Thursday, October 2, 2025

School Life : गांव तंसरामाल के प्राइमरी स्कूल के दोस्तों से मुलाकात

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित तंसरामाल गांव में गुरुवार 2 अक्टूबर 2025 को बचपन के यारों कैलाश डोंगरे, पंचम महोबिया और प्रीतम डोंगरे से एक साथ मुलाकात हुई तो मानो समय की मशीन में सवार होकर सीधे 1985 में पहुंच गया! जिस समय शासकीय प्राथमिक शाला तंसरामाल में हमारी स्कूल लाइफ शुरू हुई थी। 


कैलाश से तो मुलाकातें होती रहती हैं, लेकिन पंचम से मिलना? अरे, वो तो दो दशक बाद हुआ! पंचम, जो कभी कोर्ट की नौकरी में, कभी टीचर की भूमिका में मध्यप्रदेश के अलग-अलग शहरों में रहे। इन दिनों विदिशा जिले में शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। 
हमारा प्राइमरी स्कूल का जमाना, वो तो बस एक अलग ही दुनिया थी! हमारा दोस्तों का गैंग—कैलाश, पंचम, शंकर, आरिफ, प्रीतम, सुभाष—जैसे सात समंदर के रत्न! हर दिन नई शरारत, नई मस्ती।
कैलाश के साथ तो एक खास किस्सा है, जो आज भी हंसी ला देता है। स्कूल के सांस्कृतिक कार्यक्रम में कैलाश के साथ मुझे स्टेज पर चढ़ने का मौका मिला। असल में, कोई और आने वाला था, लेकिन उसकी 'गैरहाजिरी' ने मुझे स्टार बना दिया! वो मेरी जिंदगी का पहला और आखिरी स्कूल स्टेज परफॉर्मेंस था। इनाम में मिला एक चमचमाता गिलास, जिसे मैंने बरसों तक ट्रॉफी की तरह संभाला।

स्कूल की वो गलियां, वो क्लासरूम, वो सैयद सर की डांट और देशमुख सर का वो दमदार अंदाज—कैसे भूलें? गुप्ता सर और मर्सकोले मैडम की पढ़ाई ने तो हमें जिंदगी की पहली सीढ़ियां चढ़ाईं। और हां, हमारे गैंग का शंकर सिरसाम तो बाद में गांव का सरपंच बना, वो भी दो-दो बार! गर्व की बात, है न?

ये मुलाकात बस एक मुलाकात नहीं थी, बल्कि उन पुराने दिनों की एक झलक थी—जब जिंदगी बस हंसी-मजाक, दोस्तों की यारी और मासूम सपनों का पीछा करना थी। तंसरामाल के स्कूल की वो यादें, वो दोस्ती, आज भी दिल में उतनी ही ताजा है, जितनी उस गिलास की चमक!

~ रामकृष्ण डोंगरे, तंसरामाल ~

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