राम तेरे कितने नाम...
नमस्कार दोस्तों...शुभचिंतकों ...
आज मेरा जन्मदिन है. 'राम तेरे कितने नाम' ये मूवी सन 85 में रिलीज हुई थी. मेरा जन्म सन 78 में हुआ था. आज मैं 41वां जन्मदिन मना रहा हूं।
आपमें से कई लोग मुझे 'राम' कह कर बुलाते हैं. कोई कृष्णा कहता है. कोई रामकृष्णा कहता है. लेकिन ज्यादातर लोग मुझे मेरे सरनेम यानी डोंगरे से 'डोंगरेजी' कहकर बुलाते हैं।
यह बुलाने- पुकारने की शुरुआत कब कैसे हो जाती है. कोई नहीं जानता. सब कुछ अचानक. हां मुझे याद आया एक पत्रकारिता संस्थान में मुझे मेरे बॉस 'मिस्टर डोंगरे' कहकर बुलाते थे. लेकिन घर में मुझे सभी प्यार से गुड्डू बुलाते हैं और सभी रिश्तेदार भी।
मेरे पिता ने ही मेरा यह नाम रखा था।
अब बात करते हैं, 'राम तेरे कितने नाम' टाइटल की। भगवान राम को कई नामों से आप पुकार सकते हो। लेकिन राम एक ही है।
उसी तरह से ईश्वर, खुदा, परमेश्वर, वाहेगुरु... इस देश के सभी धर्म संप्रदाय अपने अपने आराध्य को इसी नाम से बुलाते है। हर धर्मों में सृष्टि की उत्पत्ति को लेकर अलग-अलग कहानियां है। दूसरी तरफ विज्ञान का कहना है कि यह संसार अलग ही तरह से आरंभ हुआ। इसलिए कोई एकमत हो ही नहीं सकता।
इस संसार में अगर सबसे पहले एक व्यक्ति या दो व्यक्ति आए तो एक ही धर्म रहा होगा या कोई धर्म ही नहीं रहा होगा। इसलिए धर्म या जाति में उलझकर, अलग- अलग नाम के फेर में पड़कर, अलग- अलग रंगों में उलझकर हमें इंसानों में भेद नहीं करना चाहिए।
आप मुझे राम कहो कृष्णा कहो, डोंगरेजी कहो, लेकिन मैं हूं तो एक ही ना. रामकृष्ण डोंगरे. आप लोगों के अलग-अलग पुकारने से मैं कई रूपों में तो नजर नहीं आने लगूंगा ना। इसी तरह अगर हम सर्वशक्तिमान के रूप में ऊपर वाले को याद करते हैं तो हम मन की संतुष्टि के लिए उसे किसी भी नाम से पुकार सकते हैं। मगर हमें इस पर झगड़ना नहीं चाहिए कि कुछ लोग खुदा कहते हैं। कुछ ईश्वर कहते हैं। कुछ परमेश्वर कहते हैं...तो सब अलग अलग है। ऐसा बिल्कुल नहीं है।
हम सब इंसान है। इंसान ही रहना चाहिए।
सामने है जो उसे लोग बुरा कहते हैं,
जिसको देखा ही नहीं उसको ख़ुदा कहते हैं।
सुदर्शन फ़ाख़िर
-----------------
आप सभी की शुभकामनाएं और बड़ों का आशीर्वाद मिलता रहे।
इसी उम्मीद के साथ।
आपका अपना
'रामकृष्ण डोंगरे'