Wednesday, April 27, 2022

Bad Uncle: बैड अंकल से मम्मी को बचाओ, छत्तीसगढ़ महिला आयोग में नाबालिग बच्चियों ने लगाई गुहार

इस खबर को ध्यान से पढ़िए। यह बेहद महत्वपूर्ण खबर है। विवाहेत्तर संबंध (extramarital affairs) का दर्द बच्चों को किस तरह से झेलना पड़ता है। इसका सटीक उदाहरण है। 
छत्तीसगढ़ महिला आयोग (CHHATTISGARH Mahila Ayog) के पास कल एक अजीब मामला पहुंचा। इसमें दो बच्चियों ने आवेदन लगाया कि "बैड अंकल को हमारी मम्मी के पास से दूर करो"... रिपोर्टर ने इसी पंच लाइन से हमें इस खबर को बताया था।

पूरी खबर को देखने के बाद एहसास हुआ कि यह महत्वपूर्ण खबर है। इसलिए इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। 

मामला कुछ इस तरह है कि रायपुर नगर निगम Raipur Nagar Nigam में कार्यरत एक महिला के तीन बच्चे हैं, जिनमें दो बच्चियां है जो कि नाबालिग है। एक बेटा डेढ़ साल का है।

महिला अपने पति को छोड़कर किसी अन्य पुरुष के साथ रह रही है। उसने सिर्फ डेढ़ साल के बेटे को अपने पास रखा है। वहीं दोनों बेटियां अपने पिता के साथ है। महिला ने 4 महीने से अपना घर छोड़ दिया है। 

कहीं से कोई उम्मीद नहीं दिखाई दी तो *बेटियों ने इस मामले में महिला आयोग से गुहार लगाई है। उन्होंने कहा है कि हमारी मम्मी को वापस बुलाया जाए। और "बैड अंकल को हमारी मम्मी के पास से दूर किया जाए"...*

इस मामले की सुनवाई चल रही है। छत्तीसगढ़ महिला आयोग ने अब बाल संरक्षण आयोग को मामला सौंपा है।

आज यह खबर तमाम वेबसाइट और नेशनल न्यूज़ का हिस्सा बन गई है। 

पूरी खबर..... 

'बैड अंकल को हमारी मम्मी के पास से दूर करो'

रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। बैड अंकल को मम्मी से दूर रखने के लिए दो बच्चियों ने महिला आयोग से गुहार लगाई है। आयोग ने बच्चियों की मां को पति के पास वापस जाने के लिए काफी समझाया लेकिन वह नहीं मानी। बताया जा रहा है कि पिछले चार महीने से बच्चियों को पति के पास छोड़कर आज महिला दूसरे आदमी के साथ रहने लगी है। महिला आयोग ने मामले को बाल संरक्षण आयोग को सौंप दिया है। बुधवार को एकबार फिर इस मामले को सुलझाने का प्रयास होगा।

मंगलवार को दोनों बच्चियां महिला आयोग के सामने उपस्थित हुई और बैड अंकल को मम्मी से दूर रखने के लिए आवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने गुहार भी लगाई कि उनकी मम्मी को वापस बुलाया जाए। महिला नगर निगम जोन कार्यालय में एआरआइ के पद पर कार्यरत है। 

आयोग की अध्यक्ष डा. किरणमयी नायक ने मामले की गंभीरता को देखते हुये तत्काल रायपुर नगर निगम कमिश्नर को फोन कर महिला को बुलवाया। महिला के साथ जोन कमिश्नर को भी बुलाया गया। 

जोन कमिश्नर की मौजूदगी में महिला को समझाया गया कि वह अपने पति और बच्चों के पास चली जाए। समझाने के बावजूद महिला पर कोई असर नहीं हुआ और उसने स्पष्ट कह दिया कि वह पति के पास वापस नहीं जाएगी।

4 माह से बेटियों को छोड़ा, दूसरे आदमी संग रहने लगी

नगर निगम जोन कार्यालय में पदस्थ महिला के तीन बच्चे है। डेढ़ साल के बच्चे को अपने साथ लेकर वह दूसरे व्यक्ति के साथ रहती है। वहीं, 11 और सात साल की दो बेटियों को पिछले चार महीने छोड़ दिया है। बेटिया फिलहाल अपने पिता के पास है। दोनों मासूम बच्चिया कहती है कि मम्मी के बिना उन्हें कुछ भी अच्छा नहीं लगता है।

©® *पत्रकार रामकृष्ण डोंगरे की कलम से*
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Friday, April 22, 2022

Naidunia Story : मां- बाप के रिश्ते हुए खराब, 17 साल का नाबालिग आठ साल तक रहा अपनों की 'कैद' में

Please call... प्लीज कॉल...

