पहले ईपीएफ पर टैक्स लगाने वाला केंद्र सरकार का गलत फैसला, जिसे वापस लेना पड़ा। अब किसान विकास पत्र, पीपीएफ, आरडी जैसी छोटी बचत योजनाओं के ब्याज में भारी कटौती।
सरकार चाहती क्या है। आम आदमी बचत नहीं करेगा तो अपनी जिंदगी कैसे बसर करेगा ।
इस फैसले पर कुछ जानकारों का कहना है कि सरकार चाह रही है कि सारा पैसा बाजार में ही रहे। यानी बैंकों से जब चाहे खूब कर्ज लो। खाओ-पीओ-मौज करो और सो जाओ। पैसे खत्म हो गए तो दुबारा बैंक से कर्ज लो। सारे बैंक तैयार है कर्ज देने के लिए।
हमारे देश में लोगों की मानसिकता कभी कर्ज लेकर घी खाने की नहीं रही है। यह एक कहावत है।मतलब साफ है कि आपके पास पैसे है खर्च कीजिए। वर्ना शांत बैठिए। मगर केंद्र सरकार लोगों को बचत के लिए प्रेरित करने के बजाय कर्जदार बनाने पर तूली है।
अगले माह से बैंक भी पहले से ही कम एफडी की ब्याज दरें और कम कर देंगे। कहां तो एफडी का रेट 9.5 तक पहुंच गया था और अब 7.5 पर आ गया है। हो सकता है कि बैंक सीधे एफडी का रेट 5-6% कर दें। मतलब बैंक में भी पैसा रखना बेकार।
आखिर आम आदमी बचत कैसे करें। सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर जो ब्याज दरें कम की है उस पर आपकी राय क्या है।
( नोट : समय ऐसा आ गया है कि दूसरों के मन की बात खूब सुनो। आपके मन की बात कोई नहीं सुनेगा। .... बचत की बात तो आप ( गरीब ) बिल्कुल मत करना। बैंक से कर्ज लो। खाओ-पीओ और ऐश करो। गरीबी को भूलाकर खुद को अमीर समझो।)
📝 पत्रकार रामकृष्ण डोंगरे की कलम से
Posted via Blogaway
Saturday, March 19, 2016
गरीबों की बचत पर सरकार की कैंची
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