मीडिया चाहे प्रिंट हो, टीवी हो, रेडियो हो, मैग्जीन हो या डिजिटल हो,
सभी जगह संपादक-एडिटर की खास जगह होती है. जैसे कि किसी स्कूल या काॅलेज
में प्रिंसिपल।
आपकी भी कई प्रिंसिपल सर को लेकर कई यादें होगी। अच्छी-बुरी। अगर मीडिया की बात करें तो मेरे ख्याल से एडिटर का पद भी गरिमामयी होना चाहिए। साथ काम करने वालों को महसूस होना चाहिए। एडिटर के साथ काम करके सीखने की ललक होनी चाहिए।
मेरी शुरुआत अगर रेडियो से मानी जाए तो कहूंगा कि मुझे उस वक्त के बाॅस से जरा भी लगाव नहीं था। लेकिन @amar ramtheke jee, @shashikant vyas sir, @dr.harish parashar rishu sir, @awdesh tiwari sir जैसे कई अच्छे लोगों से काफी सीखने को मिला। वही न्यूजपेपर में मेरी एंट्री लोकमत समाचार से हुई तो मुझे @dharmendra jayaswal जैसे अच्छे बाॅस मिले। उन्होंने मेरे माइनस प्वाइंट भी मुझे बताए। आज भी उनके साथ मेरा अच्छा रिश्ता है। बोल भाई, और रामकृष्ण....कहां हो आजकल...सब अच्छा चल रहा है ना...इन्हीं शब्दों के साथ हमारी बातचीत होती है।
आपकी भी कई प्रिंसिपल सर को लेकर कई यादें होगी। अच्छी-बुरी। अगर मीडिया की बात करें तो मेरे ख्याल से एडिटर का पद भी गरिमामयी होना चाहिए। साथ काम करने वालों को महसूस होना चाहिए। एडिटर के साथ काम करके सीखने की ललक होनी चाहिए।
मेरी शुरुआत अगर रेडियो से मानी जाए तो कहूंगा कि मुझे उस वक्त के बाॅस से जरा भी लगाव नहीं था। लेकिन @amar ramtheke jee, @shashikant vyas sir, @dr.harish parashar rishu sir, @awdesh tiwari sir जैसे कई अच्छे लोगों से काफी सीखने को मिला। वही न्यूजपेपर में मेरी एंट्री लोकमत समाचार से हुई तो मुझे @dharmendra jayaswal जैसे अच्छे बाॅस मिले। उन्होंने मेरे माइनस प्वाइंट भी मुझे बताए। आज भी उनके साथ मेरा अच्छा रिश्ता है। बोल भाई, और रामकृष्ण....कहां हो आजकल...सब अच्छा चल रहा है ना...इन्हीं शब्दों के साथ हमारी बातचीत होती है।
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