तुम मर्यादा पुरुषोत्तम राम नहीं हो
तुम पतिव्रता माता सीता नहीं हो,
लेकिन तुम
दशानन रावण जरूर बन जाना...
किसी भी स्त्री को उसकी इच्छा के बगैर
कभी हाथ मत लगाना।
.....
ऐसी भी बुराइयों पर जीत हासिल कीजिए,
विजयादशमी पर कोई तो संकल्प लीजिए।
🚩🚩आपको और आपके परिवार को
दशहरा की शुभकामनाएं! 🚩🚩
*रामकृष्ण डोंगरे*
*चीफ सब एडिटर*
*दैनिक भास्कर रायपुर*
Friday, September 29, 2017
विजयादशमी पर कोई तो संकल्प लीजिए
Thursday, September 21, 2017
क्या आप भी वाट्सएप पीड़ित हैं...
ये दर्द आपका भी हो सकता है...
मैं वर्तमान में 100 से भी ज्यादा (संख्या अलग अलग हो सकती है। फिर भी 10-20 से ज्यादा ही) WhatsApp ग्रुप का सदस्य हूं। और प्रतिदिन लगभग 5000 से भी ज्यादा मैसेजेस जाते हैं। इसमें एक या दो मैसेज काम के या पर्सनल होते है। इसके अलावा सभी मैसेजेस गुड मॉर्निंग, गुड नाइट, हैप्पी दिवाली, हैप्पी दशहरा, हैप्पी फलाना, हैप्पी ढिमका आदि निरर्थक सारहीन उद्देश्यहीन संदेश होते हैं।
इससे ना सिर्फ मेरा डाटा, फोन की मेमोरी और मोबाइल की बैटरी डाउन होती हैं। बल्कि मेरा अमूल्य समय भी नष्ट होता है।
इसके अलावा लोगों को शिकायत होती है कि आपको WhatsApp किया था। आपने देखा नहीं। आप लापरवाह हो या आप हमारे मैसेज या हमें महत्व नहीं देते आप घमंडी हो।
मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं और मेरे पास समय का अभाव होता है अतः जिन्हें भी मुझसे गुड मॉर्निंग, गुड इवनिंग, हैप्पी दिवाली, हैप्पी दशहरा, कहने की इच्छा हो वह मुझे पर्सनल मैसेज भेज सकते हैं। (*हां लेकिन सिर्फ शॉट मैसेज, लिखे हुए। इमेज या वीडियो मैसेज नहीं।) मुझे हार्दिक प्रसन्नता होगी।
मैं अब इस फूहड़ता और बकवास से तंग आ चुका हूं, इसलिए WhatsApp के सभी ग्रुप से एग्जिट कर रहा हूं।
मेरे इस तरह अपने समय का सदुपयोग करने के उद्देश्य से सभी ग्रुप से एग्जिट होने से मेरे आप में से किसी भी व्यक्ति से व्यक्तिगत संबंध खराब नहीं होंगे ऐसी मेरी आशा है ।
इसके बावजूद जिस भी व्यक्ति को बुरा लग रहा हो निश्चित रूप से वह व्यक्ति मुझसे संबंध निभाने के लायक नहीं है अतः उसे मैं क्षमा याचना नहीं करूंगा ।
धन्यवाद
एक वाट्सएप यूजर
(मूल पोस्ट को थोड़ा संशोधित किया गया है)
कृपया मुझसे संबंध रखने वाले सज्जन मुझे फ़ोन कर सकते है या SMS पर सूचित कर सकते है। या पर्सनल वाट्सएप कर सकते हैं। मैं वाट्सएप ग्रुप का बहिष्कार करता हूँ।
*वाट्सएप ग्रुप पर बेतहाशा मैसेज, फोटो और वीडियो से पीड़ित शख्स की चिट्ठी*
गौरव अरोरा ने कहा - मैं वाट्सएप का बहिष्कार करता हूं
इससे ना सिर्फ मेरा डाटा, फोन की मेमोरी और मोबाइल की बैटरी डाउन होती हैं बल्कि मेरा अमूल्य समय भी नष्ट होता है।
इसके अलावा लोगों को शिकायत होती है कि आपको WhatsApp किया था आपने देखा नहीं। आप लापरवाह हो या आप हमारे मैसेज या हमें महत्व नहीं देते आप घमंडी हो।
मैं ऐसा व्यक्ति नहीं हूं। और मेरे पास समय का अभाव होता है अतः जिन्हें भी मुझसे गुड मॉर्निंग, गुड इवनिंग हैप्पी दिवाली, हैप्पी दशहरा कहने की इच्छा हो वह या तो मुझे अपने पास बुला ले या मेरे घर आ जाएं, मुझे हार्दिक प्रसन्नता होगी।
मैं अब इस फूहड़ता और बकवास से तंग आ चुका हूं, इसलिए WhatsApp के सभी ग्रुप से एग्जिट कर रहा हूं।
