महाराष्ट्र के अमरावती जिले में चांदूर रेलवे इलाके में स्थित है गांव सांवगा। यहां पर बने विठोबा संस्थान उर्फ श्रीकृष्ण अवधुत बुवा संस्थान के द्वारा हर साल गुड़ी पाड़वा के मौके पर 10 दिन का गुड़ी पाड़वा यात्रा महोत्सव का आयोजन किया जाता है। संयोगवश इस बार वहां जाने का मौका मिला।
महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके के तमाम जिलों और देश के अन्य इलाकों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। यह धार्मिंक कार्यक्रम रामनवमी तक चलता है। विठोबा संस्थान में गुड़ी पाड़वा के दिन 72 से 77 फुट ऊंचे दो झंडों पर कपड़ा चढ़ाने की रस्म अदा की जाती है। इसी दौरान लाखों श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए शाम को 4 बजे से रात बारह बजे तक लगातार
कर्पूर जलाते हैं। कुछ लोग अपने वजन के बराबर भी
कर्पूर जलाते हैं।
बच्चे-बूढ़े और युवा सभी ईट या पत्थर के ऊपर
कर्पूर रखकर जलाते हैं। इस दौरान विठोबा संस्थान के आसपास, गांव की गलियों में और घर की छतों पर
कर्पूर जलाते हुए श्रद्धालु ही नजर आते हैं। गांव के आसमान में काला धुंआ मंडराते रहता है। तीन सौ या पांच सौ घरों वाले गांव में पैर रखने के लिए भी जगह नजर नहीं आती। गांव के बाहर मेला लगता है। मगर कई दुकान गांव के अंदर भी होती है। कुछ लोग घूम-घूमकर
कर्पूर बेचते हैं। रातभर यहां पर दूर-दूर से आने वाली मंडलियां भजन गाती है।
सांवगा के विठोबा संस्थान में एक प्रसिद्ध संत की समाधि भी है। इस गांव में भगवान श्रीकृष्ण के आगमन की भी चर्चाएं है। ऐसी मान्यता है कि रुक्मणी के अपहरण के दौरान भगवान कृष्ण इस गांव में आए थे।
इस यात्रा की एक विशेषता यह भी बताई जाती है कि सवा महीने का कठिन उपवास करने पर बीमारियां दूर होती है और लोगों की मनोकामना पूरी होती है।
इस यात्रा के लिए परिवहन विभाग की ओर से विशेष रूप से बसों की व्यवस्था की जाती है। साथ ही यहां पर पार्किंग के बेहतर इंतजाम और पुलिस जवानों की तैनाती भी की जाती है।