भाजपा की मुश्किल ये है कि उसके पास भी कोई बड़ा नेता नहीं है। जो भीड़ जुटा सके। वोट दिला सकें।
आप कहेंगे मोदी जी है ना।
मैं कहूँगा... ये तो सही है कि मोदी जी है।
... लेकिन दुर्भाग्य ये है कि मोदी जी खुद को भाजपा का बड़ा नेता और स्टार प्रचारक से ज्यादा कुछ और मानने को तैयार ही नहीं है।
जबकि पूरा देश जानता है कि भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री का नाम नरेंद्र मोदी है। और ये भी विश्वास करता है प्रधानमंत्री को क्या बोलना चाहिए। क्या नहीं बोलना चाहिए।
मोदीजी भूल जाते हैं। बार बार कि वे अभी प्रधानमंत्री है। खैर कोई बात नहीं।
मोदीजी आप तो लगे रहिये...
क्योंकि आखिर आप तो पहले भाजपा नेता। स्टार प्रचारक है। प्रधानमंत्री आप कुछ समय के लिए बने हो। हमेशा के लिए थोड़ी ना।
आपको क्या करना है ये याद रखकर कि प्रधानमंत्री को क्या बोलना होता है। और क्या नहीं।
सितंबर 2013। यह वही समय था जब भाजपा ने आपको प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित किया था।
फिर चुनाव के ऐलान के साथ आपकी रैलियां शुरू हो गई। खूब चर्चे थे आपके। भीड़ जुटाने में माहिर। स्टार प्रचारक। पार्टी में नंबर।
यूपीए के 10 साल के शासन के बाद जनता बदलाव चाह रही थी। और मोदीजी आपको इसका खूब फायदा हुआ। जैसे पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिला है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में। जहां भाजपा की सरकारों से मुंह मोड़कर जनता ने कांग्रेस को सत्ता की चाबी सौंपी है। वैसे ही आपकी पार्टी भाजपा को 2014 में जबरदस्त सीटें मिली। खैर...। ये सब देश जानता है।
... लेकिन मोदीजी अब देश, देश के जागरूक और जिम्मेदार नागरिक ये भी जानने लगा है कि आप क्या बोलते हैं। आपकी भाषा क्या है।
आप तथ्य गलत रख दो। ये भी नहीं होना चाहिए। क्योंकि आप प्रधानमंत्री हो।
फिर भी ये चल जाएगा।
लेकिन आप मर्यादा का ख्याल न रखो। घटिया बयानबाजी करो। घटिया टिप्पणी करो। ये पूरा देश देख रहा है।
हम ये भी मानते हैं कि राजनीति। हमारे देश की राजनीति वाकई खराब है। हर नेता लगभग ऐसी ही भाषा बोल रहा है। कोई कम, कोई ज्यादा। हर नेता चुनावी मंच से विरोधी पार्टी के नेताओं के लिए जहर उगलता है।
लेकिन जब ये नेता लोग आपस में मिलते हैं तो कहते हैं कि हम तो सिर्फ राजनीतिक विरोधी है। और जनता। मासूम जनता आपके बयान पर लड़ पड़ती है।
आप जैसे नेता लोग तो सिर्फ राजनीति करते हैं। अपनी पार्टी की। पार्टी की सीटें बढ़ाने के लिए घटिया बयानबाजी करते हैं। और देश की भोली-भाली जनता आपस में लड़ पड़ती है। वो मेरा प्रिय नेता है। फिर चुनावी जुमले दोहराने लगती है।... आएगा तो...।
जनता भूल जाती है कि ये चुनावी नारे है। किसी पार्टी के है। फिर वो औरों से भी अपने प्रिय नेता को वोट देने की अपील करने लगती है। जबकि वोट किसे देना है ये हर नागरिक का व्यक्तिगत मामला है।
ये भी सब पार्टी के आईटी का कमाल होता है। जो देखते देखते हर मोबाइल में फैल जाता है। हर फारवर्ड करने वाले को लगता है कि ये मेरे अपने की अपील है।
अंत में सिर्फ इतना कि भारत में लोकतंत्र है। कई दल है। कई नेता है। जो पार्टी या नेता अच्छा काम करेगा। जनता उसे पसंद करेगी। बार बार मौका भी देगी।
कई बार विकल्प नहीं होने का फायदा भी मिल जाता है।
मोदीजी आप पांच साल प्रधानमंत्री रहे। आगे क्या होगा। कह नहीं सकते। आपका काम है विरोधी पार्टी पर हमला बोलना। सबसे बड़ी विरोधी पार्टी कांग्रेस है। आप उसके मौजूदा नेताओं पर खूब बोलिए।
लेकिन देश के प्रधानमंत्री रहे नेताओं के बारे में बोलते वक्त आपको ध्यान रखना होगा कि आप क्या बोल रहे हैं। क्योंकि फिलहाल आप खुद प्रधानमंत्री के पद पर बैठे है।
©® गैर राजनीतिक पत्रकार रामकृष्ण डोंगरे की कलम से
Sunday, May 5, 2019
क्या मोदीजी खुद को प्रधानमंत्री नहीं मानते
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