सबरी दुनिया ओकीच सा
ज्यु हासनो जानस आय
उजारो बि ओकोच सा
ज्यु दियो जलानो जानस आय
हर जघा मंदिर, मज्जित, गुरुद्वारो सा l
पर भगवान त ओको च सा
ज्यु "माथो" नवानो जानस आय
पवारी अनुवाद : पंकज चौधरी
सारा जहां उसी का है
जो मुस्कुराना जानता है
रोशनी भी उसी की है
जो शमा जलाना जानता है
हर जगह मंदिर मस्जिद ,गुरूद्वारे है।
लेकीन इश्वर तो उसीका है जो
"सर" झुकाना जानता है..
मूल रचना
Monday, May 30, 2016
ज्यु माथो नवानो जानस आय
Friday, May 20, 2016
अचानक किसी को फोन कीजिए और बात करके देखिए...
अचानक किसी को फोन कीजिए और बात करके देखिए...
# Conversation_with_anyone
आज हर हाथ में मोबाइल। हमारे-आपके मोबाइल में सौ- 200 और 1000 - 2000 मोबाइल नंबर हैं। जिसका जितना बड़ा फ्रेंड सर्किल या जाॅब। जरा याद करके देखिए...कितने ऐसे फ्रेंड है, रिलेटिव है, जिनसे आपने महीनों-सालों से बात नहीं की है।
आप कहेंगे रोज तो चैट होती है। एफबी पर मिलते हैं। फिर क्या जरूरत।आप वाट्सएप-एफबी पर चैट करते हैं। यानी रोज अपना आधा घंटा चैटिंग में निकाल देते हैं। कभी किसी फ्रेंड को, रिलेटिव, एक्स कलीग को अचानक फोन कीजिए। दिल की बात कीजिए। देखना आपको वो खुशी मिलेगी। जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी।
बस फोन करने से पहले सामने वाले के डेली रूटीन का ख्याल रखिए। यानी जिसे आप फोन लगाए वह शख्स फ्री होना चाहिए।
आज हर कोई बिजी होने का बहाना करता है। मगर होता नहीं। हम मोबाइल पर, वाट्सएप, फेसबुक पर अपना बहुत समय बर्बाद करते हैं। इसी समय से कुछ टाइम निकाल अपनों को अचानक फोन कीजिए। रिश्ते मजबूत होंगे। नए दोस्त बनेंगे। आपके जाॅब सर्किल में नेटवर्किंग बढ़ेगी। हर तरह से फायदा ही होगा।
मेरा अनुभव तो यही कहता है। 10 साल पहले जब मेरे पास मोबाइल नहीं हुआ करता था। तब भी मैं दोस्तों को एसटीडी बूथ पर जाकर फोन करता था। मोबाइल आने के बाद ये सब इजी हो गया। इधर वाट्सएप जैसे एप के आने से हम 24 घंटे लाइव तो रहते है मगर असली खुशी हमें दिल की बात करने से ही मिलती है।
हम सिर्फ काम पड़ने पर भी किसी को फोन करते हैं। यह गलत है। इसलिए आजकल तुरंत ही पूछ बैठते है- बोलिए क्या काम था। सोचिए। हम किस दिशा में जा रहे। अपनों का हाल-चाल जानना, घर-परिवार की बातें करना, दोस्तों से उनकी नौकरी के बारे में हमने बिल्कुल ही छोड़ दिया है।
चलिए फिर से हम अपनों के करीब जाएं और अपनों को दिल के करीब लाएं। सेल्फी विथ डाॅटर की तरह .... चैट विथ एनीवन या चैट विथ फ्रेंड जैसा कोई अभियान चलाए।
# डोंगरे_की_बात , # डोंगरेकीडायरी ,
# ChatWithFriend #Conversation_w
ith_anyone
July 13, 2015 at 4:14pm
Saturday, May 7, 2016
ओ मां... तुझे सलाम
पहली तस्वीर में मां, दूसरी में दादी और तीसरी फोटो में परदादी
मुझे यह बताने में गर्व महसूस होता है कि हमारा परिवार शायद कई पीढ़ियों से मातृसत्तामक ही रहा है। जहां तक मुझे जानकारी है मेरे पिताजी स्व. श्री संपतराव डोंगरे की दादी मां यानी श्रद्धेय पूनी बाई ने अपनी पाई-पाई जमा की गई रकम से हमारी पुस्तैनी जमीन खरीदी। जहां आज हमारे परिवार रहते हैं। उसी जमीन को हमारी दादी मां ने अपने सीधे और सज्जन पति स्व. किसन डोंगरे के साथ मिलकर सजाया-संवारा। यानी मरते दम तक खेतों में बैल गाड़ी चलाने से लेकर हर तरह के काम किए।
मेरी सबसे बड़ी प्रेरणास्त्रोत दादी (डोकरी माय) ही थीं। उनकी परंपरा को मेरी मां श्रीमती गौरा बाई और भाभी जी कैकई बाई आगे बढ़ा रही है।
जब भी कोई दुख की घड़ी आती है तो मेरे मुंह से ओ मां ही शब्द निकलते हैं। मां मेरी कमजोरी और ताकत भी है। घर से दूर रहने के कारण बरबस ही मां की याद आ जाती है, आंखों में आंसू झरने लगते हैं। लेकिन तभी मां के वे शब्द कान में गूंजने लगते हैं। बेटा- तुम दोनों भाइयों को बाहर निकलकर कुछ करना है। अपना और हमारा नाम बढ़ाना है।
शायद यही वजह है हम आज भी मुश्किलों से घबराते नहीं, जूझते है और अपने आप को संभाल लेते हैं।
मां से मिली मुझे प्रेरणा, ताकत और भरोसा
ओ मां.... तुझे सौ सौ सलाम
( मदर्स डे, 8 मई 2016)