मकथात्मक है, जिसमें किताबों की खुशबू, साहित्यकारों की चर्चाएँ और जीवन के छोटे-छोटे क्षण प्रमुख हैं। नीचे कुछ प्रमुख अंश दिए गए हैं, जो उनके ब्लॉग से लिए गए हैं। ये अंश हिंदी में हैं और उनके मूल भाव को बनाए रखते हुए संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत किए गए हैं:

1. **साहित्यिक कार्यालय की यादें (भोपाल के दिनों से)
 
 - **तिथि/संदर्भ**: हालिया पोस्ट (2020-2025 के बीच की यादें)।
   - **अंश**:  
     "कार्यालय में प्रवेश करते ही किताबों और कागज़ों की सौंधी खुशबू, साहित्यकारों की गहन चर्चाएं-ये सब मेरे रोज़मर्रा का हिस्सा थे। मैं, रामकृष्ण डोंगरे, वहां कार्यालय प्रबंधक के रूप में था, मगर मेरी भूमिका सिर्फ प्रशासनिक कार्यों तक सीमित नहीं थी। मैं उन शब्द शिल्पियों का साक्षी था, जो अपने विचारों से समाज को नई दिशा दे रहे थे।"  
     *(यह अंश उनके प्रारंभिक करियर की सादगी और साहित्यिक वातावरण की जीवंतता को दर्शाता है।)*

2. **विष्णु प्रभाकर जी के दर्शन

   - **तिथि/संदर्भ**: भोपाल कार्यालय की पुरानी घटना (लगभग 2004-2005)।
   - **अंश**:  
     "इसी जगह मैंने पहली बार लेखक साहित्यकार श्री विष्णु प्रभाकर जी के दर्शन किए थे। उस वक्त उनकी उम्र करीब 93 साल थी। मुझे उन्हें इतने करीब से देखकर भरोसा नहीं हो रहा था कि मैंने उनकी कहानियों को बचपन में स्कूल की किताबों में पढ़ा था।"  
     *(यह संस्मरण साहित्यिक हस्तियों से उनके व्यक्तिगत जुड़ाव को उजागर करता है, जो बचपन की यादों से जुड़ता है।)*

3. **पुरानी मैगज़ीन की यादें और मित्रता**
   - **तिथि/संदर्भ**: हालिया (2025 के आसपास, व्हाट्सएप के माध्यम से ताजा हुई याद)।
   - **अंश**:  
     "दैनिक भास्कर रतलाम के स्थानीय संपादक, मेरे मित्र और बड़े भाई श्री संजय पांडेय Sanjay Pandey जी ने आज मुझे व्हाट्सएप पर इस मैगजीन का स्क्रीनशॉट भेजा तो मैं अचानक पुरानी यादों में खो गया।"  
     *(यह छोटा अंश पत्रकारिता के पुराने साथियों से जुड़ी भावुकता को व्यक्त करता है।)*

ये अंश डोंगरे जी की डायरी के सार को दर्शाते हैं—एक साधारण जीवन की गहराई, जहाँ साहित्य और पत्रकारिता के अनुभव भावनाओं का स्रोत बनते हैं। ब्लॉग पर और भी कई पोस्ट हैं, जैसे आकाशवाणी के दिनों की डायरी और साहित्यिक चर्चाओं के वर्णन।

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