( कुछ दिन रायपुर-रायगढ़ में रहने के बाद आज दीदी छिंदवाड़ा लौट रही है। एक कविता उनकी यादों को समेटे )
----'--'---'''----'---'---
कोई आता है,
कोई जाता है।
वक्त-बे-वक्त
वो लम्हा जरूर याद आता है....
कोई रुलाता है,
कोई हंसाता है।
वो लम्हा जरूर याद आता है....
कोई याद रहता है,
कोई भूल जाता है।
वो लम्हा जरूर याद आता है...
|| अभी-अभी ||
#रामकृष्ण डोंगरे तृष्णा #रचना_डायरी
Tuesday, March 21, 2017
वो लम्हा जरूर याद आता है
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment