हम किसी व्यक्ति या संस्था को पसंद करते हैं। प्यार करते हैं। लट्टू है। अरे पागल है।
फिर भी सही और गलत की समझ तो रखना ही चाहिए। तर्क कीजिए। बहस कीजिए। या जिसके विचार पसंद नहीं। आलोचना पसंद नहीं। उन्हें सीधे देशद्रोही कह दोगे। सजा दोगे। तुम इंसान हो ना कि भगवान।
या अपने आप शैतान कहलाना पसंद करोगे। जो सीधे मारने के अलावा कोई बात पसंद नहीं करता।
क्या हो रहा है लोगों को। कुछ युवाओं को तो अफीम जैसा नशा हो गया है। धर्म का नशा। जाति का नशा।
इंसानियत तो भूल ही गए!
इंसान ही रहो।
न भगवान बनो।
न शैतान...।
मेरी फेसबुक पोस्ट, 7 सितंबर, 2017
Saturday, September 7, 2019
मेरी फेसबुक पोस्ट : तुम इंसान हो ना कि भगवान
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