Wednesday, December 2, 2020

|| आकाशवाणी छिंदवाड़ा, रेडियो एनाउंसर गीतांजलि गीत और मैं ||

102.2 मेगाहर्ट्ज पर ये आकाशवाणी का छिंदवाड़ा केंद्र है… स्टूडियो की घड़ी में शाम के 5 बजकर 30 मिनट हो चुके हैं। आइए सुनते हैं आपका पसंदीदा कार्यक्रम...युववाणी। 

आज हम मुलाकात करते हैं एक ऐसी शख्सियत से जो बहुमुखी प्रतिभा संपन्न है। इनका नाम है गीतांजलि गीत। जी हां लेखिका, पत्रकार, कार्टूनिस्ट, कमेंटेटर और रेडियो एनाउंसर गीतांजलि गीत...। हम सभी श्रोताओं की तरफ से आपका स्वागत करते हैं।

…इस पोस्ट का अंदाज रेडियो वाला है। 

आप इशारा समझ ही गए होंगे... आज मैं मुलाकात करने पहुंचा हूं मशहूर रेडियो एनाउंसर गीतांजलि गीत मैडम से। दोपहर के 12:00 बजे है. तारीख 22 नवंबर 2020. स्थान है मिश्रा कॉलोनी, बरारीपुरा छिंदवाड़ा।

इस नए मकान में ये पहली मुलाकात है। यहां मौजूद हैं श्री राजेंद्र राही जी, वरिष्ठ पत्रकार और कवि। साथ में उनकी बिटिया गौरंगी मिश्रा।

मुलाकात में अलग-अलग टॉपिक पर चर्चा हुई, जिसमें पहला टॉपिक आकाशवाणी छिंदवाड़ा था। आकाशवाणी की चर्चा शुरू होते ही बतौर श्रोता मेरी पहली पहचान को गीतांजलि गीत मैडम ने याद किया। यहां कई कंपेयर और एनाउंसर के नामों की चर्चा भी निकली, जिनमें धीरेंद्र दुबे जी, प्रमोद डबली जी, नरेंद्र सकरवार जी, प्रशांत नेमा, इमरान खान, सारंग काले, शिवानी श्रीवास्तव आदि नाम प्रमुख थे। आकाशवाणी के वरिष्ठ एनाउंसर अवधेश तिवारी जी और डहेरिया सर, कमल सागरे आदि नामों पर भी चर्चा हुई।

कमल सागरे जी के कार्यकाल में मेरा (रामकृष्ण डोंगरे) का आकाशवाणी छिंदवाड़ा के कंपेयर और कुछ कुछ एनाउंसर में थोड़ा खौफ था. उसकी चर्चा मैं इस पोस्टर करना चाहूंगा। 

*युववाणी कार्यक्रम और सातसवाल*

आकाशवाणी छिंदवाड़ा का युववाणी प्रोग्राम और इसमें मेरा सबसे पसंदीदा कार्यक्रम सात सवाल मैं 1995 से लगातार सुन रहा था। इस प्रोग्राम में जनरल नॉलेज के 7 क्वेश्चन, 7 सवाल पूछे जाते थे, जिनके जवाब श्रोताओं को एक हफ्ते में लिखकर पोस्ट करना होता था। बाद में सही जवाब वाले श्रोताओं के नाम अनाउंस किए जाते थे। प्रथम, द्वितीय, तृतीय विजेताओं को आकाशवाणी की तरफ से इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किया जाता था। इसी प्रोग्राम की बदौलत में दो बार इंटरव्यू में शामिल हुआ।

इसी प्रोग्राम में सवालों के गलत जवाब को सही बताने की वजह से मेरा आकाशवाणी छिंदवाड़ा से विवाद चलता था। कई बार टेलीफोन पर भी मेरी कमल सागरे सर और वहां के कई एनाउंसर कंपेयर से बात होती थी। बार-बार टोका टोकी से तंग आकर कमल सागरे जी ने टेलीफोन पर बातचीत में मुझसे यह तक कह दिया था कि --- 

"हमारे यहां जो एनाउंसर और कंपेयर काम करते हैं वे भी इसी दुनिया से है और आपके जैसे ही है। उनसे गलतियां हो रही है। हो जाती है तो मैं क्या करूं। तुम क्या चाहते हो कि मैं आकाशवाणी छिंदवाड़ा में एक ताला लगाकर स्टेशन बंद कर दूं।"

तब मैंने महसूस किया कि और ज्यादा टीका टिप्पणी करने का कोई फायदा नहीं है. सच्चाई से मैं भी वाकिफ था, सभी कंपेयर एनाउंसर अपनी व्यस्त लाइफ में से कुछ समय निकालकर वहां ड्यूटी करने जाते थे। और जनरल नॉलेज की जो भी किताब उनके हाथ में लगती थी, उसी से वे सवाल पूछते थे और जवाब चुनते थे। तो अगर उन किताबों में ही गलत जवाब लिखे हैं तो वे गलत जवाब को ही सही बता देते थे।

