Tuesday, August 13, 2019

एक मुलाकात, एक व्यक्तित्व, एक सृजन...

आकाशवाणी के प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव और नाटककार अमर रामटेके जी के साथ...

आकाशवाणी छिंदवाड़ा और आकाशवाणी नागपुर में लंबे अरसे तक काम कर चुके मेरे प्रेरणा स्रोत, लेखक, दलित नाटककार और कार्यक्रम अधिकारी सम्मानीय सर श्री अमर रामटेके जी से हाल ही में मुलाकात हुई। उनकी गिनती प्रमुख दलित लेखकों में होती है।

छिंदवाड़ा आकाशवाणी से उनके ट्रांसफर के करीब 15 साल बाद हुई इस मुलाकात ने कई यादें ताजा कर दी। जब उनसे पहले आकाशवाणी छिंदवाड़ा में मुलाकात हुई। फिर बस स्टैंड के यादव लॉज की कई मुलाकातें। साहित्यिक आयोजनों में। वे हमारे गांव तंसरामाल भी आए थे... तारीख थी 16 मई 2001। जब मैंने इंटरनेट रेडियो श्रोता संघ का उद्घाटन किया था। छिंदवाड़ा से उनकी वापसी के समय का भावुक क्षण कभी भूल नहीं सकता।

वे इन दिनों बेड रेस्ट पर है। 6 साल पहले हुए एक गंभीर हादसे के बाद स्वस्थ होने में उन्हें काफी वक्त लग गया। रामटेके जी लेखक के अलावा एक अच्छे एक्टर भी है। कई नाटकों में उन्होंने यादगार रोल प्ले किए है। उनकी कई किताबें भी प्रकाशित हो चुकी है। मराठी के अलावा हिंदी में भी अपना लेखन करते हैं।

उन्होंने कई शहरों के आकाशवाणी केंद्रों में काम करते हुए कई युवाओं को प्रेरणा दी और आगे बढ़ाया। मध्यप्रदेश में आकाशवाणी छिंदवाड़ा के अलावा आकाशवाणी बैतूल में भी उन्होंने काम किया। जिन शहरों में वे रहे वहां उन्होंने साहित्यिक संस्था बनाकर युवाओं को सार्थक लेखन की ओर अग्रसर किया। फेसबुक पर जो साथी उन्हें जानते हैं वे चीज के गवाह होंगे।

आपका व्यक्तित्व ही आपकी पहचान होता है और इस संसार में कुछ व्यक्तित्व - पर्सनालिटी ऐसी होती है जो अपने आप ही कई लोगों को कुछ कर गुजरने की प्रेरणा दी जाती है। इसमें सृजन भी शामिल है और जीवन का ध्येय निर्धारित करना भी।

इस दुनिया में हर जगह, हर संस्था में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो आपको डिस्टर्ब कर सकते हैं। परेशान कर सकते हैं। आपको धैर्य के साथ अपना काम करते जाना चाहिए। यही ऐसी पर्सनालिटी हमें सिखाती है।

आकाशवाणी में प्रोग्राम एग्जीक्यूटिव रहते हुए उन्होंने किसानों के लिए कई अच्छे प्रोग्राम बनाए। कई गांवों का दौरा किया, उन गांव तक पहुंचे जहां पहले कभी आकाशवाणी पहुंचा ही नहीं था। आकाशवाणी छिंदवाड़ा से प्रसारित होने वाला किसान भाइयों का 'चौपाल' प्रोग्राम उन दिनों काफी पसंद किया जाता था। रेडियो पर रामटेके जी का अंदाज निराला होता था। उनकी आवाज दमदार और खनक वाली है।

अमर रामटेके जी की प्रमुख कृतियां :
‘गोडघाटेचाळ’, 'ग्रेस नावाचं गारूड ', जखमांचे शहर


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