अच्छे आदमी
और बुरे आदमी के बीच
जरा-सा अंतर होता है।
मामूली फर्क होता है।
मां-बाप की जरा-सी
लापरवाही, उनके बच्चों को
अच्छे आदमी से
बुरे आदमी में बदल देती है।
इसलिए बच्चों को
अपना दोस्त बनाएं,
खुलकर बात करें।
उनके मन में उठने वाले
सभी सवालों का
उन्हें जवाब दीजिए।
बच्चों को गलत दिशा में
जाने से रोकिए।
वर्ना किसी इंजीनियर के लादेन
या किसी युवा के गोडसे
बनने में देर नहीं लगती।
©® रामकृष्ण डोंगरे तृष्णा
रचना समय और स्थान - 1 सितंबर, 2021, रायपुर
No comments:
Post a Comment