Tuesday, September 11, 2018

दैनिक भास्कर : फेक न्यूज जान लेती है

*फेक न्यूज़ जान लेती है...*

WhatsApp, Facebook या किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर की जा रही फेक पोस्ट, फेक न्यूज़, फेक वीडियो किसी की जान भी ले सकती है.

*अगर इस बात को आप जान जाएंगे* तो फारवर्ड करने से पहले सौ बार सोचेंगे...

सोचिए और इन्हें फॉरवर्ड करने से करने से पहले थोड़ा सा वक्त निकालकर Google या YouTube या जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वापस सर्च कीजिए. आपको उनकी सच्चाई - असलियत पता चल जाएगी

... कि क्या आखिर यह पोस्ट, यह खबर हमारे शहर से जुड़ी है. क्या यह असली है. क्या यह गलत न्यूज़ है. यह कितने साल पुरानी है. तमाम बातें...

फेक न्यूज़ को को रोकना सिर्फ सोशल मीडिया एप्स कंपनी और मीडिया का ही काम नहीं है. ऐसी चीजों को रोकने में हर आम आदमी भी अपना योगदान दे सकता है. अगर वह चाहे तो...

*इसके लिए आपको यह करना चाहिए*

👉 सबसे पहले अगर आप WhatsApp इस्तेमाल करते हैं तो WhatsApp पर ऑटो डाउनलोड का ऑप्शन बंद कीजिए

👉 इससे कोई भी इमेज या वीडियो, ऑडियो अपने आप डाउनलोड नहीं होगा, जिससे आप या आपके परिवार आपके परिवार का कोई भी सदस्य देख सुन या पढ़ नहीं पाएगा.

👉 जब किसी वीडियो या पोस्ट के साथ कोई टेक्स्ट मैसेज लिखा होगा तो आप टेक्स्ट मैसेज पढ़ कर एक कर एक मैसेज पढ़ कर एक बार सोचेंगे कि क्या यह असली है या फेक है, इसी के बाद आप उस फाइल को डाउनलोड करेंगे..

दैनिक भास्कर में प्रकाशित इस खबर में पढ़िए दो ऐसे सोशल मीडिया वर्कर या एक्टिविस्ट, *59 साल के अकाउंटेंट श्री रमेश बालानी और 31 साल के असिस्टेंट प्रोफेसर अंशुल गुप्ता की कहानी*... जो अपना कीमती वक्त निकालकर लोगों को फेक न्यूज के प्रति अवेयर कर रहे हैं।

_*थोड़ा सा वक्त निकालकर आप भी पढ़िए दैनिक भास्कर में 10 सितंबर 2018 को प्रकाशित ये मंडे पॉजिटिव स्टोरी...*_


_फेक न्यूज और पोस्ट से क्या आप भी परेशान हैं तो इस पोस्ट को जरूर शेयर कीजिए..._


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


Wednesday, September 5, 2018

क्या आप भी कॉपी- पेस्ट-फारवर्ड खेलते हैं?

                                                                                                    
     *मैं भी कल गोल्ड मैडल लाया*
     *पर मीडिया वाले*
     *दिखा नहीं रहे*
     *सब बिके हुए हैं।*

          _ऐसे मैसेज, ऐसी इमेज के साथ वायरल किए जाते है। वायरल करने में साथ देने वाले अपने दिमाग़ का इस्तेमाल नहीं करते हैं। सोचने समझने की क्षमता वर्तमान पीढ़ी में बहुत ही कमज़ोर है। वे इसे मात्र हँसी का हँसगुल्ला समझते हैं। ऐसी वाहियात वायरल से किसका भला हो रहा है ! लाखों बार वायरल हो या हज़ारों बार, लेकिन प्रत्येक बार upload और download में हमारे अपने NET-pack में से Data-Loss होता है। हमारी अपनी आदतें ख़राब होती हैं। हमारी अपनी सोचने समझने की क्षमता शनै-शनै क्षीण होते जा रही है। कुछ समय शौक़ से व्हाट्सऐप पर गुज़ारने के बाद भी एक अजीब सी थकान महसूस होती है।_

          _क्यों अपना शौक़ पूरा करने के बाद भी तरोताज़ापन महसूस नहीं होता ! कभी सोचते विचारते नहीं हैं। बस कॉपी-पेस्ट के लिए मसाला खोजने विचरते हैं।_

          _कभी NET-pack से हुए अपने Data-Loss पर यह विचार नहीं करते कि इस वायरल से फ़ायदा किसे मिलता है ! कौन Profit कमा रहा है ! हमें बेवक़ूफ़ बनाकर कौन हमारा मज़ा ले रहा है !_

          _*और*_… _*बात तब भी समझ में नहीं आती है इनको जब बेवक़ूफ़ बनाने वाला डेढ़-श्याना अपनी वाहवाही के क़िस्से गढ़कर, शेयर मार्केट में रजिस्टर होकर, बैंकों से कर्ज़ लेकर, कर्ज़ की रक़म और निवेशकों की रक़म डकारकर विदेश भाग जाता है। इनकी रहनुमायी में, हमारे ही वोटों की बदौलत जीत हासिल किए इनके माई-बाप, हमारी ही छाती पर मूँग दलने नये-नवीनतम् कर-आरोपण के पैकेज लेकर आते हैं। नाम देते हैं इसे "देश उभार का"। टोटली इमोशनल ब्लैकमेलिंग। फिर भी हम ऐसे किस्सों को नमकीन बनाकर वायरल करते फिरते हैं। कॉपी-कॉपी पेस्ट-पेस्ट खेलते हैं।*_

          _धन्य हैं हम_, _जो कि हमारे गुरुओं से प्राप्त शिक्षा का सदुपयोग व्हाट्सऐप फेसबुक और इनके जैसी अन्य मुफ़्त सेवाओं पर कॉपी-पेस्ट-फ़ॉर्वर्ड का खेलते हुए अपनी बुध्दि विनशित (विनाश) कर रहे हैं।_

          _हम जैसे बेवक़ूफ़ों के लिए भी एक सरकारी तिथि, एक सरकारी छुट्टी घोषित होनी चाहिए।_

          _*Bewakoofz Day*_

          _फ़र्स्ट एप्रिल *fools day* है जो कि विदेशी है।_

          _हमारा अपना *स्वदेशी बेवक़ूफ़्ज़-डे* अलग बनना चाहिए।_

          *H*_appy_ *T*_eachers_ *D*_ay_… 🙏🏼