{अफ्रीकन कंट्री, रशियन कंट्री की तर्ज पर भारत के सभी देश भी इंडियन कंट्री के देश कहलाएंगे। फिर हम साउथ कोरिया और नार्थ कोरिया की तरह आपस में ही लड़ेगें। हां, कुछ देशों का पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश से पीछा जरूर छूट जाएगा। लेकिन क्या हम फिर आपस में ही नहीं लड़ने लगेंगे। 'ये मेरा देश, ये तेरा देश'- के नारे के साथ...। ...पढ़िए मेरा यह व्यंग्यनुमा लेख...
देश के 29 वें राज्य तेलंगाना के गठन पर मुहर क्या लगी, पं. बंगाल में अलग गोरखालैंड और असम में बोडोलैंड राज्य की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। तेलंगाना के बाद पं. बंगाल में गोरखालैंड, असम में बोडोलैंड, यूपी को बांटकर बुंदेलखंड, पूर्वांचल, हरित प्रदेश, अवध प्रदेश, महाराष्ट्र से विदर्भ, गुजरात से सौराष्ट्र, कर्नाटक से कुर्ग, बिहार से मिथिलांचल, राजस्थान में मारूप्रदेश, उड़ीसा में कोसल, मध्यप्रदेश में बाघेलखंड और जम्मू जैसे दो दर्जन राज्य बन गए तो क्या होगा? कहीं दक्षिण भारत में भी कई और नए राज्य सिर उठाने लगे तब? इन सब बातों को लेकर दिमाग में दिनभर मंथन चलता रहा।
अपना काम खत्म करके देर रात को मैं आफिस से घर पहुंचा और गहरी नींद में सो गया। फिर पता नहीं कब सपनों की दुनिया में खो गया। देखता क्या हूं कि मैं एक चैनल का बॉस हूं। अचानक आफिस से मेरे एक जूनियर का फोन आता है- 'सर, देश के अलग-2 हिस्सों में सुबह से ही हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए है। लोगों की मांग है कि अब उन्हें अपना अलग देश भी चहिए।' मैंने सोचा- कल तक तो अलग राज्य की ही मांग उठ रही थी। क्या इतनी जल्दी दर्जनभर राज्य बन गए? क्या अब कुछ नेताओं की इच्छा सीधे प्रधानमंत्री बनने की हो गई? जो हिंसक प्रदर्शन पर उतारू हो गए। मैंने तुरंत अपने कलीग को लाइव कवरेज का आदेश दे डाला और मैं विचारों की दुनिया में खोते लगाने लगा...।
भगवा बिग्रेड कब से अपने लिए हिंदुस्तान मांग रहा है। दलित की बेटी प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रही है। बिहार वाले अपने लिए अलग देश, मराठी भाषी महाराष्ट्र को देश बनाना चाहते हैं। कहीं ऐसा न हो कि हम मध्यकालीन भारत में पहुंच जाए... और मगध, काशी, कुरुक्षेत्र, कौशल, अवन्ति, चेदि, वत्स, पांचाल जैसे सभी महाजनपद यानी आज के नए देश अवतरित हो जाए। नेतागण अपने फायदे-नुकसान के लिए चाहे, जो करवा लें। वे अलग राज्य में जैसे अपने लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी फिक्स समझते हैं। ठीक वैसे ही अलग देश में उनकी मंशा होगी- 'अपने देश के पीएम बनो और केंद्र-राज्य के झगड़े से मुक्ति पाओ।'
फिर आगे क्या होगा। अफ्रीकन कंट्री, रशियन कंट्री की तर्ज पर भारत के सभी देश भी इंडियन कंट्री के देश कहलाएंगे। फिर हम साउथ कोरिया और नार्थ कोरिया की तरह आपस में ही लड़ेगें। हां, कुछ देशों का पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश से पीछा जरूर छूट जाएगा। लेकिन क्या हम फिर आपस में ही नहीं लड़ने लगेंगे। 'ये मेरा देश, ये तेरा देश'- के नारे के साथ...। अचानक कानों में बीवी की आवाज सुनाई दी- 'उठो! ये लो चाय, और अखबार..। आंख खुली तो देखा मैं तो वहीं हूं, एक अखबार का अदना-सा पत्रकार। चैनल का बॉस... अलग देश की मांग... ये सब तो सपने की बातें थी। शुक्र है कि सब सपना था। सोचिए अगर यह हकीकत होती, तो क्या होगा? खुदा से दुआ करो कि हमारे वतन के और टुकड़े न हो। देश में और कई राज्य न बनें।
