कोई आता है,
कोई जाता है।
वक्त-बे-वक्त
वो लम्हा जरूर याद आता है....
कोई रुलाता है,
कोई हंसाता है।
वो लम्हा जरूर याद आता है....
कोई याद रहता है,
कोई भूल जाता है।
वो लम्हा जरूर याद आता है...
|| अभी-अभी ||
रामकृष्ण डोंगरे #तृष्णा
18 अगस्त 2015
#रचना_डायरी
Friday, August 18, 2017
वो लम्हा जरूर याद आता है
Tuesday, August 8, 2017
इंसान की जब सोशल लाइफ खत्म हो जाती है
इंसान की जब सोशल लाइफ खत्म हो जाती है
तो क्या बचता है
सिर्फ सोशल साइट...
मगर क्या वहां आपको
मिल पाता है चैन और सुकून...
Facebook के हजारों हजार फ्रेंड
उनकी हजारों-हजार पोस्ट
मुस्कुराते चेहरे
सेल्फी - वीडियो
मूवी और मॉल जाने की तस्वीरें
WhatsApp के दर्जनों पोस्ट
दर्जनों फनी वीडियो
दर्जनों ज्ञान की बातें
क्या आप को उनके करीब महसूस कर पाती है...
हजारों दोस्तों की इस दुनिया में भी
हम अपने आप को अकेला ही पाते हैं...
हम सब को जरूरत है
हमारे रीयल अपने
हमारे माता पिता
हमारे भाई बहन
हमारे पत्नी और बच्चे
उन सब के पास जाने की...
©® रामकृष्ण डोंगरे तृष्णा
रचनासमय : रायपुर, 8 अगस्त 2017
तो क्या बचता है
सिर्फ सोशल साइट...
मगर क्या वहां आपको
मिल पाता है चैन और सुकून...
Facebook के हजारों हजार फ्रेंड
उनकी हजारों-हजार पोस्ट
मुस्कुराते चेहरे
सेल्फी - वीडियो
मूवी और मॉल जाने की तस्वीरें
WhatsApp के दर्जनों पोस्ट
दर्जनों फनी वीडियो
दर्जनों ज्ञान की बातें
क्या आप को उनके करीब महसूस कर पाती है...
हजारों दोस्तों की इस दुनिया में भी
हम अपने आप को अकेला ही पाते हैं...
हम सब को जरूरत है
हमारे रीयल अपने
हमारे माता पिता
हमारे भाई बहन
हमारे पत्नी और बच्चे
उन सब के पास जाने की...
©® रामकृष्ण डोंगरे तृष्णा
रचनासमय : रायपुर, 8 अगस्त 2017
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