Tuesday, July 19, 2016

सुदीप कुमार सिन्हा को श्रद्धांजलि : तुम्‍हारा यूं अचानक चले जाना


भोपाल, जयपुर और पटना में तुमसे कई बार मिला. पत्रकारिता के प्रति तुम्‍हारा जुनून और तुम्‍हारी मासूमियत भुलाए न भूलेगी. आई नेक्स्ट के सीनियर रिपोर्टर सुदीप सिन्हा का सोमवार सुबह कंकड़बाग स्थित साईं अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. अंतिम संस्कार बांस घाट पर किया गया. छोटे भाई प्रीतम ने मुखाग्नि दी. सुदीप के बड़े भाई प्रदीप सिन्हा ने बताया कि वे कुछ दिन से बीमार चल रहे थे. 16 जुलाई की शाम को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. असामयिक मौत से पिता गोपाल कृष्ण सिन्हा, मां माधुरी सिन्हा और बहन कंचन सिन्हा समेत पूरा परिवार सदमे में है. मूल रूप से सहरसा के रहनेवाले सुदीप ने माखनलाल विवि से 2005-2007 एमजे करने के बाद पत्रकारिता में करियर की शुरुआत दैनिक जागरण भोपाल से की थी. उसके बाद राजस्थान पत्रिका ‪#‎जयपुर‬ ‪#‎भोपाल‬ ‪#‎रायपुर‬ के अलावा हरिभूमि भोपाल से भी जुड़े रहे. वर्तमान में आई नेक्स्ट पटना में बतौर सीनियर रिपोर्टर कार्यरत थे. ‪#‎डायबिटीज‬ ने एक युवा पत्रकार को हमसे छीन लिया. हमारे लिए यह सबक भी है. हालांकि सुुदीप अपनी सेहत का ध्‍यान रख रहा था. Sudeep की आत्‍मा को ईश्‍वर शांति प्रदान करे.
          - चंदन शर्मा
 बस दो महीने पहले आपके ऑफिस में मिला था आपसे...पता नहीं था ये आखिरी मुलाकात होगी। मुझे याद है उसदिन पटना के आसपास हाईवे पर लंबा जाम लगा था, आप उस खबर के पीछे पड़ गए...खूब सारा फोन लगाया...और निकल गए रिपोर्टिंग पर। आपके एनर्जी लेवल की तारीफ करता रह गया मैं। एनर्जी के साथ खबर बनाने का सबसे आसान तरीका था आपके पास।
मुझे याद है...हरिभूमि में आपके साथ काम करने का मौका मिला था। मैं नया था...आपने हमेशा मेरी मदद की। एक ही बीट पर थे हम दोनों लेकिन कभी मनमुटाव नहीं होने दिया आपने....तब आपसे सीखा कि कैसे मीटिंग खत्म होते ही फटाफट खबर कंप्लीट करते हैं।
अचानक चले गए आप...ऐसे नहीं जाना था। बहुत अखर रहा है। कुछ लिखा नहीं जा रहा। बड़ी हिम्मत करके याद कर रहा हूं आपको...आपकी याद आएगी।

