डोंगरे की डायरी : रायपुर से पढ़िए...छिंदवाड़ा के मूलनिवासी पत्रकार और ब्लॉगर रामकृष्ण डोंगरे की ऑनलाइन डायरी
हंसते भी रहे हम, रोते भी रहे हम। बारूद को सीने में दबा के, सोते भी रहे हम। #रोज_एक_शायरी #अधूरी_शायरी #रचना_डायरी रचना काल : 7 अगस्त 2004 ©® रामकृष्ण डोंगरे 'तृष्णा' तंसरी
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