मध्यप्रदेश विधानसभा की श्रद्धांजलि सूची से क्यों हटा श्रीदेवी का नाम...
किसी की मौत कैसे पहेली बन जाती है। हम अपने आसपास देखते ही है। श्रीदेवी की मौत इसका ताजा उदाहरण है।
अभी मौत का सच सामने नहीं आया है। कभी डूबने से। कभी हार्ट अटैक से। कभी शराब पीने से मौत हुई कहा जा रहा है। अब भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हत्या की आशंका जताई है।
कुछ लोग (अमर सिंह) कह रहे वे इतनी शराब नहीं पीती थी। संजय कपूर ने कहा- उन्हें हार्ट अटैक की बीमारी नहीं थी। तो फिर सच क्या है।
क्या इन सब बातों के अचानक सामने से एक अभिनेत्री या कलाकार का सम्मान खत्म हो जाता है। आदमी की प्रोफेशनल लाइफ का हमें सम्मान करना चाहिए। कद्र करनी चाहिए। न कि उसकी पर्सनल लाइफ की कुछ बातों को लेकर 50 साल के कलाकारी जीवन को डूबो देना चाहिए।
कुछ लोगों को अगर लगता है कि सिनेमा कि दुनिया बहुत आसान है तो वह समझ ले कि दुनिया का कोई भी काम आसान नहीं होता. एक्टिंग. सिंगिंग. म्यूजिक. या और कुछ भी. हर काम एक साधना है. एक तपस्या है जिसमें तनाव भी होता है. हमें किसी भी व्यक्ति के काम की तारीफ करनी चाहिए. ना कि उसे नकार देना चाहिए.
श्रीदेवी की मौत में शराब या अन्य कोई एंगल आने के बाद जिस तरह से लोगों का नजरिया बदला है. वह हम भारतीयों की की बहुत ही गलत मानसिकता है. इस कड़ी में मध्यप्रदेश विधानसभा में दी जाने वाली श्रद्धांजलि सूची से श्रीदेवी का नाम हटाना और भी बड़े सवाल खड़े करता है। बीजेपी के नेताओं ने आखिरी में उनका नाम हटवा दिया था।
#Sridevi #mp
Monday, February 26, 2018
श्रद्धांजलि सूची से क्यों हटा श्रीदेवी का नाम...
Sunday, February 18, 2018
कुछ आदमी अच्छे होते हैं...
कुछ आदमी अच्छे होते हैं,
कुछ आदमी बुरे होते हैं।
कुछ बिहारी अच्छे होते हैं,
कुछ बिहारी बहुत बुरे होते हैं।
कुछ उड़िया अच्छे होते हैं,
तो कुछ उड़िया बुरे भी होते हैं।
कुछ मध्यप्रदेशी अच्छे होते हैं,
तो कुछ मध्यप्रदेश अच्छे नहीं भी होते हैं।
कुछ यूपी के भैया अच्छे होते हैं,
तो कुछ यूपी वाले बुरे भी होते हैं।
मतलब
बुराई का संबंध किसी जाति-धर्म,
प्रदेश या देश से नहीं है।
ये किसी भी इंसान में हो सकती है।
मगर अपनी बुराई,
अपनी कमियों को छुपाना
या नियंत्रण करना हमें आना चाहिए
और अपनी अच्छाइयों को
दूसरों के सामने और अच्छे से
पेश करना हमें आना चाहिए।
©®रामकृष्ण डोंगरे तृष्णा
रचना समय - 19 फरवरी, 2018
Thursday, February 15, 2018
प्यारे प्यारे कुत्ते के पिल्लों को देखकर हम ठहर गए...
करीब आधा दर्जन छोटे छोटे पिल्ले रायपुर के शहीद स्मारक चौक पर हमें मिले। जो हमारे साथ अचानक घुल मिल गए। शहर में कुछ दिनों पहले कुत्तों के हमले से एक बच्ची की जान चली गई थीं। मगर पागल कुत्तों से आप डर सकते है। उनसे नफरत कर सकते हैं। लेकिन इन प्यारे-प्यारे, छोटे-छोटे पिल्लों से कैसी नफरत। कैसा गुस्सा।
कुछ साल पहले छोटे-छोटे पिल्लों को करीब से देखने का मौका मिला था। अपने गांव में, घर पर। उसके बाद ये दुबारा मौका मिला।
मुझे कुत्तों से कभी डर नहीं लगता। मेरा दावा है कि कोई भी कुत्ता मुझे काट नहीं सकता। जब तक कि कुत्ता पागल न हो। कुत्ते को रात में या दिन में हेंडल करने का एक तरीका होता है। अगर आप प्यार से पेश आओगे तो कुत्ते कुछ नहीं करेंगे। अगर रात में कुत्ते या उनका झुंड आपकी तरफ दौड़े तो भागने की जरूरत नहीं है। रुक जाइए। उनसे बात कीजिए वे खुद शांत होकर लौटे जाएंगे। वर्ना आपके पीछे दौड़ते ही रहेंगे। हो सकता है कि काट भी लें।
Monday, February 12, 2018
रोज एक शायरी
दुनिया में जब आप जैसे अच्छे लोग है,
फिर क्यों मैं बुरे लोगों के बारे में सोचूं।
©®रामकृष्ण डोंगरे तृष्णा