*अब समय आ गया है जब, करदाताओं का संगठन बनाया जाये*
*जो विश्व का सबसे बड़ा संगठन होगा*
देश में अब एक Tax Payers Union का गठन होना चाहिए। चाहे कोई भी सरकार हो,बिना उस यूनियन की स्वीकृति के न तो मुफ्त बॉटने की, या कर्ज़ माफ़ी की कोई कुछ घोषणा कर सकती हो, न ही ऐसा कुछ लागू कर सके।
पैसा हमारे टैक्स का है तो हमें अधिकार भी होना चाहिए कि उसका उपयोग कैसे हो ।
पार्टियां तो वोट के लिए कुछ भी लालच देती रहेंगी,
कौनसा उनकी जेब का जा रहा है।
चाहे कोई भी स्कीम बने उसका ब्लूप्रिंट दो, हमसे सहमति लो,और यह उनके वेतन एवं अन्य सुविधाओं पर भी लागू होना चाहिए।
लोकतंत्र क्या बस वोट देने तक सीमित है,
उसके बाद क्या अधिकार हैं हमें??
*Right to Recall Any Such Freebies " भी शीघ्र लागू होना चाहिए।*
*सहमति हो तो अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं*
👍👍👍👍👍👍
मूल लेखक : अज्ञात
*प्रतिक्रियाएं....*
*सोशल मीडिया वर्कर रमेश बलानी, रायपुर की कलम से*
*सही बात है*…
★ _जब सरकार चुनने का हक़ जनता के पास है।_
★ _जब सरकारी अधिकारी±कर्मचारी Public Servent कहलाए जाते हैं।_
★ _जब जनता के टैक्स से ही अधिकारी±कर्मचारी(यों) को वेतन+भत्ता इत्यादि का भुगतान होता है।_
★ _यहाँ तक कि चुने हुए प्रभारी±पूर्व±भूतपूर्व नेताओं को भी बंगला+वाहन+बिजली+फ्यूल+टेलिफ़ोन+सर्विस-स्टाफ़ आदि संसाधनों के अलावा सस्ता भोजन (कैंटीन) की सुख-सुविधाएँ जनता के टैक्स से ही हासिल हैं।_
*तो जनता का हक़ भी बनता है कि मालिक की भूमिका में आए। करदाताओं को एक विशाल संगठन बनाने में सहयोग करे।*
*लोकतंत्र द्वारा चुनी हुई पार्टियाँ तो मालिक बन जनता पर शासक का स्वप्रभुत्व अधिकार मान लेती हैं।*
*चुनाव दरमियान जनता को सब्ज़बाग़ दिखा ठगने का भरपूर प्रयास करती हैं।*
*और*,, *ख़र्च का सारा भार करदाताओं के मत्थे ज़बरदस्ती मढ़ लेती हैं।*
*जनता में से प्रत्येक व्यक्ति प्रत्येक ख़रीद पर कर का प्रत्यक्ष±अप्रत्यक्ष भुगतान कर ही रहा है।*
*जनता का हक़ बनता है कि अपना प्रभुत्व स्थापित करे और विश्व स्तरीय विशाल संगठन बनाने पर सहयोग करे।*
→ _संगठन होगा तो नेताओं पर अंकुश होगा।_
→ _नेताओं की फिसलती जुबान पर अंकुश होगा।_
→ _नेताओं की ठगप्रवृत्त बद्ज़बान पर अंकुश होगा।
→ _सरकारी ख़ज़ाने की आवक-जावक के लेखे-जोखे की ऑडिट-रिपोर्ट के अध्ययन करने और अनपेक्षित व्ययों पर निगाह होगी।_
→ _नेताओं की मनमर्ज़ियों पर अंकुश होगा। उदाहरणार्थ छत्तीसगढ़ के वर्तमान प्रभारी मुख्यमंत्री द्वारा एक नेता-पुत्र को शासकीय उच्च-पद पर "'अनुकंपा नियुक्ति '" पर पदस्थापित कर अपने प्रदेश के योग्य उम्मीदवारों के साथ कपट नीति अपना कर मनमर्ज़ी करी है।_
→ _नेताओं द्वारा नेताओं के विरुद्ध प्रतियोगितापूर्ण लांछनों, द्वेषों युक्त बयानबाजियों पर भी अंकुश होगा।_
→ _प्रत्येक योजना के ब्लूप्रिंट पर सहमति होने से, योजना के व्ययों पर निगाह होने से देश हित में आर्थिक सुस्पष्टता होने के अलावा भ्रष्ट बटवारों पर अंकुश होगा।_
→ _नेताओं के भ्रष्ट±दृष्ट आचरणों पर ''संगठन '' की निगाह होने से शासकीय विभागों में भी भ्रष्टाचार पर अंकुश होगा।_
→ _अन्य सार्थक सुझाव यथा *Right to Recall Any Such Freebies* सहित अन्य, जो आपके द्वारा सुझाए गये हैं भी यथोचित हैं।_
*अगर ये पोस्ट आपको अच्छी लगती है तो अपनी प्रतिक्रिया जोड़ते हुए इसे आगे बढ़ाते रहे।*
Friday, May 10, 2019
करदाताओं का संगठन बनाया जाए
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