मीडिया के साथियों को आने वाले फोन कॉल और ऐसे मैसेज कई बार किसी की कितनी मदद कर सकते हैं. इसका अंदाजा नहीं लगा सकते. अगर आपने समय पर उनका रिप्लाई कर दिया या उनसे बात कर ली तो....
📝 पत्रकार रामकृष्ण डोंगरे की कलम से... 

आज इस कहानी को शेयर कर रहा हूं. उसकी शुरुआत होती है 17 अप्रैल 2022 को जब मेरे एक परिचित का लगातार मेरे पास कॉल आ रहा था. जब मैं बात नहीं कर पाया तो मैंने व्हाट्सएप पर मैसेज छोड़ा कि... प्लीज व्हाट्सएप कीजिए... फिर 2 दिन बाद उनका फिर मैसेज आता है. क्या मैं बात कर सकता हूं. और इसी के साथ उनका एक टेक्स्ट मैसेज भी आ गया... 

मैसेज ये था... 

नमस्ते।

हमारे सोसाइटी में एक फैमिली है, जिसमें एक लड़का अपने रिलेटिव के साथ रहता है, उसकी मां कभी कभी आती, पर सब उसको बहुत मारते है और खाने भी नहीं देते, और भी बहुत तकलीफ देते है। उसको बाहर से ताला लगा के जाते है और कई बार बाथरूम में बंद रखते है, सोसाइटी के बच्चे उसकी मदद कर रहे , child abuse कॉल सेन्टर में कांटेक्ट किये थे पर मदद नहीं मिली।

कृपया मदद के लिए कोई NGO या कोई मदद करने वाले मिले तो बच्चे को निकाला जा सकता है। बच्चे ने बताया कि वो ऐसा पिछले 10 साल से झेल रहा है।
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मामले की गंभीरता को समझते हुए मैंने तत्काल क्राइम रिपोर्टर साथी @deepak Shukla दीपक शुक्ला जी को इसे फॉरवर्ड किया। उन्होंने भी बच्चे का मामला देख कर सीधे पुलिस अफसरों और संबंधित एजेंसी से संपर्क किया। आखिर एक-दो दिन की मेहनत के बाद बच्चे को गुरुवार को रेस्क्यू किया गया।

जो कहानी सामने आई वह आपकी आंखों में आंसू ला सकती है....

उस नाबालिग बच्चे ने 4 पेज का एक पत्र लिखा था, सोसाइटी के बच्चों के नाम। जिसमें उसने अपने आपको छुड़ाने के लिए गुहार लगाई थी। पत्र बेहद मार्मिक है....

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कहानी बहुत लंबी है. इस कहानी की शुरुआत एक हंसते खेलते परिवार से होती है। जहां एक बच्चा है उसके माता-पिता है। लेकिन उनके खराब रिश्तों की वजह से बच्चा पिछले 8 साल से अपने ही रिश्तेदारों की कैद में था। जहां उसे मारा पीटा जाता था। और हर तरह की तकलीफ दी जाती थी। इसमें उसकी सगी मां और उसके संबंधी शामिल थे।

शादी के कुछ समय बाद मां-बाप के खराब रिश्तों का खामियाजा इस बच्चे को भुगतना पड़ा। पिता ओडिशा चले गए। और मां ने भी बच्चे को यूं ही छोड़कर किसी और से शादी कर ली।

बच्चे से संपर्क रखा जरूर। लेकिन दूसरों को सौंप दिया गया। बच्चे को जिस तरह की यातना झेलनी पड़ी है, वह एक मार्मिक कहानी है। इससे सबक लिया जाना चाहिए। अगर हम अपने बच्चों को इस तरह से तकलीफ देंगे तो उनके मन में रिश्तों के प्रति क्या छवि बनेगी। वह अपने ही मां-बाप को लेकर क्या सोचेगा।

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राजधानी रायपुर की सोलस हाइट्स सोसायटी के जागरूक बच्चों और वहां के जागरूक रहवासियों को धन्यवाद और बधाई। उनके प्रयासों से ही इस बच्चे को कैद से आजाद कराया जा सका।

.... ऐसा ही उदाहरण हमें पेश करना चाहिए। दूसरों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। और सभी अपार्टमेंट रहवासियों के लिए यह कहानी एक सबब भी है कि जब किसी को फ्लैट या मकान किराए पर देते हैं तो पुलिस वेरिफिकेशन जरूर करवाएं। इसके अलावा तमाम जांच पड़ताल के बाद ही किसी को फ्लैट मकान किराए पर दें वरना आप किसी भी तरह की मुसीबत में फंस सकते हैं।

©® रामकृष्ण डोंगरे, पत्रकार, रायपुर

THANKS to Satish Pandey Rajkumar Dhar Dwivedi deepak shukla