- मनीष चंद्र मिश्रा
अपनी लेखनी से हर खबर में जान डालने वाले आई नेक्स्ट के युवा सीनियर रिपोर्टर सुदीप सिन्हा अब हमारे बीच नहीं रहे. सोमवार की सुबह पटना के कंकड़बाग स्थित साईं अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली. बीमारी तो काफी दिनों से पीछा कर रही थी लेकिन वह हर पल उसे मात दे रहे थे. यही कारण था कि डायबिटीज जैसी बीमारी भी उनकी मुस्कान के सामने पस्त हो जाती थी. वह उसे अपनी हंसी में छिपा लिया करते थे, लेकिन सोमवार को बीमारी भारी पड़ गई और वह दुनिया को अलविदा कह गए.
- दुलार बाबू ठाकुर 
दोपहर को बेहद दुखद खबर मिली। सुदीप हमें छोड़कर चला गया। विश्वास ही नहीं हुआ कि वो यूं अचानक कैसे अलविदा कह सकता है.. साल 2005 में भोपाल में पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए जाने के दौरान सुदीप पहली बार मुझसे ट्रेन में मिला था और फिर उसके साथ वो सफर कब बीत गया ये पता भी नहीं चला। भोपाल पहुंचने पर हम एक साथ होटल में रुके.. एक साथ रूम सर्च किया और फिर एक साथ ही रहे। सुदीप, मिथिलेश और मैं क्लास के बाद घंटों एक दूसरे से बातचीत करते थे। सुदीप बहुत ही अलहदा था। जोश से भरपूर, साफ दिल और एकदम एक्टिव। कोर्स खत्म होने के बाद हम अलग अलग शहरों में जॉब के लिए चले गए। इस बीच फोन पर कभीकभार बात होती रही। बीते साल 25 फरवरी को रायपुर में सुदीप से आखिरी मुलाकात हुई थी मेरी। सालों बाद मिलने के बाद दोनों ने कई घंटे साथ बिताए और फिर मिलने का वादा कर वो चला गया। सुदीप इसके बाद पटना चला गया और फिर वाट्सएप के जरिए जुड़ा रहा। सुदीप की एक खासियत थी कि वो कभी भी अपनी परेशानी जल्दी शेयर नहीं करता था। इतनी कम उम्र में अचानक उसकी मौत की खबर स्तब्ध कर देने वाली है। पत्रकारिता के क्षेत्र उसकी कमी अपूरणीय है और मेरे लिए ये निजी क्षति है।
 तुम हमेशा याद आओगे सुदीप।
- राजीव कुमार, आईबीसी-24, रायपुर
अरे साला उसको हम देख लेंगे... ये डॉयलॉग आज सुबह से कान में गूंज रहा है...तस्वीर भले मामूली लडके की लगती है...लेकिन अखबार के दफ्तर में घाग रिपोर्टरों के बीच हौंसला बढाने के लिए सुदीप का देख लेंगे काफी था..4 साल सुदीप ओर मैंने एक दूसरे के साथ दिन रात और साथ ना हुए तो फोन पर...बिताए... अजय तुम वो खबर कर लेना हम ये देख लेंगे...सुदीप की हर बात पर हां निकलता था...आज सुबह से आंखे भर रही है जब मालूम पडा की सुदीप ने साथ छोड दिया... वो पूरी टीम मेरे डेस्क इंचार्ज राहुल जी, अतुल भाई, नितिन मेरा छोटा भाई, नीलम राजपूत, राकेश तिवारी, गजेंद्र, आज हर कोई परेशान होगा, क्योंकि सुदीप की हर बात हमारे कानों में गूंज रही होगी...एक ख्वाहिश पूरी ना कर सका सुदीप तुम्हारी वो.. बच्चन सहाब से मुलाकात की...मेरी मुलाकात के बाद तुमने मुझे बोला था अजय मुझे मिलना है...लेकिन दुर्भाग्य जब वक्ता आया था तो तुमने बोला अजय रायपुर में हूं...लेकिन तुम वक्त ना निकला पाए भाई...माफ करना...तुम बहुत याद आओगे...मेरी bollywood की रिपोर्टिंग के तुम मुरीद थे भाई क्या क्या लिखू कुछ समझ नहीं आ रहा है... बस यादें सुदीप
                         - अजय शर्मा 
आज जो खबर मिली है। उस पर यकीन नहीं हो रहा है। Sudeep Sinha सर नहीं रहे। वो हमें छोड़कर चले गए। उन्हें डायबटीज थी जो भोपाल में रहते हुए हुई थी। आज सुबह 10 बजे असामयिक उनकी मौत हो गई। मौत की वजह वायरल और फेफड़े में पानी भर जाना बताया जा रहा है। उन्हें डायबटीज भले थी लेकिन वो खुद का काफी खयाल रखने वालों में से थे। अब इस रोग को अखबारी पेशे की देन कहिये। जो शायद अस्त-व्यस्त दिनचर्या से हुआ। भोपाल में जब इसका उन्हें पता चला था तो बेहद उदास हुए थे, लेकिन खुद को सम्भालते हुए उन्होंने बेहद सख्त परहेज और दवाएं लेना भी शुरू कर दिया था। वो छोटी-छोटी बातों से खुश हो जाते थे और खाना खिलाना उन्हें बेहद पसन्द था। रचना नगर भोपाल के उस कमरे में न जाने कितनी बार दावतें हुईं। इधर काफी दिनों से उनसे मुलाकात न हो पाने का अफ़सोस है। उनका जाना हम सबके लिए किसी सदमे से कम नहीं। वो जो उन्हें जानते हैं, जिन्होंने साथ काम किया है। उन सबकी ये व्यक्तिगत क्षति है जिसे पूरा करना अब सम्भव नहीं है। ये तस्वीर भी पत्रिका के चेतक ब्रिज वाले पुराने कार्यालय में काम करते वक्त की है। शायद 7 से 10 साल पुरानी होगी। अभी सुदीप सर पटना आई नेक्स्ट में सीनियर रिपोर्टर थे। माखनलाल विवि में 2005-07 में एमजे करने के बाद उन्होंने पत्रकारिता की शुरुआत जागरण भोपाल से की थी। उसके बाद राजस्थान पत्रिका जयपुर, भोपाल, रायपुर के अलावा हरिभूमि भोपाल से भी जुड़े रहे।
- दीपक गौतम आवारा, 

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