Friday, December 8, 2017

रोज एक शायरी

हर दौर में जमाने ने देखे हैं कमीने दो-चार आदमी
मैं फिर क्यों अफसोस करूं, जो एक कमीना देख लिया।

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©® रामकृष्ण डोंगरे #तृष्णातंसरी


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