Wednesday, March 16, 2016

पवारी कविता : माय तोन शादी कर दी गाँव म

एत्ति पढ़ा लिखा ख माय तोन शादी कर दी गाँव म
रोज सबेरे उठनू पड़य सबका आघ गाँव म

जेठ जिठानी ताना मारय खूब रबावय काम म
साँझ सबेरे फुर्सत नी मख चूल्हा फुकू मु गाँव म। 
सासू ससरा अनदेखी करय रब्ता देख मख काम म
जेठ जिठानी का आघ वी मुंढा नी खोलत गाँव म।

दुबली पतली काया मरी पेन पकड्या मन हाथ म
दातरा कुदारी फावड़ा बिना काम नी चलत गाँव म।
 गोबर पानी सराय पोताय सब मरा जुम्मा म
कलेवा म देर हो जाय ते सब भोबाय गाँव म।

कपडा लत्ता धोनो धानो लकड़ी फाटा गाँव म
साँझ सबेरे चौका बर्तन म फसी जिनगी गाँव म। 
ई ते एत्ता भोरा है कि दिखात नी इनका डोरा म
जेठ जिठानी लोंदा तोड़य मू एख्ली रबू गाँव म।

मरी जिनगी ख़राब कर दी दे ख माय तोन गांव म
पढ़नो लिखनो अकारत गयो आ ख ऐना गाँव म। 
आब नान्ही को बिहा करहे ते झांक ख नी देखनु गाँव म
शहर को गरीब ख देनु पर अमीर ख नी देनु गाँव म।

रचित -वल्लभ डोंगरे ,भोपाल

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