डोंगरे जी आज अचानक डायरी पर कैसे !
आज अचानक बहुत कुछ हुआ है ...
अचानक ही मैं एक कवि गोष्ठी में जा पहुंचा। प्रोग्राम गाजियाबाद में था दोस्त संजीव माथुर के घर। गिर्दा और कथाकार भीमसेन त्यागी की स्मृति मेंकविता-पाठ। इसमें मंगलेश डबराल और वीरेन डंगवाल सहित कई अन्य कवि थे।
सबसे मुलाकात हुई। कार्यक्रम बहुत अच्छा था। दिल्ली में दूसरी गोष्ठी अटेंड की। इससे पहले बाबा विष्णु खरे जी से मुलाकात के बहाने साहित्य अकादमी में एक प्रोग्राम में गया था ।
संजीव जी के घर पर प्रोग्राम में जाने का माध्यम बने मेरे दोस्त मिथिलेश कुमार ... उनके फोन से मुझे इसकी जानकारी मिली ।
प्रोग्राम में भीमसेन त्यागी की स्मृति में मोहन गुप्त का संस्मरण-पाठ हुआ । जिसमें उनकी डायरी सुनने को मिली। काफी अच्छा लगा । कविता पाठ का मन था मगर ....
लगता है दुबारा जुड़ना चाहिए ...
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