Monday, March 7, 2022

Family Tree : *डोंगरे की परिवार की वंशावली... 10 पीढ़ियों का इतिहास, नारी शक्ति ही हर पीढ़ी की धुरी रही...*

📝 *वरिष्ठ पत्रकार रामकृष्ण डोंगरे की कलम से*

राजा भोज के वंशज और क्षत्रिय पवार (पंवार/परमार/भोयर) समाज से ताल्लुक रखने वाले हमारे परिवार की 10 पीढ़ियां का लेखा जोखा यहां दिया जा रहा है... *कामन महाजन डोंगरे और रे बाई डोंगरे* से लेकर अब तक के सभी परिवारजनों का रिकॉर्ड मौजूद है। कहने को हमारा समाज पितृसत्तात्मक है लेकिन परिवार को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी महिलाएं ही संभालती है। ये बात अलग है कि उन्हें इसका क्रेडिट नाम नहीं मिलता।
(कांसेप्ट एंड रिसर्च : रामकृष्ण डोंगरे मोबाइल : 8103689065) 

हमारा खानदान कई पीढ़ियों से *मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के मोहखेड़ ब्लॉक में ग्राम तंसरामाल में रहता आ रहा है।* मूलतः खेती-बाड़ी ही हमारा पुस्तैनी काम रहा है। लेकिन अगर सदियों पहले की बात की जाए तो *डोंगरे खानदान की शुरुआत होती है सन 1010-1055 के कालखंड में। यानी राजा भोज के समय से। वहां पर प्रताप सिंह डोंगरे नाम के व्यक्ति थे। उन्हीं से डोंगरदिया यानी डोंगरे वंश चालू हुआ।* डोंगरे समेत तमाम गोत्र के लोग पहले सैनिक हुआ करते थे। माना जा सकता है खेती किसानी से भी जुड़े रहे होंगे। लेकिन मालवा से विस्थापित होकर मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा, बैतूल, सिवनी, बालाघाट और महाराष्ट्र के वर्धा, गोदिंया, यवतमाल समेत देशभर में जाकर बसने के बाद सभी मूल रूप से कृषि कार्य से ही जुड़ गए। 

गौरतलब है कि मालवा इलाके में धारा नगरी हुआ करती थी, जिसका वर्तमान नाम धार जिला मध्यप्रदेश है। यहां पर परमार पंवार राजाओं का राज्य था, जिसके नौवें राजा राजा भोज (सन् 1010-1055 ई.) हुए। तब से लेकर अब तक का लिखित इतिहास हमारे पास मौजूद है। 

*प्रताप सिंग डोंगरे के 2 बेटे थे, कारू सिंग और महाप्रयाग सिंग। उन्होंने मुसलमानों से खूब युद्ध किया था। कारू सिंग का बेटा नांद देव, बेटी रुपला बाई और पत्नी झमीया थी। नांददेव का बेटा सुमन सिंग था। सुमन सिंग धार के राजा राय महल देव के पास वजीर थे। जब मुसलमानों ने धार पर आक्रमण किया तो उनसे युद्ध में सुमन सिंग मारे गए। उन्होंने पवारों से कहा था कि यहां से सब छोड़कर चले जाओ। तब पवार इधर उधर जाकर बस गए।* (सुमनसिंग-जोधी) के बेटे नारूदेव, वीरदेव, गोरदेव थे। फिर नारूदेव और लखाई को गौलु सिंग, नौलु सिंग बेटे हुए। तथा गौलु सिंग को देवल्या देव पुत्र हुआ। देवल्या देव और हाराई को खोकल्या भाई, चिमना भाई, खंगू भाई, घुड़या पुत्र थे। इनका वंश देवगढ़ छिंदवाड़ा में रहे। मोतीराव भाट भी इनके साथ इधर ही आ गए थे। इनका वंश भी इधर ही है। नौलु सिंग का बेटा हिरन्या था। इनका वंश बैतूल और वर्धा में है। 

*मेरी माताजी गौरा बाई डोंगरे ने बताया कि तंसरा के सारे डोंगरे एक ही है। ईकलबिहरी में दो डोंगरे भाई थे। उनमें झगड़ा हुआ तो एक भाई भागकर तंसरा आ गया। शायद उसके ही खानदान के सारे लोग हो।*
मुझे यह बताने में गर्व महसूस होता है कि हमारा परिवार शायद कई पीढ़ियों से मातृसत्तामक ही रहा है। जहां तक मुझे जानकारी है *मेरे पिताजी स्व. श्री संपतराव डोंगरे की दादी मां यानी श्रद्धेय पूनी बाई ने अपनी पाई-पाई जमा की गई रकम से हमारी पुस्तैनी जमीन खरीदी। जहां आज हमारे परिवार रहते हैं। उसी जमीन को हमारी दादी मां ने अपने सीधे और सज्जन पति स्व. किसन डोंगरे के साथ मिलकर सजाया-संवारा। यानी मरते दम तक खेतों में बैलगाड़ी चलाने से लेकर हर तरह के काम किए।*

मेरी सबसे बड़ी प्रेरणास्त्रोत दादी (डोकरी माय) ही थीं। उनकी परंपरा को मेरी मां श्रीमती गौरा बाई और भाभी जी कैकई (चमेली) बाई आगे बढ़ा रही है।
जब भी कोई दुख की घड़ी आती है तो मेरे मुंह से "ओ मां" ही शब्द निकलते हैं। मां मेरी कमजोरी और ताकत भी है। घर से दूर रहने के कारण बरबस ही मां की याद आ जाती है, आंखों में आंसू झरने लगते हैं। लेकिन तभी मां के वे शब्द कान में गूंजने लगते हैं। बेटा- तुम दोनों भाइयों को बाहर निकलकर कुछ करना है। अपना और हमारा नाम बढ़ाना है।

शायद यही वजह है हम आज भी मुश्किलों से घबराते नहीं, जूझते है और अपने आप को संभाल लेते हैं।

मां से मिली मुझे प्रेरणा, ताकत और भरोसा 

ओ मां.... तुझे सौ सौ सलाम... 
महिला दिवस पर नारी शक्ति को सलाम। 

*( वरिष्ठ पत्रकार और ब्लॉगर रामकृष्ण डोंगरे के द्वारा मदर्स डे पर 8 मई 2016 की लिखी मूल पोस्ट। इस पोस्ट में 8 मार्च 2022 को संशोधन किया गया है।)*

_नोट : अपने परिवार की ऐसी वंशावली (फैमिली ट्री) आप भी बना सकते है। एक तस्वीर की तरह आपके घर की दीवार में लगाने से आपके परिजनों को कई पीढ़ियों की जानकारी मिल सकेगी।_

©® *वरिष्ठ पत्रकार व ब्लॉगर रामकृष्ण डोंगरे*
Website : http://dongretrishna.blogspot.com/
FB PAGE : https://www.facebook.com/dongreonline/
लेआउट-डिजाइन : तरुण साहू

4 comments:

प्रज्ञा said...

बहुत ही अच्छा कॉन्सेप्ट है.

Chhindwara chhavi said...

धन्यवाद प्रज्ञा आपका

pawar said...

bahut hi achchi jnakari bhaiya

Bahut hi achhi jankari bhaiya said...

Thanks dongre ji apka