देश में दो विचारधारा एक साथ आगे बढ़ रही है। मुझे बताने की जरूरत नहीं है। वे कौन सी है। उनके मानने वाले कौन और कैसे है।
मेरा मानना है कि देश में कई विचारधारा हो सकती है। कोई बुराई नहीं है। एक परिवार में पति - पत्नी, पिता-पुत्र सभी अलग विचारधारा को मानने वाले हो सकते हैं। रहते हैं। इसका ये अर्थ कदापि नहीं होता है कि वे हमेशा लड़ते-झगड़ते रहे।
हम सब देशवासियों को कम से कम कुछ मुद्दों पर तो एक होना चाहिए। जैसे - जो चीज गलत है उसे सभी एक साथ खड़े होकर गलत बोले।
अब सोचिए किसी महिला या बच्ची के साथ जघन्य अपराध होता है। रेप होता है। उस पर भी हम अगर धर्म देखकर फैसला करने लगे तो फिर क्या होगा। ऐसी स्थिति में पीड़ित या आरोपी का धर्म नहीं देखा जाना चाहिए।
पीड़ित के साथ और आरोपी के खिलाफ हमें पूरी ताकत के साथ खड़ा होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो सोचना पड़ेगा कि आखिर हममें इंसानियत नाम की चीज शेष है या नहीं।
*विचार कीजिए। बात आपको बुरी लग सकती है। मगर ये सोचना मौजूदा वक्त की जरूरत बन चुका है।*
#एक_बार_सोचिए
#फेसबुक वॉल से, 16 अप्रैल 2019
Tuesday, April 16, 2019
फेसबुक पोस्ट : गलत कहीं भी हो विरोध कीजिए
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