देश के 29 वें राज्य तेलंगाना के गठन पर मुहर क्या लगी, पं. बंगाल में अलग गोरखालैंड और असम में बोडोलैंड राज्य की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए। तेलंगाना के बाद पं. बंगाल में गोरखालैंड, असम में बोडोलैंड, यूपी को बांटकर बुंदेलखंड, पूर्वांचल, हरित प्रदेश, अवध प्रदेश, महाराष्ट्र से विदर्भ, गुजरात से सौराष्ट्र, कर्नाटक से कुर्ग, बिहार से मिथिलांचल, राजस्थान में मारूप्रदेश, उड़ीसा में कोसल, मध्यप्रदेश में बाघेलखंड और जम्मू जैसे दो दर्जन राज्य बन गए तो क्या होगा? कहीं दक्षिण भारत में भी कई और नए राज्य सिर उठाने लगे तब? इन सब बातों को लेकर दिमाग में दिनभर मंथन चलता रहा।
अपना काम खत्म करके देर रात को मैं आफिस से घर पहुंचा और गहरी नींद में सो गया। फिर पता नहीं कब सपनों की दुनिया में खो गया। देखता क्या हूं कि मैं एक चैनल का बॉस हूं। अचानक आफिस से मेरे एक जूनियर का फोन आता है- 'सर, देश के अलग-2 हिस्सों में सुबह से ही हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए है। लोगों की मांग है कि अब उन्हें अपना अलग देश भी चहिए।' मैंने सोचा- कल तक तो अलग राज्य की ही मांग उठ रही थी। क्या इतनी जल्दी दर्जनभर राज्य बन गए? क्या अब कुछ नेताओं की इच्छा सीधे प्रधानमंत्री बनने की हो गई? जो हिंसक प्रदर्शन पर उतारू हो गए। मैंने तुरंत अपने कलीग को लाइव कवरेज का आदेश दे डाला और मैं विचारों की दुनिया में खोते लगाने लगा...।
भगवा बिग्रेड कब से अपने लिए हिंदुस्तान मांग रहा है। दलित की बेटी प्रधानमंत्री बनने के सपने देख रही है। बिहार वाले अपने लिए अलग देश, मराठी भाषी महाराष्ट्र को देश बनाना चाहते हैं। कहीं ऐसा न हो कि हम मध्यकालीन भारत में पहुंच जाए... और मगध, काशी, कुरुक्षेत्र, कौशल, अवन्ति, चेदि, वत्स, पांचाल जैसे सभी महाजनपद यानी आज के नए देश अवतरित हो जाए। नेतागण अपने फायदे-नुकसान के लिए चाहे, जो करवा लें। वे अलग राज्य में जैसे अपने लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी फिक्स समझते हैं। ठीक वैसे ही अलग देश में उनकी मंशा होगी- 'अपने देश के पीएम बनो और केंद्र-राज्य के झगड़े से मुक्ति पाओ।'
फिर आगे क्या होगा। अफ्रीकन कंट्री, रशियन कंट्री की तर्ज पर भारत के सभी देश भी इंडियन कंट्री के देश कहलाएंगे। फिर हम साउथ कोरिया और नार्थ कोरिया की तरह आपस में ही लड़ेगें। हां, कुछ देशों का पाकिस्तान जैसे दुश्मन देश से पीछा जरूर छूट जाएगा। लेकिन क्या हम फिर आपस में ही नहीं लड़ने लगेंगे। 'ये मेरा देश, ये तेरा देश'- के नारे के साथ...। अचानक कानों में बीवी की आवाज सुनाई दी- 'उठो! ये लो चाय, और अखबार..। आंख खुली तो देखा मैं तो वहीं हूं, एक अखबार का अदना-सा पत्रकार। चैनल का बॉस... अलग देश की मांग... ये सब तो सपने की बातें थी। शुक्र है कि सब सपना था। सोचिए अगर यह हकीकत होती, तो क्या होगा? खुदा से दुआ करो कि हमारे वतन के और टुकड़े न हो। देश में और कई राज्य न बनें।