Thursday, November 4, 2021

कोरोना महामारी के बीच 'एक दीया उम्मीद का...'


*दीयों के बिना दीपावली का त्योहार अधूरा सा लगता है,*
*यहीं संदेश देने के लिए आयुषी ने बनाई अनोखी रंगोली*

रायपुर। कोरोना के इस दौर में एक तरफ जहां दीपावली पर हर तरफ पटाखों का शोर है। वहीं राजधानी रायपुर की *भावना नगर कॉलोनी में रेसिडेंशियल सोसाइटी साईं सिमरन* की एक रंगोली चर्चा का विषय बनी हुई है। इसमें कोरोना महामारी से पनपते मायूसी भरे माहौल में हर हाथ में उम्मीद का एक दीया लेकर चलने का संदेश दिया जा रहा है। साथ ही दीयों के बगैर दीपावली अधूरा सी है। यह संदेश भी बताया जा रहा है। 

*सीए की पढ़ाई कर रही 20 वर्षीय आयुषी बोधवानी* ने अलादीन का चिराग कांसेप्ट पर इस रंगोली को 3 घंटे में तैयार किया है। इसमें दिखाया गया है कि दीये के अंदर से एक महिला बाहर निकलती है और दीया जलाती है। ठीक उसी तरह से जैसे अलादीन के चिराग से अलादीन बाहर निकलता है। 

इस रंगोली का एक कॉन्सेप्ट ये है कि हमारी भारतीय परंपरा में किसी भी त्योहार में रोशनी के लिए, उजियारे के लिए दीया जलाकर उत्सव मनाते हैं। दीयों की रोशनी के बिना दीपावली भी अधूरी सी रहती है। इसीलिए एक महिला और दीये को इसमें दिखाया गया है। 

आयुषी बोधवानी ने बताया कि मैंने रंगोली में एक महिला को दिखाने के बारे में सोचा था। थोड़ा और सोचने पर मुझे लगा कि कोई अलादीन का चिराग जैसा कुछ इसमें हो, जो कोरोना महामारी से पैदा हुई हमारी परेशानियों को अपने साथ ले जाए।और अचानक इस रंगोली का कांसेप्ट बना। इसमें एक अलादीन का चिराग जैसे दीये से एक महिला निकलती है, जिसके हाथ में एक दीया है। कोरोना महामारी की वजह से हमारे आसपास पनपते मायूसी भरे माहौल को दूर करने के लिए 'उम्मीद का एक दीया' हर किसी के हाथ में होना चाहिए। ऐसा संदेश भी इस रंगोली से निकलकर आता है।

भले ही आधुनिकता के चलन में दीयों का स्थान रंग-बिरंगी झालरों ने ले लिया हो। तेज आवाज वाले पटाखे ही दीपावली की पहचान बन गए हो लेकिन इसके बावजूद दीयों का क्रेज आज भी कम नहीं हुआ है।

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