Sunday, July 12, 2015

विज्ञप्ति, प्रेसनोट और सरकारी खबर... इसके अलावा भी होती है खबरें..


मीडिया से जुड़े हम लोगों को इन शब्दों से रोज ही दो-चार होना पड़ता है. अखबारों में विज्ञापन का दबाव बढ़ने से प्रेस रिलीज के लिए स्पेस कम होते जा रहा है। यह तो मानना पड़ेगा कि इनका अपना महत्व होता है- अखबार के लिए भी और आमजन के लिए भी।
मगर हम खबरों के दबाव में विज्ञप्ति या सरकारी खबरों से अक्सर चिढ़ते है। हम सालों से अखबार और तमाम खबरों को पढ़ते आ रहे हैं। खबरों में नयापन कैसे लाया जाता है...खासकर सिटी की खबरें यानी सड़क, बारिश जैसे तमाम मुद्दों में नया एंगल क्या हो सकता है, यह सब मैंने पिछले दो साल में सीखा-देखा।
इससे पहले मैं सेंट्रल डेस्क पर रहा। जहां मेरा वास्ता देश और तमाम राज्यों की बड़ी खबरों से पड़ता था। छिंदवाड़ा या भोपाल में चाहे मेरी शुरुवात सिटी से ही हुई थी मगर मुझे ऐसी कुछ खबरें याद नहीं आती।
इस मसले पर मैं फिर से बात करूंगा।

शुक्रिया दोस्तों।

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