महिलाओं को शादी के बाद अपना सारा व्यक्तित्व, अपनी सारी काबिलीयत पति- बच्चे और परिवार पर न्यौछावार कर देनी चाहिए। देश कोई चीज नहीं हैं या...। चलिए देश की बात छोड़ भी दें, तो क्या आदमी का अपना कोई अस्तित्व नहीं होता ... अपनी कोई पहचान नहीं होती है... जब पुरूषों को अपनी पहचान, अपना अस्तित्व प्यारा होता है... तब महिलाएं क्यूँ न अपना अस्तित्व, अपना वजूद बनाए...। डोंगरे का बीवीनामा
http://dongretrishna.blogspot.com/2008/02/blog-post_26.
मशहूर ब्लॉगर रवि रतलामी की वेबसाईट रचनाकार पर भी पढिये,
एक सिम्पल मैन का बीवीनामा http://rachanakar.blogspot.com/2007/12/blog-post_24.html
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