पत्रकारिता के वरिष्ठजनों से मुलाकात के क्रम में मैंने परम आदरणीय श्री देवप्रिय अवस्थी सर से मुलाकात की। अवस्थी सर से मेरी पहली मुलाकात साल 2006-07 में दैनिक भास्कर भोपाल में हुई थी, जब मैं माखनलाल यूनिवर्सिटी की ओर से लिखित परीक्षा देने गया था। यहां टेस्ट हमारा श्री अरुण आदित्य Arun Aditya सर ने लिया था। टेस्ट पास करने के बावजूद किन्हीं कारणों से हमारी ज्वाइनिंग अटक गई। इस बीच मई, 2007 मैंने अमर उजाला नोएडा ज्वाइन कर लिया। अगले साल ही अवस्थी सर भी बतौर एग्जीक्युटिव एडिटर अमर उजाला नोएडा में आ गए।
लगभग पांच-छह वर्ष तक यहां सर से सीखने का मौका मिला। वे कभी डांटते नहीं थे। भाषायी, वाक्य रचना संबंधी त्रुटियों को इस तरह समझाते थे कि एक बार जानने के बाद आप कभी दोबारा वह गलती नहीं दोहराएंगे। मुझे याद है कि वे भाषीय त्रुटियों पर पैनी नजर रखते थे और संपादकीय सहयोगियों को समझाते थे कि ऐसा नहीं, ऐसा लिखना चाहिए। उन्होंने मुझे पहली बार बताया था कि अगर आप वाक्य में कामा लगाकर लिखेंगे तो जिससे, जिसमें लिखा जाएगा। अगर आप फुल स्टॉप लगाकर नया वाक्य बना रहे हो तो आपको इससे, इसमें लिखकर अपनी बात आगे बढ़ाना चाहिए।
पत्रकारिता या जीवन में इंसान सारी उम्र सीखता रहता है। अलग-अलग तरह की गलतियां हर कोई करता है लेकिन आपकी किसी गलती की तरफ जब कोई ध्यान दिलाता है तो आपका कर्तव्य बनता है कि दोबारा वह गलती आप न दोहराए। जैसे- भोपाल में मेरे पहले पत्रकारिता संस्थान दैनिक समाचार पत्र स्वदेश में साल 2004 में बताया गया था कि जब एक्शन की बात होगी तो हम कार्रवाई लिखते है लेकिन जब बात प्रोसिडिंग की आती है तो हम कार्यवाही लिखेंगे। अवस्थी सर ने दैनिक भास्कर और अमर उजाला सभी जगह शब्दावली और वर्तनी पर काफी काम किया था।
आदरणीय अवस्थी सर के पत्रकारीय सफर की बात करें तो उन्होंने 1976 में दैनिक जागरण से शुरुआत की थी। 1979 में नवभारत टाइम्स,दिल्ली आए. फिर 1983 से श्री प्रभाष जोशी जी के सान्निध्य में जनसत्ता में काम किया. वे जनसत्ता, दिल्ली के न्यूज रूम की धूरी तो रहे ही. उसके चंडीगढ़ और मुंबई संस्करणों के पहले समाचार संपादक भी रहे. सर चार दशक से ज्यादा समय तक पत्रकारिता में सक्रिय रहे। आपने दैनिक भास्कर. रायपुर में भी एक साल तक स्थानीय संपादक के रूप में जिम्मेदारी संभाली। भास्कर समूह की भास्कर समाचार सेवा (सेंट्रल डेस्क) की शुरुआत भी उन्होंने ही की. नईदुनिया, चौथा संसार और राजस्थान पत्रिका में भी अपनी सेवाएं दी।
इन दिनों आप गाजियाबाद में रहकर परिवार के साथ वक्त बिता रहे हैं। आप सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते थे। समसामयिक मुद्दों पर बिना किसी संकोच के अपनी राय जाहिर करते हैं। आपके सोशल मीडिया अकाउंट से जुड़कर कई युवा पत्रकारों को हमेशा कुछ नया सीखने और समझने को मिलता है। अवस्थी सर ने बताया कि दैनिक भास्कर समूह ने नए पत्रकारों के प्रशिक्षण के लिए भोपाल में भास्कर पत्रकारिता अकादमी खोली थी. शुरुआत में उसकी जिम्मेदारी भी उनके पास थी. पहले बैच के 18 प्रशिक्षुओं में से लगभग आधे में लोग उच्च पदों पर कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के कालेजों, विश्वविद्यालयो से निकले वही लोग सफल होते है, जिनका इस पेशे के प्रति अतिरिक्त लगाव होता है। बाकी लोग ऐसे शिक्षा संस्थानों से पढ़कर पत्रकारिता में सफल हो जाएंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है। उनका मानना है कि मीडिया संस्थानों को ही पत्रकारों की नई पीढ़ी तैयार करने की पहल करना चाहिए।
लगभग एक दशक के बाद आदरणीय अवस्थी सर से मुलाकात हुई। हालांकि इस दौरान मोबाइल पर संपर्क बना हुआ था। सर स्वस्थ हैं और कुशलतापूर्वक जीवन बिता रहे हैं। ईश्वर से कामना है कि आपको हमेशा यूं ही बनाए रखें। ईश्वर ने चाहा तो जल्द ही मिलने का अवसर मिलेगा।
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