Thursday, December 30, 2021
मेरी कविता : हिंदू राष्ट्र
Tuesday, December 21, 2021
सेकंड हैंड का जमाना गया, अब सबकुछ न्यू... न्यू...चाहिए
Monday, December 6, 2021
अच्छे आदमी
Friday, December 3, 2021
DNE FB Post : ट्रेनी से डीएनई तक का सफर
दैनिक भास्कर रायपुर से पहले मेरा सबसे लंबा समय हिंदी दैनिक अमर उजाला नोएडा में बीता। माखनलाल पत्रकारिता यूनिवर्सिटी भोपाल से 2005 साथ में एमजे की डिग्री कंप्लीट होने के बाद हमारा कैंपस अमर उजाला में हुआ था। मैंने 7 मई 2007 को अमर उजाला, नोएडा ज्वाइन किया था। प्रताप सोमवंशी सर ने हमारा कैंपस भोपाल आकर लिया था। जॉइनिंग के दिन हमारा इंटरव्यू ग्रुप एडिटर श्री शशि शेखर जी ने लिया था।
उस दौरान काफी सारे क्वेश्चन पूछे गए थे. मेरा एक्सपीरियंस जानने के बाद मैंने उनसे कहा कि आप मुझे Sub Editor ज्वाइन करवाएं तो उन्होंने इंकार कर दिया था. और मुझे नए सिरे से बतौर ट्रेनी यहां से नई शुरुआत करनी पड़ी। हालांकि इससे पहले मैं करीब आधा दर्जन संस्थानों में काम कर चुका था। यानी पत्रकारिता में अलग अलग फील्ड की रिपोर्टिंग और डेस्क पर काम करने का लगभग 3 साल का अनुभव मुझे हो चुका था। लेकिन इन संस्थानों में मेरा जॉब पार्ट टाइम जैसा ही रहा। क्योंकि मैं पढ़ाई के साथ ये काम कर रहा था।
साल 2003 में लोकमत समाचार पत्र छिंदवाड़ा से शुरुआत रिपोर्टिंग से हुई। इसके बाद 2004 में स्वदेश समाचार पत्र भोपाल में रिपोर्टिंग के साथ डेस्क की जिम्मेदारी मिली। बीच में कुछ वक्त "शब्द शिल्पियों के आसपास" में काम किया। इसके बाद 2005 में सांध्य दैनिक अग्निबाण में आर्ट एंड कल्चर रिपोर्टर के रूप में काम किया। साल 2006 में राज्य की नई दुनिया में आर्ट एंड कल्चर रिपोर्टर और डेस्क की जिम्मेदारी निभाई।
*अब बात विस्तार से करते हैं अमर उजाला नोएडा की...*
यहां पर हमने बतौर ट्रेनी ज्वाइन किया. सबसे पहले मुझे बिजनेस डेस्क पर रखा गया। इसके बाद जनरल डेस्क पर मेरी नियुक्ति की गई। जहां मुझे सबसे ज्यादा समय तक काम करने का मौका मिला।
अमर उजाला का हेड ऑफिस नोएडा में था। इसीलिए मुझे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर आदि राज्यों के एडिशन से कोडिनेट करना पड़ता था। हमारी टीम में दो से चार साथी ही थे। लेकिन सबसे शुरुआत से जुड़े होने की वजह कई बार बॉस की अनुपस्थिति में मुझे ही जिम्मेदारी संभालनी पढ़ती थी। इसी दौरान श्री राम शॉ जी जनरल डेस्क में शामिल हुए थे। वे पेज वन पर भी काम करते थे। लेकिन बॉस के नहीं रहने पर वे मेरे साथ भी होते थे।
*मेरे बॉस चूंकि DNE थे. और मैं ट्रेनी था तो वे (श्री राम शॉ) मुझे कहते थे कि तुमको तो ट्रेनी नहीं DNE होना चाहिए... क्योंकि आप ट्रेनी होकर डीएनई का काम करते हो...खैर...।*
जनरल डेस्क पर मेरे सहयोगी थे - चंद्रशेखर राय जी, धर्मनाथ प्रसाद जी, मनीष मिश्रा जी, हरिशंकर त्रिपाठी जी, मनीष, दीपक कुमार जी आदि। और बॉस थे राधारमण जी।
अमर उजाला नोएडा में मुझे ग्रुप एडिटर श्री शशि शेखर जी, श्री देवप्रिय अवस्थी सर, संजय पांडेय जी, श्री निशीथ जोशी जी, श्री शंभूनाथ शुक्ला जी, श्री यशवंत व्यास जी, श्री राधारमण सर, श्री अरुण आदित्य सर, श्रीचंद सर, श्री भूपेन जी, श्री आलोक चंद्र जी आदि का सानिध्य मिला। यहां मैंने बतौर ट्रेनी ज्वाइन किया. उसके बाद सब एडिटर और सीनियर सब एडिटर बना।
पत्रकारिता में मेरे पहले मार्गदर्शक बड़े भैया जगदीश पवार जी हैं, जिन्होंने मुझे इस राह पर चलने के लिए प्रेरित किया. लोकमत समाचार छिंदवाड़ा में श्री धर्मेंद्र जायसवाल के नेतृत्व में बतौर ट्रेनी काम करने के दौरान ही मुझे छिंदवाड़ा दैनिक भास्कर के लिए ऑफर मिला. मुझे परासिया ब्लॉक में ब्यूरो चीफ की जिम्मेदारी दी जा रही थी। लेकिन चूंकि में MA फाइनल ईयर में था. मैंने इस ऑफर को अस्वीकार कर दिया. उसके बाद मुझे दैनिक भास्कर से जुड़ने में कई साल लग गए। जब मैं भोपाल पहुंचा तो ज्यादा किसी से पहचान ना होने के चलते मैंने एक के बाद एक सारे समाचार पत्रों में अपना रिज्यूमे दिया। जहां मुझे स्वदेश समाचार पत्र में तत्काल ही जॉब मिल गई। 3 साल भोपाल में रहने के दौरान मेरा सभी समाचार पत्र के साथियों के साथ परिचय हो गया था।
भोपाल में अलग-अलग संस्थानों में काम के दौरान मुझे श्री अवधेश बजाज जी, अजय बोकिल जी, विनय उपाध्याय जी, पंकज शुक्ला जी, गौरव चतुर्वेदी जी, गीत दीक्षित जी के साथ काम करने और सीखने का मौका मिला।
भोपाल में मेरे कई साथ रहे… जैसे श्री संजय पांडेय जी, हरीश बाबू, जितेंद्र सूर्यवंशी, निश्चय कुमार बोनिया, जुबैर कुरैशी, खान आशु भाई आदि। श्री संजय पांडे जी, जो इन दिनों जमशेदपुर दैनिक भास्कर में बतौर स्थानीय संपादक कार्यरत है. वे मेरे बड़े भाई और मार्गदर्शक है। दैनिक भास्कर रायपुर में मुझे ज्वाइन कराने में उनका बड़ा योगदान रहा है।
आज जबकि में प्रमोट हुआ हूं तो यह खुशी आप सभी के साथ शेयर कर रहा हूं। आप सभी मेरी इस सफलता में सहभागी रहे है।
DNE - Dis (this) is Not the End...
this is just the beginning
अभी तो शुरुआत है…
तो सफलता का यह सिलसिला यूं ही चलता रहे. और आप सभी का स्नेह, आशीर्वाद मुझे मिलता रहे. यही कामना करता हूं… इसी के साथ उम्मीद करता हूं कि और भी नए दोस्त और सीनियर साथी मेरे इस कारवां का हिस्सा बनेंगे…
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