मेरे इस तरह अपने समय का सदुपयोग करने के उद्देश्य से सभी ग्रुप से एग्जिट होने से मेरे आप में से किसी भी व्यक्ति से व्यक्तिगत संबंध खराब नहीं होंगे ऐसी मेरी आशा है ।
इसके बावजूद जिस भी व्यक्ति को बुरा लग रहा हो निश्चित रूप से वह व्यक्ति मुझसे संबंध निभाने के लायक नहीं है अतः उसे मैं क्षमा याचना नहीं करूंगा ।
धन्यवाद
आपका गौरव अरोरा
बिजनेसमैन, छिंदवाड़ा
जिला छिंदवाड़ा
मध्यप्रदेश
मैं वाट्सएप से त्रस्त हूँ और वाट्सएप का बहिष्कार करता हूँ।
कृपया जो भी व्यक्ति मुझसे संवाद करना चाहे, मुझे कॉल करे, SMS करे, मिलने आ जाए या मुझे मिलने बुलवा ले।
गौरव अरोरा आगे लिखते हैं,
WhatsApp एक बहुत सशक्त माध्यम है किंतु इसके दुरुपयोग ने बहुत से लोगों को निराश किया है ।
मैं कम से कम 10 बहुत सफल अरबपति व्यापारी या बहुत सफल लेखक या बहुत सफल प्रशासनिक अधिकारी, बहुत सफल प्रोफेसर मित्रों को जानता हूं। जिन्होंने चुनिंदा WhatsApp ग्रुप बना रखे हैं और उसमें बड़े अनुशासन का पालन करते हैं।
मेरा नाम गौरव अरोरा। आयु 42 वर्ष। निवासी - छिंदवाड़ा, मध्यप्रदेश। प्रोपराइटर पंजाब साइंस एवं Sports। हमारा
प्रतिष्ठान 14 से भी अधिक राज्यों में स्वास्थ्य विभाग को एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट सेवाएं देता है। जिसमें हम वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन के रजिस्टर्ड भारत में कुल 3 रजिस्टर्ड सर्विस प्रोवाइडर हैं। जिसमें से हम एक हैं।
अपने व्यवसाय के कारण मुझे बहुत व्यस्त होना होता है। इसके अतिरिक्त मैं जबलपुर यूनिवर्सिटी से बैचलर इन होम्योपैथी का साढे 5 वर्ष का फुल टाइम बीएचएमएस कोर्स कर रहा हूं। एवं तृतीय वर्ष में अध्यनरत हूं। इसके कारण भी मुझे बहुत बहुत व्यस्त रहना होता है। इसके अलावा मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से 1998 में MBA किया था और अभी मैं कई मल्टीनेशनल कोल कंपनीज में कोऑर्डिनेटर और फ्रीलांस एडवाइजर के रूप में कार्य करता हूं। साथ ही इग्नो के MBA प्रोग्राम का छिंदवाड़ा में काउंसलर एवं गेस्ट फेकल्टी हूं। आईआईएम अहमदाबाद की गेस्ट फैकल्टी हूं। साथ ही बेंगलुरु यूनिवर्सिटी की भी गेस्ट फैकल्टी हूं।
इतनी सब व्यस्तताओं के कारण मैं सुबह 5:00 बजे से रात्रि 11:00 बजे तक अनवरत कार्य करता हूं। दोपहर में सिर्फ 1 घंटे विश्राम करता हूं। WhatsApp से मुझे ऐसी आशा थी कि मैं अपने समय का पहले से भी बेहतर उपयोग कर पाऊंगा। किंतु हताशा के साथ-साथ निराशा भी है कि WhatsApp पर जोड़ने वाले अधिकांश लोग इस माध्यम के सामान्य शिष्टाचार और अनुशासन का पालन नहीं करते। इस कारण वह लोग जो व्यस्त रहते हैं उन्हें बहुत परेशान होना पड़ता है। इसलिए मैंने इस माध्यम का तब तक बहिष्कार करने का निर्णय किया है जब तक लोग इसके सामान्य शिष्टाचारों से परिचित नहीं हो जाते, जिन्होंने चुनिंदा whatsapp ग्रुप बना रखे हैं और उसमें बड़े अनुशासन का पालन करते हैं।
Wednesday, September 13, 2017
बच्चों के खिलाफ अपराध और समझाइश का बुरा असर
कई लोग आजकल कह रहे हैं कि बच्चे को ये सिखाओ, वो सिखाओ, बैड टच बताओ, गुड टच बताओ.. ऐसे गाइड करो, वैसे काउंसिलिंग करो..
