इस हिमालय से कोई गंगा निकालनी चाहिए
आज ये दीवार परदों की तरह हिलने लगी
शर्त लेकिन थी की बुनियाद हिलनी चाहिए
हर सड़क पर, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए
सिर्फ हंगामा खडा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश ये है की ये सूरत बदलनी चाहिए
मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही
हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए
दुष्यंत कुमार स्मारक डाक टिकट जारी करेंगे राज्यपाल
हिन्दी गजल को नया तेवर और ताजगी प्रदान करने वाले मध्यप्रदेश के साहित्यकार दिवंगत दुष्यंत कुमार के सम्मान में भारतीय डाक विभाग स्मारक डाक टिकट जारी करने जा रहा है। मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर २७ सितम्बर को माधवराव सप्रे स्मृति समाचार पत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान में एक समारोह में दुष्यंत कुमार स्मारक डाक टिकट जारी करेंगे। इस मौके पर दुष्यंत रचनावली के संपादक डा. विजय बहादुर सिंह तथा पूर्व कुलपति प्रो. धनंजय वर्मा दुष्यंत के व्यक्तित्व और कृतित्व पर व्याख्यान देंगे।
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‘मैं बेकरार हूं आवाज में असर के लिए’
परदे के पीछे मशहूर कवि और शायर दुष्यंत कुमार का 75वां जन्मोत्सव एक सितंबर 2007 से 31 अगस्त 2008 तक मनाया जाएगा। भोपाल में आयोजक ने बताया कि इस दौरान वर्ष भर व्याख्यान, कवि सम्मेलन और मुशायरों का आयोजन होगा। आज बाजार की ताकतों के कारण आए सामाजिक परिवर्तनों पर दुष्यंत कुमार किस तरह लिखते, इस बात की कल्पना मात्र से रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उनके जैसी विलक्षण प्रतिभा के लिए इस कालखंड में लिखना अत्यंत महत्वपूर्ण होता, क्योंकि विसंगतियों और विरोधाभास के इस दौर को वे बेहतर ढंग से प्रस्तुत करते, साथ ही उनके नजरिए से मौजूदा दौर को देखना एक विरल अनुभव होता। इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि उनकी रचनाएं आउटडेटेड हो गईं हैं। उनकी रचनाएं आज भी सार्थक हैं और कल भी महत्वपूर्ण साबित होंगी।.......