सड़कों पर दूध बहाना। दूध के टैंकर को जबरन रोककर सड़क पर दूध की बर्बादी। फल सब्जियों को सड़क पर फेंकना। विरोध का ये तरीका मुझे कतई उचित नहीं लगता। आप दूध को सड़क पर फेंक देते हो। आपको ऐसा करते वक्त जरा भी शर्म या झिझक नहीं होती। इस तरह का तत्काल रुकना चाहिए। जिस तरह से कानून बनाना, हड़ताल के समय सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर सजा का प्रावधान है। उसी तरह इस पर रोक और सजा दी जानी चाहिए।
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महाराष्ट्र में सरकार से बातचीत विफल होने के बाद 80 फीसदी किसान 1 जून 2017 से हड़ताल पर चले गए हैं। किसानों ने सब्जी व दूध बाजार में नहीं बेचने का फैसला किया है।
उनका दावा है कि हड़ताल के चलते शहरों में कृषि उत्पाद नहीं पहुंच सकेगा। इन सब के बीच किसानों ने मुंबई और सतारा में दूध सप्लाई के लिए जा रहे टैंकरों को रोक हजारों लीटर दूध सड़क पर बहा दिया।
किसानों की मुख्य मांगे
- राज्य में किसानों की कर्ज माफी।
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करें।
- खेती के लिए बिना ब्याज के कर्ज।
- 60 साल के उम्र वाले किसानों के लिए पेंशन योजना लागू करना।
- दूध के लिए प्रति लीटर 50 रुपए देने।
- स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करें।
- खेती के लिए बिना ब्याज के कर्ज।
- 60 साल के उम्र वाले किसानों के लिए पेंशन योजना लागू करना।
- दूध के लिए प्रति लीटर 50 रुपए देने।
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