Tuesday, June 9, 2015

कुठियाला हटाओ, माखनलाल बचाओ : तीसरी किस्त

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यूनिवर्सिटी से पासआउट होने के बाद लगातार आठ साल से पत्रकारिता के फील्ड में हूं। यूनिवर्सिटी में आने से पहले रिपोर्टिंग कीफिर डेस्क पर वर्किंग यूनिवर्सिटी के उन दिनों को बहुत मिस करते हैं। वहां के लेक्चर अटेंड करना लैब जर्नल विकल्प को निकालने का अनुभव अलग-अलग फील्ड के नामी लोगों से मिलने-सीखने को अवसर मिला। देशभर के बड़े मीडिया में कार्यरत हमारे सीनियर्स से मिलने बात करने का मौका मिला। माखनलाल विवि के ताजा विवाद के बाद हम सबकी चिंता का विषय यही है कि क्या यूनिवर्सिटी की आने वाली पीढ़ी इन खूबसूरत लम्हों को जी पाएगी।

पिछले चारपांच साल से पूरी तरह से भोपाल से दूर हूं। साल 2010 का विवाद दिल्ली में अमर उजाला में कार्यरत रहने के दौरान घटा। मगर इस सबसे कुछकुछ अंजान ही थे हम। क्योंकि उन दिनों सोशल मीडियाआज की तरह सबके पास नहीं था। कुलपति कुठियाला द्वारा एक एचओडी को एक संगीन आरोप लगाकर हटाना। घोर निंदनीय कृत्य था। और अब ताजा विवाद रोटेशन के नाम पर सीनियर लोगों के साथ ऐसा बर्ताव

... जारी (अगली किस्त में)

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