...लेकिन जैसा कि हम बचपन से सुनते आ रहे हैं न्यूज़पेपर और रेडियो उस जमाने में हर तरह की जानकारी का पुख्ता सोर्स होते थे। अगर पाठक या श्रोता, अखबार या रेडियो से गलत जानकारी प्राप्त करेगा तो उसका असर उसके फ्यूचर पर भी पड़ेगा। इसीलिए मैं गलत जवाब को बर्दाश्त नहीं कर पाता था। 

इस चर्चा में गीतांजलि गीत मैडम ने शिवानी श्रीवास्तव मैडम का खास जिक्र किया। गीतांजलि मैडम ने बताया कि शिवानी श्रीवास्तव मैडम आप को लेकर खौफ़जदा रहती थी। तब मैंने (गीतांजलि गीत) उन्हें बताया कि -- "वह अच्छा लड़का है. वह सिर्फ यही चाहता है कि रेडियो के जरिए गलत जानकारी प्रसारित ना हो."

लगभग 10 साल के बाद हो रही हमारी इस मुलाकात में गीतांजलि मैडम ने अपने अब तक के सफर का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि वे इंदौर के एफएम रेडियो ज्ञानवाणी में डायरेक्टर भी रही। इसके अलावा वहां उन्होंने कुछ समय कॉलेज में भी बच्चों को पढ़ाया। वही अलग-अलग सरकारी और प्राइवेट माध्यमों के लिए डॉक्यूमेंट्री और शार्ट वीडियो भी बनाए, जो काम अभी जारी है।

उनकी बिटिया गौरांगी भी उन्हीं की तरह प्रतिभाशाली है। वे पेंटिंग के अलावा स्केच भी बनाती है। जर्नलिज्म की स्टूडेंट है। शॉर्ट फिल्म भी बना चुकी है।

गीतांजलि गीत मैडम रेडियो की तरह बोलती है। क्योंकि वे रेडियो में काम जो करती है। उन्हें सुनना हमेशा अच्छा लगता है। उस दिन भी मैं उन्हें लगातार 1- 2 घंटे तक सुनता रहा। ये मुलाकात यादगार रही। रेडियो की दुनिया के लोग मेरे सबसे बड़े स्टार हुआ करते थे। एक समय मैं मुंबई जाने का ख्वाब देखता था, तो सबसे पहले (अमिताभ और शाहरुख से भी पहले) विविध भारती मुंबई जाकर कमल शर्मा जी और यूनुस खान जी जैसे तमाम वरिष्ठ एनाउंसर से मिलने का सपना देखता था। 

रेडियो सुनना वाकई अच्छा शौक है। यह बच्चों में कल्पना शक्ति को बढ़ाता है। आप काम करते हुए भी अपना मनोरंजन और ज्ञानवर्धन कर सकते हैं। मैं आज के तेज रफ्तार चलने वाले रेडियो चैनल के बारे में ये बात नहीं कहता। मगर जमाने के साथ बदलाव तो आना ही था। ये प्राइवेट एफएम चैनल भी युवाओं के बीच में खासे लोकप्रिय है। और इनके आरजे आज के युवाओं के स्टार भी है, जिनमें *रेडियो मिर्ची वाले आरजे नावेद* पूरे देश में सबसे ज्यादा मशहूर है, क्योंकि उनका प्रोग्राम "मिर्ची मुर्गा" खासा लोकप्रिय है. 

2003 में मैंने भी रेडियो में एनाउंसर कंपेयर के लिए फार्म भरा था, एग्जाम भी हुआ लेकिन अफसोस की बात यह रही कि मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ शायद अच्छा ही हुआ। 

गीतांजलि गीत मैडम और आकाशवाणी के दूसरे वरिष्ठजनों, छिंदवाड़ा के डीडीसी कॉलेज, पीजी कॉलेज, गर्ल्स कॉलेज के तमाम प्रोफेसरों और लेखक और साहित्यकारों के मार्गदर्शन की वजह से ही मैं आज जीवन में कुछ कर पा रहा हूं। अगर इनका मार्गदर्शन नहीं मिलता तो मैं अपना यह सफर नहीं तय कर पाता।

...तो दोस्तों, फेसबुक की घड़ी में अभी वक्त हो रहा है शाम के 6 बजकर 27 मिनट और हम अपनी इस चर्चा को यहीं विराम देते हैं। अगली कड़ी में आपसे फिर रूबरू होंगे और मुलाकात करेंगे किसी नई शख्सियत से। तब तक के लिए अपने दोस्त और होस्ट रामकृष्ण डोंगरे को विदा कीजिए… 

शुभ रात्रि।

प्रस्तुति और संयोजन - रामकृष्ण डोंगरे

#मुलाकातों_के_सिलसिले_2020



1 comment:

ppn said...

शानदार डोंगरे जी