राजनीति मेरा प्रिय विषय नहीं है।
फिर भी। आज कर्नाटक में शपथ ग्रहण की तस्वीर अपलोड करके सभी अपने अपने ढंग से लिख रहे हैं। लिख क्या रहे हैं मजे ले रहे हैं। फेसबुक पर ज्यादातर लोग मजे ही लेते हैं।
मजाक बनाते हैं किसी का। किसी सीरियस मुद्दे पर कोई पोस्ट होगी तो उस भी मजाक वाले कमेंट लिखेंगे। खैर।
मसला ये है कर्नाटक में विपक्ष एकजुट हुआ। इस लेकर खूब चटखारे लिए जा रहे हैं। अभद्र और अश्लील तक कमेंट किए जा रहे हैं। पूछिए क्यों। क्या आप भाजपा के कार्यकर्ता हो। आपको बुरा लग रहा है विपक्षी पार्टियों का एकजुट होना। या भक्त हो।
भई आप पहले देश के नागरिक। आप ये भी सोच सकते थे कि अच्छा हुआ विपक्ष एकजुट हो गया। अब सरकार के कामकाज में जहां खामी नजर आएगी। वहां विपक्ष पुरजोर ढंग से आवाज उठाएगा। सवाल करेगा।
लोकतांत्रिक देश के लिए सत्ता पक्ष के साथ - साथ विपक्ष का भी मजबूत होना जरूरी है। अगर ऐसा होता है तो देश के लिए अच्छा ही है। शुभ संकेत है।
मगर.... आप तो ठहरे भक्त। आप राम भक्त या हनुमान भक्त नहीं हो। हो ही नहीं सकते। आप भाजपा के चंद नेताओं के भक्त हो। जो सिर्फ उनकी चाटुकारिता करते हो। उनको अच्छी लगने वाली बातें लिखते हो। पोस्ट। फोटो शेयर करते हो।
अच्छा है भविष्य की जुगाड़ में लगे हो। लगे रहो।
लेकिन कभी चिंतन करो तो ये भी सोचना। देश में व्यक्ति बड़ा नहीं होता। पद बड़ा होता है। वो पद प्रधानमंत्री का। मुख्यमंत्री का। मंत्री का। सांसद या विधायक का हो सकता है।
इस पद पर बैठा व्यक्ति कोई देवता नहीं होता। कि आप उसकी पूजा करने लग जाओ। भक्त बन जाओ। उसकी आलोचना करने से आपके हाथ कांप जाए। कलम सूख जाए। जुबान बंद हो जाए।
... ध्यान रखिए। वो भी आपकी तरफ एक इंसान है। इस देश का एक नागरिक है। उसमें हजार अच्छाई होगी तो चंद कमियां और बुराइयां भी होगी। होती है। हर इंसान में होती है। ये बात अलग है कि आपकी नजर में वो देवता हो तो फिर कुछ नहीं किया जा सकता।
सरकार का काम ही अच्छी योजनाएं बनाना। अच्छा काम करना। अगर कोई सरकार लोगों की भलाई का काम नहीं करती है तो सवाल करना हर नागरिक का अधिकार है। गलत योजनाओं पर आलोचना करना भी जरूरी है।
ये बात अलग है कि आप सरकार की पार्टी से हो तो आपकी मजबूरी हो जाता है। सिर्फ तारीफ करना। क्या कहते हैं उसे चाटुकारिता...।
अब भी समय है।
देश के बारे में सोचिए...
देश की बात कीजिए।
नोट : असभ्य कमेंट लिखकर अपना परिचय मत दीजिए। लोग जान जाएंगे कि आप...।
Wednesday, May 23, 2018
कर्नाटक शपथ ग्रहण के बहाने : राजनीति मेरा प्रिय विषय नहीं है।
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