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हैप्पी दिवाली : अपनों की कमी सिर्फ मुझे ही या आपको भी
अपनों से दूर रहकर शायद ही कभी अपनों की कमी पूरी होती हो...। मुझे तो यही लगता... और आपको ...। अगर कोई उपाय किसी केपास हो मुझे जरूर बताए। मैं आपका शुक्रगुजार रहूंगा।
दीपावली... प्रकाशपर्व यानी दिवाली। आप सब को दीपोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं। आप में से जो लोग अपने गांव में, अपने परिवार के बीच दिवाली मना रहे हैं वे उन लोगों की बनिस्बत ज्यादा खुश होंगे, जो लोग अपने घर, अपने गांव नहीं जा सकें। मेरे जैसे कुछ लोग उन्हीं लोगों की सूची में आते हैं।
खैर...। हम अपने से दूर रहे या अपनों के करीब ...। हमें दिवाली को इन्जॉय तो करना ही है। मुझे अपने बचपन की दिवाली भी याद है और पिछले साल या उससे पिछले साल की दिवाली भी...।
बात पिछले साल की दिवाली की करते हैं। पिछले साल मैं दिल्ली से घर गया था। सभी के लिए कपड़े मैंने खरीदें थे। मेरे घर में एक पीढ़ी अपने बचपन के दौर से गुजर रही है। जिसमें मेरे दो भतीजे और एक भतीजी शामिल है। मैं छोटे- छोटे पटाखें, अनार दाने और फूलझड़ी खरीद कर लाता हू और हां ... साथ में टिकली भी। बड़ा भतीजा सोनू हमेशा इन चीजों से दूर भागता है। अभी वह 6 साल का हो गया है ... कई साल से उसका रवैया ऐसा ही रहा है... ।
अब बात मेरे बचपन की। हम तीन भाई और बड़ी दीदी भी कुछ इसी तरह केस्वभाव केरहे हैं। मैं और मेरा छोटा रामधन छोटे-छोटेपटाखे और लक्ष्मी पटाखे फोड़ा करते थे...। जवार केखेत में पक्षियों को भगाने केलिए कई दिनों तक हम पटाखे फोड़ा करते थे।
खास बात जो मुझे याद आती है वो ये कि मैं रंगोली सजाने, घर की साफ-सफाई करने और सामान को व्यवस्थित करने में सबसे आगे रहता था। कौन- सा सामान कहां होना चाहिए, यह मुझे हमेशा अच्छी तरह याद होता था। इसलिए घर की साफ-सफाई केबाद सामान जमाने की जिम्मेदारी मेरी ही होती थी।
इस बार दिवाली पर मैं घर नहीं गया। ऐसे मौके पर मुझे सभी की याद आ रही है। मोबाइल के चलते सभी से रोज बात हो जाती है। फिर भी मन नहीं भरता। कई दोस्तों, परिचितों को एसएमएस किया, कुछेक को फोन किया फिर भी चैन नहीं मिला। अपनों से दूर रहकर शायद ही कभी अपनों की कमी पूरी होती हो...। मुझे तो यही लगता... और आपको ...। अगर कोई उपाय किसी केपास हो मुझे जरूर बताए। मैं आपका शुक्रगुजार रहूंगा।
एक बार फिर आप सबको दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं। हैप्पी दिवाली।
अपनों से दूर रहकर शायद ही कभी अपनों की कमी पूरी होती हो...। मुझे तो यही लगता... और आपको ...। अगर कोई उपाय किसी केपास हो मुझे जरूर बताए। मैं आपका शुक्रगुजार रहूंगा।
दीपावली... प्रकाशपर्व यानी दिवाली। आप सब को दीपोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं। आप में से जो लोग अपने गांव में, अपने परिवार के बीच दिवाली मना रहे हैं वे उन लोगों की बनिस्बत ज्यादा खुश होंगे, जो लोग अपने घर, अपने गांव नहीं जा सकें। मेरे जैसे कुछ लोग उन्हीं लोगों की सूची में आते हैं।
खैर...। हम अपने से दूर रहे या अपनों के करीब ...। हमें दिवाली को इन्जॉय तो करना ही है। मुझे अपने बचपन की दिवाली भी याद है और पिछले साल या उससे पिछले साल की दिवाली भी...।
बात पिछले साल की दिवाली की करते हैं। पिछले साल मैं दिल्ली से घर गया था। सभी के लिए कपड़े मैंने खरीदें थे। मेरे घर में एक पीढ़ी अपने बचपन के दौर से गुजर रही है। जिसमें मेरे दो भतीजे और एक भतीजी शामिल है। मैं छोटे- छोटे पटाखें, अनार दाने और फूलझड़ी खरीद कर लाता हू और हां ... साथ में टिकली भी। बड़ा भतीजा सोनू हमेशा इन चीजों से दूर भागता है। अभी वह 6 साल का हो गया है ... कई साल से उसका रवैया ऐसा ही रहा है... ।
अब बात मेरे बचपन की। हम तीन भाई और बड़ी दीदी भी कुछ इसी तरह केस्वभाव केरहे हैं। मैं और मेरा छोटा रामधन छोटे-छोटेपटाखे और लक्ष्मी पटाखे फोड़ा करते थे...। जवार केखेत में पक्षियों को भगाने केलिए कई दिनों तक हम पटाखे फोड़ा करते थे।
खास बात जो मुझे याद आती है वो ये कि मैं रंगोली सजाने, घर की साफ-सफाई करने और सामान को व्यवस्थित करने में सबसे आगे रहता था। कौन- सा सामान कहां होना चाहिए, यह मुझे हमेशा अच्छी तरह याद होता था। इसलिए घर की साफ-सफाई केबाद सामान जमाने की जिम्मेदारी मेरी ही होती थी।
इस बार दिवाली पर मैं घर नहीं गया। ऐसे मौके पर मुझे सभी की याद आ रही है। मोबाइल के चलते सभी से रोज बात हो जाती है। फिर भी मन नहीं भरता। कई दोस्तों, परिचितों को एसएमएस किया, कुछेक को फोन किया फिर भी चैन नहीं मिला। अपनों से दूर रहकर शायद ही कभी अपनों की कमी पूरी होती हो...। मुझे तो यही लगता... और आपको ...। अगर कोई उपाय किसी केपास हो मुझे जरूर बताए। मैं आपका शुक्रगुजार रहूंगा।
एक बार फिर आप सबको दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएं। हैप्पी दिवाली।