लेकिन अब सुनिए इसके साइड इफेक्ट्स..... मैं अपनी बेटी को लगातार गुड टच, बैड टच के बारे में बताती हूं.. रोज खेल-खेल में उसके संपर्क में रह रहे लोगों (टीचर, आया, ऑटो ड्राइवर, घर की मेड, अंकल, आंटी, पड़ोसी, मोहल्ले वाले, क्लासमेट्स, फैमिली मेंबर्स) की गतिविधियों के बारे में जानकारी लेती हूं.. उसे भरोसा दिलाती हूं कि उसके मां-बाप उसे कुछ नहीं होने देंगे.. और मम्मा-पापा से कुछ नहीं छिपाना... वो बहुत समझदार है, सेंसेटिव भी है, सतर्क भी है.. क्योंकि ये अलर्टनेस मैं खुद भी रखती हूं इसलिए मुझे देखकर उसमें बचपन से है.. उसे मैं पूरा क्वालिटी टाइम देती हूं.. वर्किंग होने के बावजूद उसे मेरे द्वारा मिलने वाले वक्त, स्नेह, गाइडेंस में मैंने कोई कमी नहीं होने दी है
... लेकिन एक दिन उसने मुझसे कहा कि कहीं मम्मा मुझे कोई कुछ कर तो नहीं देगा...
मैंने उससे पूछा कि कोई कुछ नहीं करेगा, लेकिन तुम्हारे मन में ये सवाल आया क्यों? उसने कहा कि वो टीवी में न्यूज पर देखती है.. इसके अलावा मैं भी तो उसे हमेशा समझाती रहती हूं... यानि कि कुछ तो ऐसा है सोसायटी में , लोग बुरे हैं अपने आसपास समाज में जो उसे नुकसान पहुंचा सकते हैं..... मैंने कहा कि बेटा बुराई और अच्छाई हर जगह है.. ऐसा नहीं कि सब बुरा है.. लेकिन अपने को सतर्क रहना है. खेलना है, कूदना है, पढ़ना-लिखना है.. लेकिन सतर्क रहना है.. चाहे हम घर के अंदर हों या बाहर.. मैंने उसके उम्र के मुताबिक और भी कई तरीके से उसकी काउंसिलिंग कर दी.. और डर और सतर्कता के बीच के फर्क को समझा दिया.... हालांकि मैं खुद इस बात को सोचने पर मजबूर हो गई.. कि काश कि सोसायटी ऐसी होती कि उसे यही बात मैं तब बताती, जब उसकी उम्र 10 के पार होती .. लेकिन मुझे उसे ये सारी बातें तब बतानी पड़ रही हैं, जब उसका ध्यान अपनी सुरक्षा जैसी बातों पर होना ही नहीं चाहिए...
हालांकि मेरी बेटी निडर है.. लेकिन फिर भी है तो बच्ची ही... आखिर ये सब सुनकर, माता-पिता से लेकर स्कूल और टीवी पर बच्चों को दिए जा रहे गाइडेंस के डोज को लेकर मन में उसके सवाल तो उठते ही हैं.. कि क्या सोसायटी में इतने भेड़िए हैं उसे नुकसान पहुंचाने के लिए... बच्चों के मन पर बुरा प्रभाव तो पड़ता ही है... लेकिन मां-बाप भी क्या करें.. सुरक्षा के लिए बच्चों को समझाना जरूरी है.. और बच्चे भी अफसोसजनक माहौल में पल रहे हैं. पहले जब लड़की जवान होने लगती थी, तो मां-बाप को चिंता होती थी कि कहीं ऊंच-नीच न हो जाए.. लेकिन अब तो ये चिंता पैदा होते ही शुरू हो जाती है.. वो भी न सिर्फ बेटियों के लिए.. बल्कि बेटों के लिए भी.. क्योंकि रेप के शिकार लड़के भी लगातार हो रहे हैं... क्या कहिएगा आप...
बच्चों को सतर्कता के नाम पर हर वक्त बताना पड़ता है.. कि बेटा नाना-नानी के साथ सतर्क रहो, मामा के साथ रहो, अंकल-आंटी के साथ रहो, तो बुआ-मासी के साथ रहो, बेटा मोहल्ले में अंकल के साथ रहो, तो स्कूल में टीचर्स के साथ रहो, बेटा खेलते वक्त रहो, तो बेटा ऑटो वाले से रहो, दुकान वाले से रहो.. तो दोस्तों से रहो.. रिक्शावाले से रहो.. मतलब इससे रहो, उससे रहो... सबसे रहो...
सोचिए बच्चों के मन पर क्या असर पड़ता है.... मैं भी ज्ञान देती रहती हूं बेटी को .. लेकिन कभी-कभी दया आती है उस पर... क्या करूं.....????????
(वरिष्ठ टीवी जर्नलिस्ट प्रज्ञा प्रसाद की वाट्सएप पोस्ट। आप फिलहाल स्वराज एक्सप्रेस चैनल की वेबसाइट लल्लूराम डॉट कॉम में कार्यरत हैं।)