अगर पिता है घर,
नहीं किसी का डर
पिता की मृत्यु की सदी
पिता के लिए कई संबोधन है ... बाबूजी, जी आदि
हम सभी भाई -बहन पिताजी को भाऊ कहते थे
सबसे प्रिय 70 शब्दों में पिता का कोई स्थान नहीं
[जब बात पिता की होती है ... सबसे पहले हमें अपने पिता याद आते है . मेरे पिता अब इस दुनिया में नहीं है ... हम सभी भाई -बहन उन्हें भाऊ कहते थे ... पिता के लिए वैसे तो कई संबोधन है ... बाबूजी, जी आदि . मगर अब पापा शब्द ज्यादा चल पड़ा है ... हमारे समुदाय में , हमारे गाँव और आसपास के गाँव में भी पिताजी को भाऊ ही कहा जाता है ... मुझे याद है ... मेरे नाना जी को भी ... माँ , मौसी , मामा जी सभी लोग भाऊ ही बुलाते थे. मेरे पिता जी ... यानी भाऊ एक अच्छे इन्सान थे ... उन्होंने शायद ही कभी हम भाई - बहनों को कभी मारा हो ... माँ, कल्पना दीदी , अशोक भइया, छोटा भाई रामधन और मैं यानी पूरा परिवार उन्हें बहुत याद करता है ... साथ ही हम सभी उनकी कमी महसूस करते है . ]
फ़र्ज़ का परचम पिता
इक नन्हें दिल में कितने ही लिए मौसम पिता
सह रहे हो चुपके -चुपके कैसे -कैसे गम पिता .
क्या है माँ , क्या है पिता , मैं कह रहा हूँ तुम सुनो
माँ तो है ममता की मूरत , फ़र्ज़ का परचम पिता .
खुश नसीब हैं वे जिनके पिता साथ होते हैं ,
पिता के दो नहीं हजारों हाथ होते हैं .
बाप की आंखों में दो बार आंसू आते हैं
बेटी घर छोड़े तब , बेटा मुंह मोड़े तब .
फादर्स डे पर एक किताब से परिचय ...
पिता ... पिता पर केंद्रित स्वादित साहित्य
स्वादन- वल्लभ डोंगरे, संसार के समस्त पिताओं को समर्पित
प्रकाशन - सतपुडा प्रकाशन, भोपाल वर्ष - 2007-08
आसमान से ऊंचा कौन है ?
... पिता
वल्लभ डोंगरे जी ने ... पिता की मृत्यु की सदी नाम से सम्पादकीय में यहीं लिखा है ... आसमान से ऊंचा कौन है ? ... पिता. वे लिखते है कई देशों में बच्चों का लालन -पालन वहां की सरकार के जिम्मे होता है . माता -पिता की भूमिका वहां केवल महज़ बच्चा पैदा करने तक सीमित होती है .
आगे उन्होंने लिखा है की 102 देशों के 40 हजार लोगों में हुए सर्वे में संसार के सबसे प्रिय 70 शब्दों में पिता का कहीं कोई स्थान नहीं था . पिता को हाशिये पर करता यह समय पिता की मृत्यु का उदघोष करता प्रतीत होता है ...यह सदी पिता की मृत्यु की सदी कहलाने को तैयार सी लगती है ... ऐसे समय में पिता को साहित्य में सहेजना पिता के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करना है .
इस किताब में कविता , कहानी , ग़जल , संस्मरण , और पत्र भी है ... पिता के पत्र .
निदा फाजली, कुमार अंबुज , एकांत श्रीवास्तव , यश मालवीय जैसे कई बड़े कवियों की कविताये है , वहीं ग़जलकारों कुंवर बैचेन, आलोक श्रीवास्तव जैसे कई नाम शामिल है ...
कहानियों में... पिता नाम से धीरेन्द्र अस्थाना की एक कहानी है .
पत्र कई सारे है ... घनश्याम दस बिड़ला का पत्र , औरंगजेब का पत्र , आदि .
कुल मिला कर किताब पठनीय है .